पूर्वांचल पर नजर
-सिद्वार्थ शंकर-
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
पूर्वांचल को विकास की सौगात देने के बाद काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण भाजपा को अगले चुनाव में सत्ता तक पहुंचाने का मार्ग बन सकता है। ऐसा माना जाता है कि वाराणसी से दूसरी बार लोकसभा पहुंचे नरेंद्र मोदी के लिए पूर्वांचल गुडलक जैसा है। यहां से उन्होंने 2014, 2019 लोकसभा चुनाव और 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव का आगाज किया था। नतीजों में भाजपा को बंपर सीटें भी मिली थी। ऐसे में भाजपा की सोच है कि पूर्वांचल में पार्टी की पकड़ ढीली ना हो और पूर्वांचल के गुडलक को फिर से यूपी चुनाव में भुनाया जाये। वहीं पूर्वांचल में भाजपा द्वारा किए गए विकास कार्यों में गोरखपुर में एम्स और फर्टिलाइजर, गन्ना किसानों का भुगतान, किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा, सड़कों-फ्लाईओवरों का निर्माण जैसी कई उपलब्धियां शामिल हैं। पूर्वांचल में भाजपा की मजबूत पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल की कुल 164 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 115 सीटें मिली थीं। वहीं सपा को 17, बसपा 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें हासिल हुई थीं। हालांकि, एक आंकड़ा यह भी है कि पिछले तीन दशक में पूर्वांचल का मतदाता किसी एक पार्टी के साथ हमेशा नहीं रहा। इसी को देखते हुए भाजपा की तरफ से इन क्षेत्रों में विकास योजनाओं की झड़ी लगा दी गई है। साथ ही पार्टी 2022 के चुनाव में पूर्वांचल को अपने पक्ष में मजबूत करने में जुट गई है। पूर्वांचल में विकास कार्यों से जुड़ी परियोजनाओं के अलावा भाजपा जातीय समीकरण पर भी ध्यान दे रही है। वैसे तो उत्तर प्रदेश में चुनाव अगले साल की शुरुआत में होना है लेकिन एक तरह से प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी से अभी से यूपी मिशन का आगाज कर दिया है। साथ ही यह संदेश भी दे दिया है कि पूर्वांचल और काशी का विकास केवल भाजपा ही कर सकती है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करके यह साफ कर दिया कि भाजपा अगला चुनाव योगी के नेतृत्व में ही लड़ेगी। दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से हो कर जाता है लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण बात है कि यूपी की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से होकर गुजरता है। जिसने पूर्वांचल में अधिक सीटें हासिल कर ली सत्ता उसे मिल गई। इसलिए भाजपा पूर्वांचल में अपनी पकड़ और बढ़त बनाए रखना चाहती है। 2017 में भाजपा सत्ता में तो आई लेकिन पूर्वांचल की 10 सीटों पर उसकी स्थिति कमजोर बनी रही। जहां अपनी जमीनी हालत दुरस्त करने पर पीएम मोदी और सीएम योगी का मुख्य फोकस रहा है। यूपी के पूर्वांचल को हमेशा बीमारू क्षेत्र के रुप में जाना गया। यहां विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ था। लेकिन मोदी के काशी के सांसद बनने के बाद से विकास ने यहां रफ्तार पकड़ ली और शहर की सूरत ही बदल गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति के हिसाब से सक्रियता बढ़ा दी है। दरअसल आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर यूपी का पूर्वांचल भाजपा के लिए काफी अहम है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन का असर अधिक देखा जा रहा है। वहीं लखीमपुर खीरी कांड भी भाजपा के लिए सिरदर्द बना हुआ है। ऐसे में इसका नुकसान पश्चिमी यूपी और तराई बेल्ट में देखने को मिल सकता है। हालांकि पूर्वांचल जिलों में अब भी भाजपा काफी मजबूत नजर आ रही है। इसलिए भाजपा का पूरा फोकस पूर्वांचल के जिलों पर है। मिशन-2022 के लिए माना जा रहा है कि भाजपा पश्चिमी यूपी में होने वाले नुकसान की भरपाई पूर्वांचल में मजबूत होकर करना चाहती है।