राजनैतिकशिक्षा

कल्याणकारी योजनाओं की अहमियत

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

यकीनन देश में आम आदमी के आर्थिक-सामाजिक कल्याण से संबंधित योजनाओं की अहमियत स्पष्ट दिखाई दे रही है। जहां मार्च 2022 में पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव परिणामों में कल्याणकारी योजनाओं की अहमियत दिखाई दी, वहीं अब हाल ही में 26 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने यूक्रेन संकट की वजह से महंगाई को देखते हुए इस साल सितंबर 2022 तक 80 करोड़ आबादी को मुफ्त में राशन देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद मोदी सरकार ने अप्रैल 2020 में गरीबों को मुफ्त राशन देने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की शुरुआत की थी। गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लाभार्थी को उसके सामान्य कोटे के अलावा प्रति व्यक्ति पांच किलो मुफ्त राशन दिया जाता है। पीएमजीकेएवाई के तहत अप्रैल 2020 से लेकर इस साल मार्च 2022 तक सरकार 2.60 लाख करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। इस साल अप्रैल से सितंबर तक 80 करोड़ जनता को मुफ्त में राशन देने से सरकार पर 80 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा। इस प्रकार खाद्य सुरक्षा से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी योजना पर सरकार इस साल सितंबर तक 3.40 लाख करोड़ रुपए खर्च कर देगी। खास बात है कि एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति देश के किसी कोने में इस योजना का लाभ ले सकता है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि कोरोना काल की तरह यूक्रेन संकट से बढ़ती महंगाई के बीच एक बार फिर देश में लागू आर्थिक-सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं राहतदायी हो सकती हैं। मार्च 2022 में पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों के जो परिणाम आए हैं, उनके विश्लेषण से यह तथ्य भी उभरकर दिखाई दे रहा है कि इन चुनावों में करोड़ों मतदाताओं के द्वारा जाति, समुदाय, वर्ग और धर्म की पहचान के सामान्य मानकों की सीमा से आगे बढ़कर आर्थिक कल्याणकारी योजनाओं से मिल रहे लाभों के आधार पर वोट दिए जाने का नया सुकूनदेह प्रतिमान प्रस्तुत किया गया है।

