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म्यूचुअल फंड में निवेश करना हुआ ज्यादा सुरक्षित, सेबी ने यूनिट के लेनदेन को लेकर जारी किए दिशानिर्देश

नई दिल्ली, 16 मार्च (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड यूनिट के लेनदेन को लेकर कुछ स्पष्टीकरण जारी किये. साथ ही निवेश राशि को भुनाने के मामले में सत्यापन को लेकर भी दिशानिर्देश भी जारी किये. यह स्पष्टीकरण शेयर बाजार प्लेटफॉर्म पर म्यूचुअल फंड यूनिट में लेन-देन से संबंधित है. यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म समेत अन्य इकाइयों के लिये भी है. अक्टूबर, 2021 में जारी सर्कुलर के मुताबिक, म्यूचुअल फंड लेनदेन को लेकर शेयर ब्रोकर और क्लियरिंग सदस्य म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिए अपने नाम पर जारी भुगतान स्वीकार नहीं करेंगे. हालांकि, अब नियामक ने कहा कि सेबी से मान्यता प्राप्त क्लियरिंग कॉरपोरेशन के सदस्य भुगतान स्वीकार कर सकते हैं. सेबी ने कहा, 1 अप्रैल 2022 के बाद से सेबी से मान्यता प्राप्त क्लियरिंग कॉरपोरेशन के पक्ष में देय रकम ही स्वीकार की जाएगी. यह राशि केवल म्यूचुअल फंड योजनाओं की खरीद को लेकर होगी, किसी अन्य उद्देश्य के लिये नहीं. नियामक के अनुसार, म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिए इस्तेमाल की जा रही भुगतान की मौजूदा व्यवस्था शेयर ब्रोकर/क्लियरिंग कॉरपोरेशन के सदस्यों के नाम पर बनी रह सकती है. हालांकि, इसके लिये जरूरी है कि भुगतान स्वीकार करने वाले ऐसी व्यवस्था रखेंगे जिसमें जो लाभार्थी होगा, वह केवल स्वीकृत खाता ही होगा. यह खाता केवल समाशोधन निगम का होगा. अन्य बातों के अलावा शेयर बाजार और समाशोधन निगम यह सुनिश्चित करेंगे कि भुगतान स्वीकार करने वाला गड़बड़ी को रोकने को लेकर पुख्ता इंतजाम करेगा. उन्हें निवेशकों की शिकायतों के समाधान की भी उपयुक्त व्यवस्था करनी होगी. सेबी ने इसी प्रकार का दिशानिर्देश म्यूचुअल फंड यूनिट के लेनदेन के संदर्भ में जारी किया है. यह शेयर बाजार के अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म समेत अन्य इकाइयों के लिये है, जो लेन-देन को सुगम बनाते हैं. सेबी 1 मई से स्विंग प्राइसिंग मैकेनिज्म लागू करेगा. म्चूयुअल फंड योजनाओं के लिए लागू होने वाला यह मैकेनिज्म इसलिए तैयार किया गया है ताकि वोलेटाइल मार्केट में बड़े निवेशकों एकाएक अपना पूरा पैसा न निकाल लें. स्विंग प्राइजिंग को लागू करने पर फंड में निवेश और निकासी के दौरान निवेशकों को वह एनएवी मिलेगी जो स्विंग फैक्टर के तहत एडजस्ट की गई है. स्विंग प्राइजिंग मैकेनिज्म सिर्फ वोलेटाइल मार्केट में ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी लागू होगा, लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में स्विंग फैक्टर अलग तरीके से तय होंगे. स्विंग फैक्टर 1-2 फीसदी तक होगा. निवेशक वोलेटाइल मार्केट हाई रिस्क वाले ओपन एंडेड डेट स्कीम से बड़ी निकासी करेंगे, उन्हें 2 फीसदी कम एनएवी मिलेगी.

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