राजनैतिकशिक्षा

कांग्रेस की राह कठिन

-सिद्धार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

गुजरात के पूर्व कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने को लेकर बड़ा बयान दिया है। पटेल ने बताया है कि वह दो जून को भाजपा में शामिल होंगे। पटेल ने 18 मई को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। राज्य में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनका यह कदम कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस से इस्तीफा देते वक्त हार्दिक पटेल पार्टी आलाकमान पर जमकर बरसे थे। उन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा सौंपा था। इस पत्र में उन्होंने पार्टी को लेकर कई बातें कही थीं। पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें 11 जुलाई 2020 को गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हालांकि 2022 आते-आते उनका पार्टी से मोहभंग हो गया और इस्तीफा दे दिया। अपने त्यागपत्र में हार्दिक ने लिखा था कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है जबकि देश के लोगों को विरोध नहीं बल्कि ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो और हमारे देश को आगे ले जाने की क्षमता रखता हो। उन्होंने अपने त्यागपत्र में आगे लिखा था कि अयोध्या में राम मंदिर हो, सीएए-एनआरसी का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो या जीएसटी लागू करने जैसे फैसले हों, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था। लेकिन, कांग्रेस इसमें केवल बाधा बनने का काम करती रही। कांग्रेस का रुख केवल केंद्र का विरोध करने तक ही सीमित रहा। हार्दिक पटेल ने पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भाजपा को गुजरात में हिला दिया था। 2017 चुनाव में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था और खासकर पाटीदार वोटों के बीच कांग्रेस ने सेंधमारी की थी। कांग्रेस के 20 पाटीदार समाज के विधायक जीतकर आए थे। पाटीदार बहुल सौराष्ट्र की इन 54 सीटों पर 2017 के चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से जबरदस्त टक्कर मिली थी। पाटीदार आंदोलन की वजह से कांग्रेस ने सौराष्ट्र की 54 में से 30 सीटों पर जीत मिली थी जबकि अ को 23 सीट मिली थी। गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हार्दिक पटेल के कांग्रेस छोडऩे से पार्टी का मनोबल पर असर पड़ेगा और पाटीदार वोटों का खिसकने का खतरा तो बन ही गया है। राज्य में पाटीदार वोट भाजपा का कोर वोटबैंक माना जाता है और हार्दिक के जाने के बाद कांग्रेस में फिलहाल कोई बड़ा पाटीदार नेता नहीं बचा है। ऐसे में पाटीदार वोट बंटने का डर भाजपा को था, हार्दिक के कांग्रेस छोडऩे के बाद राहत मिली है। हालांकि, पाटीदार नेता नरेश पटेल के कांग्रेस में लिए जाने की चर्चा चल रही है, लेकिन अभी तक एंट्री नहीं हो पाई है। नरेश पटेल अगर कांग्रेस में शामिल होते हैं तो हार्दिक के पार्टी में जाने की कमी की भरपाई हो जाएगी। कांग्रेस कितना भरपाई कर पाएगी यह तो वक्त ही बताएगा? 2017 में कांग्रेस ने जिन तीन नेताओं के सहारे गुजरात में भाजपा को 100 सीटों के नीचे लाकर खड़ा कर दिया था, उसमें से हार्दिक और अल्पेश ठाकोर पार्टी छोड़ चुके हैं और सिर्फ जिग्नेश मेवाणी ही बचे हैं। गुजरात में भाजपा को घेरने के लिए इस बार कोई बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं है। 2017 के चुनाव में पटेल आरक्षण और ऊना में दलितों के पिटाई सियासी मुद्दा बन गया था। गुजरात कांग्रेस में सबसे बड़ी समस्या लीडरशिप क्राइसिस की है, ऐसे में हार्दिक के पार्टी छोडऩे से एक और भी बड़ा झटका लगा। हार्दिक पटेल के सियासत में कदम रखने के बाद पाटीदारों के बीच उनकी लोकप्रियता कम हुई है। हार्दिक ने यह बात खुद कही थी कि राजनेता बनने के बाद समाज के साथ उनका संवाद कम हुआ है। हार्दिक के कांग्रेस छोडऩे की बात करें तो वे कांग्रेस को कोई फायदा नहीं दिला सके। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली और फिर निकाय व पंचायत चुनाव में भी मात खानी पड़ी। निकाय चुनाव में पाटीदार समुदाय के बीच कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन आम आदमी पार्टी ने किया। कांग्रेस भी यह बात भी समझ रही थी, जिसके चलते पार्टी ने उन्हें बहुत ज्यादा अहमियत देने के मूड में नहीं थी। हार्दिक के जाने से कांग्रेस को किस तरह का सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा यह तो 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चलेगा हालांकि, कांग्रेस के सियासी एजेंडे में इस बार पार्टी का परंपरागत वोट है, जिसमें ओबीसी, ठाकोर, आदिवासी और दलित शामिल है जबकि पाटीदार वोटों को लेकर किसी तरह की कोई सक्रियता नहीं दिखा रही। चुनावी हार और दरकते जनाधार के बीच अब तक सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस लगातार बिखरती नजर आ रही है और हाल ही में संगठन के भीतर बड़े सुधारों की घोषणा के बाद भी नेताओं का पार्टी से पलायन का सिलसिला थम नहीं रहा है। पार्टी छोडऩे वाले नेताओं में नाम सुनील जाखड़ और हार्दिक पटेल का है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष जाखड़ भाजपा में शामिल हो गए। हार्दिक भी भाजपा में जाने वाले हैं। कपिल सिब्बल सपा में जा चुके हैं।

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