जहां इन चुनावों में जीत दिलाने के मद्देनजर भाजपा सरकारों के द्वारा चलाए गए आम आदमी के लिए आर्थिक कल्याण के विभिन्न कार्यक्रमों की प्रभावी भूमिका रही है, वहीं पंजाब चुनाव में विजय के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (आप) के द्वारा अपनाए गए शिक्षा-स्वास्थ्य मॉडल की भी अहम भूमिका रही है। निःसंदेह इन दिनों प्रकाशित हो रही विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक शोध अध्ययन रिपोर्टों में भी यह तथ्य उभरकर सामने आ रहा है कि पिछले 6-7 वर्षों में भारत में आम आदमी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू की गई आर्थिक कल्याणकारी योजनाओं के अच्छे परिणाम मिले हैं। देश में सरकार के द्वारा आम आदमी के आर्थिक कल्याण के लिए शुरू की गई जनधन योजना, डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी), सार्वजनिक वितरण प्रणाली का डिजिटल होना, किसानों के खातों में पीएम किसान सम्मान निधि का सीधा हस्तांतरण, एलपीजी गैस सबसिडी, शौचालय निर्माण, घरेलू गैस में सबसिडी, ग्रामीण विद्युतीकरण, नल जल कनेक्शन, महामारी के दौरान निःशुल्क अनाज वितरण, निशुल्क कोरोना टीकाकरण, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, पोषण कार्यक्रम, ई-रूपी, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, स्टैंड अप इंडिया और अटल पेंशन जैसी योजना के प्रभावों ने मतदाताओं के वोट समीकरण को बदला है। निःसंदेह देश में जनधन, आधार और मोबाइल (जैम) के कारण आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। देश में जिस तरह करीब 130 करोड़ आधार कॉर्ड, करीब 118 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता, लगभग 80 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता और 44 करोड़ जनधन बैंक खातों का विशाल एकीकृत बुनियादी डिजिटल ढांचा विकसित हुआ है, वह आम आदमी की आर्थिक-सामाजिक मुस्कुराहट का आधार बन गया है। जैम के माध्यम से गरीब वर्ग के करोड़ों लोगों के लिए गरिमापूर्ण जीवन के साथ सशक्तिकरण का असाधारण कार्य पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) ने देश की विकास गति में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। इस पहल ने पारदर्शिता को भी बढ़ावा दिया है और आम आदमी को लाभान्वित किया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए जनवरी 2022 तक 90 करोड़ से अधिक नागरिक इसका फायदा लेते हुए दिखाई दिए हैं। ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के मुताबिक फिलहाल सरकार के 54 मंत्रालयों द्वारा 315 डीबीटी योजनाएं संचालित होती हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इकोरैप के द्वारा प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी के जनधन खातों के कारण भारत अब वित्तीय समावेशन के मामले में जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका से आगे है। जिन राज्यों में प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों की संख्या ज्यादा है, वहां अपराध में गिरावट देखने को मिली है। यह भी देखा गया है कि अधिक बैंक खाते वाले राज्यों में शराब और तंबाकू उत्पादों जैसे नशीले पदार्थों की खपत में महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक गिरावट आई है। निश्चित रूप से देश में एक दिसंबर 2018 से लागू पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 6000 रुपए प्रतिवर्ष प्रत्येक किसान को दिए जाने से यह योजना देश के छोटे किसानों का बहुत बड़ा संबल बन गई है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक अब तक 11.37 करोड़ से अधिक किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपए दिए जाने, फसल बीमा योजना में सुधार, एमएसपी को डेढ़ गुना करने, किसान क्रेडिट कार्ड से सस्ते दर से बैंक से कर्ज मिलने की व्यवस्था, कृषि निर्यात तेजी से बढ़ने, फंड, कृषि बजट के पांच गुना किए जाने, सोलर पावर से जुड़ी योजनाएं खेत तक पहुंचाने, दस हजार नए किसान उत्पादन संगठन, किसान रेल के माध्यम से छोटे किसानों के कृषि उत्पाद कम ट्रांसपोर्टेशन के खर्चे पर देश के दूरदराज के इलाकों तक पहुंचने तथा किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलने से करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2 अगस्त 2021 को सरकार ने ई-रुपी वाउचर लांचिंग से सरकार की कल्याण योजनाओं से लाभार्थियों को अधिकतम उपयोगिता देने और सरकारी सबसिडियों के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने का नया अध्याय लिखा है। यद्यपि स्वास्थ्य मंत्रालय की योजनाओं की रकम के हस्तांतरण के लिए ई-रुपी की शुरुआत की गई थी, लेकिन अब 10 फरवरी 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक ने ई-रूपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर की सीमा को 10000 रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया। साथ ही लाभार्थियों को कई सरकारी स्कीम्स के डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन की सुविधा के लिए इसके कई बार इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को शुरू से आखिर तक डिजिटल करने का दोतरफा फायदा मिल रहा है। एक ओर जहां वाजिब उपभोक्ताओं को उनके हक का अनाज समय से प्राप्त हो रहा है, वहीं सरकारी खजाने का दुरुपयोग बंद हुआ है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सार्वजनिक राशन प्रणाली के तहत करीब 80 करोड़ लाभार्थियों में से जनवरी 2022 तक 77 करोड़ से अधिक लाभार्थी डिजिटल रूप से सभी राशन दुकानों से जुड़ गए हैं। हम उम्मीद करें कि जिस तरह कोरोना काल में कल्याणकारी योजनाओं के कारण आम आदमी की मुश्किलें कम हुई थी, उसी प्रकार अब रूस-यूक्रेन युद्ध के संकट के कारण बढ़ती महंगाई से आम आदमी को राहत दिलाने में देश की कल्याणकारी योजनाएं अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देंगी।

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