संसद ने सरोगेसी विनियमन विधेयक, 2021 को मंजूरी दी
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। संसद ने सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 को शुक्रवार को मंजूरी दे दी जिसमें देश में किराये की कोख या सरोगेसी को वैधानिक मान्यता देने और इसके वाणिज्यीकरण को गैर कानूनी बनाने का प्रावधान है।
लोकसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती पवार ने विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच विधेयक को सदन की मंजूरी के लिये रखा। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही सदन ने सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका था। लेकिन राज्यसभा में आने के बाद इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया था। निचले सदन में यथापारित विधेयक को पिछले सप्ताह राज्यसभा में संशोधन के साथ मंजूरी दी थी और इसे पुनः लोकसभा में लाया गया।
विधेयक में कहा गया है कि विवाहित महिलाएं, विधवाएं सरोगेसी का लाभ ले सकती हैं। तलाकशुदा महिलाएं सहायक जनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) और परिस्थितियों के अनुसार, सरोगेसी का भी लाभ ले सकती हैं। विदेशी दंपतियों को सरोगेसी के लिए हमारे देश के कानून का पालन करना होगा। बच्चे में कोई विकार होने पर अब उसे छोड़ा नहीं जा सकेगा।
विधेयक में प्रावधान हैं कि 23 से 50 साल तक की उम्र की महिलाएं सरोगेसी का रास्ता चुन सकती हैं। सरोगेट मां बनने के लिए महिला को विवाहित होना चाहिए। यह प्रक्रिया मातृत्व धारण करने से संबंधित है अतः इसका वाणिज्यीकरण नहीं होना चाहिए। इसलिए प्रावधान किया गया है कि महिला एक बार ही सरोगेट मां बन सकती है। ऐसे में उसका शोषण होने की आशंका भी नहीं होगी। स्पर्म और अंडे दान देने वालों के लिए भी उम्र तय की गई है।
पिछले सप्ताह उच्च सदन में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा था कि सरोगेट मां का स्वास्थ्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा था कि कोई भी अगर अनैतिक काम करता है तब उसे बख्शा नहीं जा सकता और इस संबंध में सजा का प्रावधान होना ही चाहिए।