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नेशनल हेराल्ड मामला: वकील ने गवाह पर पूछा सवाल, सुब्रमण्यम स्वामी बोलेः राहुल ने भी किया संपर्क

नई दिल्ली, 30 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। नेशनल हेराल्ड मामले में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का शुक्रवार को दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में क्रास-एग्जामिनेशन किया गया. स्वामी का क्रास एग्जामिनेशन सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से वकील आरएस चीमा और तरन्नुम चीमा ने किया. इस मामले पर अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी.

क्रास-एग्जामिनेशन के दौरान चीमा ने स्वामी को एक अप्रैल 2008 का नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज अखबारों को दिखाया जिसमें दोनों अखबारों के प्रकाशन को अस्थाई रूप से बंद करने की बात थी. चीमा ने स्वामी से पूछा कि क्या आपने उस दिन के संपादकीय को हू-ब-हू अपनी याचिका में लगाया था. स्वामी ने कहा कि हमने उस आलेख के वेबलिंक का पूरा एड्रैस दिया है. हम कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.

स्वामी ने कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन 7 अप्रैल 2016 से दूसरी जगह से शुरू किया गया. ये कोर्ट की ओर से समन जारी करने के बाद शुरू किया गया, इसलिए यह साफ है कि आठ साल बीत जाने के बाद काफी सोच-समझकर इसे शुरू किया गया. जब प्रकाशन बंद किया गया था तो अखबार के सभी कर्मचारियों को वीआरएस दे दिया गया था. स्वामी ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि डीडीए और शहरी विकास मंत्रालय ने हेराल्ड हाउस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी थी. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

स्वामी के इस बयान का वकील चीमा ने विरोध किया. उन्होंने स्वामी से पूछा कि आपको कब पता चला कि नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन शुरू हो गया? स्वामी ने कहा कि जब इसके बारे में अखबारों में विज्ञापन दिया गया. लेकिन हमने अपने बयान मे इसका जिक्र नहीं किया था कि नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन फिर शुरू किया गया. हमने इसके बारे में कुछ नहीं लिखा. स्वामी ने कहा कि यह कहना गलत है कि हमने ऐसी तस्वीर बनाई कि अखबार स्थायी रूप से बंद हो गया है.

चीमा ने पूछा कि क्या आप एजेएल के 2010-11 के बैलेंस शीट पर भरोसा करते हैं? स्वामी ने कहा कि हम पहले उस पर भरोसा नहीं करते थे, लेकिन जब हमारे गवाह ने वह हमे दिया, तब हमें भरोसा हुआ. स्वामी ने कहा कि बैलेंस शीट से ऐसा कहीं नहीं लगा कि बंदी स्थायी नहीं थी. चीमा ने कहा कि क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस ने एजेएल की मदद कर अपना कर्तव्य पूरा किया है. स्वामी ने कहा कि अखबार को बंद करने की जान-बूझकर योजना बनाई गई.

उल्लेखनीय है कि 4 फरवरी को सुब्रमण्यम स्वामी का क्रास-एग्जामिनेशन किया गया था. उसके बाद कई बार क्रास-एग्जामिनेशन टाला गया. क्रास-एग्जामिनेशन के दौरान चीमा ने स्वामी से पूछा था कि क्या अभियुक्तों द्वारा नेशनल हेराल्ड को स्थायी रूप से बंद करना केस का मुख्य सार है. स्वामी ने इससे इनकार किया था. स्वामी ने कहा था कि हमने ऐसा कभी नहीं कहा कि नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन हमेशा के लिए बंद कर दिया गया. स्वामी ने कहा, हमने कहा था कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) ने नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन रोक दिया है. उन्होंने कहा था कि हमने जे गोपालकृष्णन पर भरोसा किया था और गोपालकृष्णन ने राहुल गांधी के ई-मेल पर भरोसा किया था. स्वामी ने कहा था कि हमने अपने साक्ष्य में कभी नहीं कहा कि नेशनल हेराल्ड स्थायी या अस्थायी रुप से बंद कर दिया गया है. बंद करने के पीछे एजेएल को यंग इंडियन द्वारा खरीदने की मंशा थी.

स्वामी के मुताबिक कांग्रेस नेताओं द्वारा एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को 90 करोड़ लोन देने की बात फर्जी है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यंग इंडिया को आदेश दिया था कि 414 करोड़ रुपये की आय को छिपाया गया. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यंग इंडिया को आदेश दिया था कि इस आय पर टैक्स चुकाएं. स्वामी ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इस आदेश का हवाला देते हुए कांग्रेस नेताओं की एजेएल से डील को फर्जी बताया था.

सुब्रह्ण्यम स्वामी का आरोप है कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 16 सौ करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया. सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ अपनी याचिका में स्वामी ने लिखा है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को एजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है.

स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी थी, इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. जबकि गांधी परिवार ने दलील दी थी कि उन्हें बेवजह प्रताड़ित करने के मकसद से अदालत के समक्ष याचिका लगाई गई है. जिन दस्तावेजों की स्वामी मांग कर रहे हैं, वह कांग्रेस पार्टी और एजेएल के गोपनीय दस्तावेज हैं. यह दस्तावेज स्वामी को नहीं दिए जाने चाहिए.

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