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बारिश की कमी वाले इलाकों को मानसून देगा अगले सप्ताह राहत

नई दिल्ली, 08 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। पिछले तीन महीने से सक्रिय मानसून में बारिश के असमान वितरण, खासकर उत्तर के मैदानी इलाकों में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में बारिश की कमी ने कृषि एवं कारोबार जगत की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि, मौसम विभाग मानसून की अभी शेष अवधि में बारिश की कमी वाले इलाकों में भरपाई के प्रति आश्वस्त है। मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर कहा है कि कम बारिश वाले इलाकों में अगले सप्ताह दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश राहत देगी। महापात्रा ने शनिवार को बताया कि यद्यपि मानसून के दौरान अब तक राष्ट्रीय स्तर पर बारिश की पर्याप्त मात्रा दर्ज की गयी है। दक्षिण और पश्चिम के राज्यों, कर्नाटक महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में सामान्य से अधिक बारिश हुयी है। वहीं, पूर्वी, पूर्वोत्तर और मध्य भारत में मेघालय, नगालैंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश बारिश की कमी का सामना कर रहे हैं। जबकि मणिपुर बारिश की अत्यधिक कमी वाली श्रेणी में आ गया है। उन्होंने मानसून के असमान वितरण को इसकी वजह बताते हुये कहा कि बंगाल की खाड़ी और पूर्वी तटीय क्षेत्रों में इस सप्ताहांत हवा के कम दबाव का क्षेत्र बन गया है, जिससे बारिश की कमी वाले इलाकों में अगले सप्ताह बारिश की क्षतिपूर्ति होने की उम्मीद है। इस साल मानसून के उतार चढ़ाव भरे मिजाज के बारे में महापात्रा ने कहा कि वैसे तो पूरे देश में बारिश की मात्रा पूर्वानुमान के मुताबिक ही दर्ज की गयी है। यह सही है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित अन्य राज्यों के कुछ इलाके फिलहाल बारिश की कमी के दायरे में हैं। इसकी वजह मानसूनी हवाओं की अस्थिर गति है जिसके कारण मानसून का मामूली तौर पर असमान वितरण देखने को मिला है। इसे मानसून की कमी नहीं कह सकते हैं। महापात्रा ने बताया कि देश में मानसून की दस्तक के बाद गत एक जून से सात सितंबर तक राष्ट्रीय स्तर पर 771.2 मिमी बारिश दर्ज की गयी है। जबकि इसका अनुमानित सामान्य स्तर 758.2 मिमी था। स्पष्ट है कि समूचे देश में राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य से अधिक बारिश हुई है। इसके उलट अगर राज्य और जिलों के स्तर पर बारिश के आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान सहित आठ राज्यों में अब तक सामान्य से अधिक वर्षा हुयी है। जबकि केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, असम और ओडिशा सहित 19 राज्यों में सामान्य बारिश हुयी। वहीं, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे कृषि आधारित बड़े राज्य तथा अधिक बारिश के लिये मशहूर मेघालय और नगालैंड सहित नौ राज्यों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गयी है। उन्होंने इसे मानसून की सामान्य प्रवृत्ति बताते हुये स्पष्ट किया कि इस साल जिन इलाकों में अब तक बारिश की कमी दिख रही है, पिछले साल इसी अवधि में इन इलाकों में पर्याप्त बारिश हुयी थी। जबकि पिछले साल मानसून के शुरुआती दौर में बारिश की कमी वाले इलाकों में मानसून के अंतिम दौर में बारिश की कमी की भरपाई हो गयी थी। इसी प्रकार इस साल भी होने का अनुमान है। इसलिये मानसून की गति के नजरिये से इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है, ना ही कोई चिंता की बात है। महापात्रा ने बताया कि उड़ीसा के उत्तरी तटीय इलाकों और पश्चिम बंगाल के आसपास हवा के कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। इसके फलस्वरूप मानसून अगले दो तीन दिन तक राजस्थान में बीकानेर और कोटा, मध्य प्रदेश में गुना और दमोह एवं छत्तीसगढ़ में पेंडरा रोड एवं झारसुगुडा से गुजरेगा। इन इलाकों में बारिश की भरपाई करते हुये 11 से 13 सितंबर के बीच पूर्वोत्तर राज्यों, पूर्वी एवं पश्चिमी तटीय इलाकों के अलावा मध्य भारत में तेज बारिश का पूर्वानुमान है। जिससे मेघालय और नगालैंड सहित बारिश की अब तक कमी वाले इलाकों में इसकी भरपाई हो सकेगी।

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