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प्रधानमंत्री के रूप में आपके साथ काम करना वास्तव में सौभाग्य था: मोदी ने कोविंद को लिखे पत्र में कहा

नई दिल्ली, 26 जुलाई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सिद्धांतों, ईमानदारी, कामकाज, संवेदनशीलता और सेवा के उच्चतम मानकों को स्थापित किया।

कोविंद को रविवार को लिखे एक पत्र में मोदी ने उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से राष्ट्रपति भवन तक की उनकी व्यक्तिगत यात्रा की भी सराहना की और कहा कि यह ‘‘हमारे देश के विकास के लिए एक दृष्टांत और हमारे समाज के लिए एक प्रेरणा है।’’

बतौर राष्ट्रपति कोविंद का कार्यकाल रविवार, 24 जुलाई को समाप्त हो गया और 25 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की।

कोविंद को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ अपने पूरे जीवन और करियर में आपने दृढ़ संकल्प तथा गरिमा बनाए रखी, हमारे संविधान के सिद्धांतों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता, सर्वोच्च सम्मान एवं जिम्मेदारी दिखाई।’’

मोदी ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान कोविंद ने कई कार्यों, हस्तक्षेप और संबोधनों के जरिए देश और दुनिया में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधित्व किया है।

प्रधानमंत्री ने कोविंद से कहा कि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने हमेशा समय और खुले मन से परामर्श दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं आगे भी आपकी सलाह लेता रहूंगा। राष्ट्रपति जी, आपके प्रधानमंत्री के रूप में आपके साथ काम करना एक वास्तव में सौभाग्य था।’’

कोविंद ने यह पत्र साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘ मैं इन मार्मिक तथा दिल को छूने वाले शब्दों को उस प्यार और सम्मान के रूप में स्वीकार करता हूं, जो साथी नागरिकों ने मुझे दिया है। मैं वास्तव में आप सभी का आभारी हूं।’’

मोदी ने लिखा कि राष्ट्रपति के रूप में, कोविंद ने भारत के संविधान के आदर्शों तथा उसके लोकतंत्र के मर्म को सही फैसलों, उत्कृष्ट गरिमा और आसाधारण शालीनता के जरिए बरकरार रखा और हमेशा गणतंत्र के सर्वोत्तम हितों के लिए काम किया।

उन्होंने कहा कि देश के प्रथम नागरिक के तौर पर वह हमेशा सबसे कमजोर तबके के नागरिकों के कल्याण के लिए डटे रहे और दृढ़ता से एवं गर्व के साथ अपनी मिट्टी तथा लोगों से जुड़े रहे।

प्रधानमंत्री ने पत्र में कहा कि कोविंद हमेशा लोगों से जुड़े रहे, उनकी परेशानियों, उनकी अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील रहे और समय के साथ आवश्यक परिवर्तन को लेकर भी पूरी तरह से जागरूक रहे।

 

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