भूक्षरण रोकने की विश्वव्यापी मुहिम के लिये संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन ग्रेटर नोएडा में शुरु
ग्रेटर नोएडा, 02 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। वैश्विक स्तर पर जमीन के बंजर होने की बढ़ती समस्या के कारण भूक्षरण के संकट से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (कोप 14) सोमवार को ग्रेटर नोएडा में शुरु हो गया। भारत इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। सम्मेलन में हिस्सा ले रहे लगभग 196 देशों के प्रतिनिधि इस दौरान भूक्षरण रोकने के लिये अपने लक्ष्य तय करेंगे। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस समस्या से निपटने में भारत वैश्विक साझेदारी के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने सम्मेलन में सभी देशों की सक्रिय भागीदारी को देखते हुये समस्या के व्यवहारिक समाधान निकलने की अपेक्षा व्यक्त की। दुनिया भर में जमीन के बंजर होकर रेगिस्तान में तब्दील होने के कारण धूल भरे तूफान और सूखे की समस्या के गहराते संकट के समाधान खोजने के लिये आयोजित सम्मेलन में 94 देशों के पर्यावरण मंत्रियों ने शिरकत की है। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारत को कोप 14 की अध्यक्षता भी सौंपी गयी। पिछले दो साल से यह जिम्मेदारी चीन के पास थी। जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, वैश्विक समस्या है और इसका प्रभाव भी वैश्विक ही है। लेकिन भूक्षरण की समस्या स्थानीय स्तर की होने के कारण इसके समाधान भी स्थानीय स्तर पर ही निकालने होंगे। इसमें अंतरराष्ट्रीय अनुभव विभिन्न देशों के लिये मददगार साबित होगा। इसके मद्देनजर उन्होंने कोप सम्मेलन के बेहतर परिणाम की उम्मीद जतायी। इस दौरान भूक्षरण से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियू ने कहा कि कोप की यह बैठक अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि यूएनसीसीडी के 25वें स्थापना वर्ष में आयोजित इस सम्मेलन में शामिल होने के लिये विभिन्न देशों के लगभग 8000 प्रतिनिधियों ने पंजीकरण कराया है। थियू ने कहा, जमीन लोगों का पोषण करती है। जमीन से समूची दुनिया का पोषण जारी रखना अनिवार्य है, लेकिन दुर्भाग्यवश वैश्विक स्तर पर 25 प्रतिशत जमीन का भूक्षरण हो चुका है। इस कारण यह जमीन अनुपयुक्त हो गयी है। इंसानी समझ और तकनीक की मदद से हमें जमीन की उपयोगिता बहाल करनी होगी।उल्लेखनीय है कि 13 सितंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के मंत्री एवं अन्य प्रतिनिधि बंजर हो चुकी जमीन को उपयोग में लाये जाने के लक्ष्यों की घोषणा कर सकते हैं। इस दौरान भूक्षरण के कारण धूल भरे तूफान, अंधड़ और पलायन जैसी समस्या के समाधान पर भी विस्तार से विचार विमर्श किया जायेगा। चीन में 2017 में आयोजित पिछले कोप सम्मेलन में सदस्य देशों ने भूक्षरण के कारण वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न एवं जलापूर्ति के आसन्न खतरे से निपटने की 12 वर्षीय कार्ययोजना तय की थी।