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राज्यसभा में विपक्षी दलों का हंगामा, बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित

नई दिल्ली, 19 जुलाई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। महंगाई, कुछ आवश्यक खाद्य पदार्थों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने और रक्षा सेवाओं में भर्ती की अग्निपथ योजना जैसे मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होने के पांच मिनट के भीतर ही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

सुबह जैसे ही उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ कहना चाहा। लेकिन सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें अनुमति नहीं दी।

इसके बाद सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।

नायडू ने बताया कि नियम 267 के तहत खड़गे सहित कई अन्य सदस्यों ने महंगाई और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस दिए हैं लेकिन उन्होंने उन्हें स्वीकार नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि अन्य मौकों पर इन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।

इस पर विरोध जताते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया।

हंगामे के कारण नायडू ने 11 बज कर करीब पांच मिनट पर सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

ज्ञात हो कि सोमवार को सत्र के पहले दिन भी इन्हीं सब मुद्दों पर हंगामे की वजह से राज्यसभा की कार्यवाही एक घंटे के भीतर ही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई थी।

कांग्रेस के खड़गे सहित कुछ अन्य नेताओं और द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरूची शिवा तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एलामारम करीम ने महंगाई, पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्यों में वृद्धि और हाल ही में दूध और दही सहित कई खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाए जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए थे।

कांग्रेस के ही दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अग्निपथ योजना के मुद्दे पर चर्चा के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था जबकि राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने अग्निपथ योजना के असर और रेलवे में भर्ती के अवसरों से युवाओं को वंचित करने के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया।

आम आदमी पार्टी के राघव चड्डा ने केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर गठित समिति के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था।

संसद के मानसून सत्र की सोमवार को हंगामेदार शुरुआत हुई थी। विपक्षी सदस्यों ने इन्हीं सब मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग करते हुए कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए थे। हालांकि सभापति एम वेंकैया नायडू ने इन्हें अस्वीकार कर दिया था।

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