राजनैतिकशिक्षा

भ्रष्टाचार पर लगाम लगनी ही चाहिए

-नरेंद्र कुमार शर्मा-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

भ्रष्टाचार हमारे देश भारत को दीमक की तरह चाट रहा है। भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आंदोलनों का प्रमुख हिस्सा रहा है। आजादी के लगभग एक दशक बाद से ही हमारा देश इसके दलदल में फंसता नजऱ आने लगा था। इस पर उस समय से ही संसद में बहस होना शुरू हो गई थी। 21 दिसंबर 1963 को संसद में इस पर बहस हुई। इस बहस में डाक्टर राम मनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था, वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त लोहिया ने कहा था कि सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध इतना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है जितना दुनिया के किसी देश में नहीं। भ्रष्टाचार के मामले में भारत दक्षिण एशिया में भूटान के बाद दूसरे स्थान पर साफ-सुथरी छवि वाला देश है, जिसे हाल ही में जारी करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2021 की रिपोर्ट में भारत को 180 देशों की सूची में 85वें स्थान पर रखा गया है। आजकल प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जगह-जगह पर छापेमारी की जा रही है। इस पर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है।

नेशनल हेराल्ड अखबार मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी से कई दौर की पूछताछ कर चुकी है। नेशनल हेराल्ड अखबार मामले में लगभग कई करोड़ की हेराफेरी की बात सामने आ रही है। इस अखबार की शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में की थी। यह अखबार आजादी की लड़ाई लडऩे की एक कड़ी थी। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने इस अखबार पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस अखबार का मुख्य उद्देश्य लोगों को आज़ादी की लड़ाई लडऩे के लिए जागरूक करना और ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों से अवगत करवाना था। लेकिन आज गांधी परिवार पर जो हेराफेरी के आरोप लग रहे हैं, वह बहुत चिंताजनक बात है। एक ऐसा अखबार जो आजादी से पहले बहुत प्रतिष्ठित अखबार था, आज उसकी साख पर बट्टा लग गया है। एक ऐसी पार्टी है जिसने लगभग 50 वर्षों से अधिक समय तक देश में राज किया, उसी के मुखिया पर ऐसे आरोप लगाना बहुत शर्मनाक बात है।

इससे पूरे देश में बहुत नकारात्मक संदेश जाएगा। वैसे भी देश इस समय इस बीमारी से जूझ रहा है। भ्रष्टाचार का केवल यही एक उदाहरण नहीं है, बल्कि ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जिनमे मुख्यत: शिवसेना के नेता संजय राउत, पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला आदि हैं। हमारे देश भारत में भ्रष्टाचार नीचे से लेकर ऊपर तक फैला हुआ है। यह एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी देश को खोखला कर देती है। अन्ना हजारे ने भी इसके विरोध में मुहिम चलाई थी और उसके पश्चात भ्रष्टाचार पर देश में बहुत बड़ी बहस शुरू हुई। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि न खाऊंगा न खाने दूंगा। इसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। लेकिन एक बार जब अवैध तरीके से धन इकठ्ठा करने की लत लग जाए तो उससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके लिए इच्छा शक्ति की आवश्यकता है।

कई लोग इस धंधे में इतने लिप्त हो जाते हैं कि उन्हें न तो देश की परवाह होती है और न ही पकड़े जाने का डर। इस समस्या से छुटकारा पाने में अकेले सरकार ही सब कुछ नहीं कर सकती। इससे छुटकारा पाने के लिए हम सबको आगे आना होगा। यदि कोई किसी भी कार्यालय में या कहीं और रिश्वत मांगता है उसकी तुरंत प्रशासन को सूचना देनी चाहिए ताकि ऐसे लोगों को तुरंत पकड़ा जा सके। इसके लिए हमें पूरे देश में मुहिम चलानी होगी। विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं को लोगों को जागरूक करना होगा कि यह बीमारी देश को खोखला बना देती है क्योंकि इससे गरीब लोग बहुत पीडि़त हैं। वे कार्यालयों के बार-बार चक्कर लगाने से बचने के लिए बड़ी आसानी से भ्रष्टाचारियों के चंगुल में फंस जाते हैं।

मीडिया किसी भी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, जो समय-समय पर भ्रष्टाचार के घोटालों को उजागर करता रहता है जिससे कई बार दोषियों को पकडऩा प्रशासन के लिए आसान हो जाता है। आजकल हमारे देश भारत में पढ़े लिखे लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। लोग मीडिया की बातों पर बहुत अधिक विश्वास करते हैं। अत: मीडिया को चाहिए कि घोटालों को उजागर करने के साथ-साथ लोगों को इससे होने वाले दुष्परिणामों के बारे में भी समय-समय पर जागरूक किया जाए। आत्मनिर्भर भारत के सपने को सच करने के लिए भ्रष्टाचार को समाप्त करना बहुत आवश्यक है। यह समस्या एकदम समाप्त होने वाली नहीं है। इसकी जड़ें बहुत गहरी जा चुकी हैं। उनको उखाडऩे के लिए हमें युद्धस्तर पर कार्य करना होगा। जिस देश में भ्रष्टाचार बहुत अधिक होता है, उस देश की छवि पूरे विश्व में धूमिल हो जाती है।

इससे विदेशी निवेशक उस देश में आने से कतराते हैं और देश की उन्नति बुरी तरह से प्रभावित होती है या यूं कहें कि देश का विकास बहुत धीमा पड़ जाता है। हमारे देश को आज़ादी बड़ी संख्या में कुर्बानियां देकर मिली है। लेकिन आज भ्रष्टाचारी लोग उन बातों को भूल चुके हैं और इस देश को लूटने में लगे हुए हैं। विजय माल्या और नीरव मोदी ऐसे लुटेरे हैं जो इस देश का धन लूटकर विदेशों में छुपकर बैठे हुए हैं। भले ही सरकार उनकी संपत्तियों को जब्त कर वसूली करने में लगी हुई है, लेकिन देश की साख को तो इन लोगों ने धब्बा लगा ही दिया है। आज जब पूरे देश में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा छापेमारी की जा रही तो इतना बवाल क्यों? आज यह कहा जा रहा है कि सरकार बदले की भावना से इन एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष को कुचलने की कोशिश कर रही है। यदि किसी ने कोई घोटाला या भ्रष्टाचार नहीं किया है तो फिर डर किस बता का? जांच एजेंसियों को निष्पक्ष जांच करने से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होना चाहिए। इससे इन एजेंसियों का मनोबल ऊंचा उठता है और भविष्य में ऐसे लोग भ्रष्टाचार करने से डरेंगे। अत: देशहित में सब लोगों को इन एजेंसियों की जांच का स्वागत करना चाहिए। जब देश की समस्त जनता भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़ी हो जाएगी तो भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार करने से पहले दस बार सोचेंगे और इस बीमारी पर आसानी से लगाम लगाई जा सकेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *