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नायडू ने निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा: मामले को और मत उलझाइये

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। राज्ससभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों से सोमवार को ‘‘मामले को और न उलझाने’’ की अपील करते हुए कहा कि वह (विपक्षी सदस्य) उस कार्रवाई का बचाव कर रहे हैं जो बचाव करने योग्य नहीं है।

उच्च सदन में जब विपक्षी सदस्यों ने बारह सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर हंगामा शुरू किया तब अप्रसन्नता जताते हुए सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा ‘‘मामले को और मत उलझाइये। आप उस कार्रवाई का बचाव कर रहे हैं जो बचाव करने योग्य नहीं है।’’

सदस्यों के हंगामा जारी रखने पर सभापति ने पूछा ‘‘क्या आप नहीं चाहते कि सदन चले ? आप आसन की बात नहीं सुन रहे हैं। आप मेरी बात नहीं सुन रहे हैं। ‘‘

उन्होंने कहा कि जब सदस्य (आसन के समक्ष) खड़े हों, ऐसे में वह कार्यवाही को नहीं चलाना चाहते। उन्होंने कहा ‘‘सदन में ऐसी स्थिति नहीं है कि कामकाज हो सके। इसलिए मैं सदन की बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित करता हूं।’’

इससे पहले सदन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने बारह सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने की मांग करते हुए कहा कि समाधान के लिए विपक्ष सरकार से लगातार अनुरोध कर रहा है। उन्होंने कहा ‘‘सरकार हमें आदेश नहीं दे सकती कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। वे बार बार हमारा अनुरोध ठुकरा रहे हैं और हम पर ही दोष मढ़ रहे हैं। यह ठीक नहीं हैं। ‘‘

सरकार पर अड़ियल रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए खड़गे ने कहा ‘‘वे हमें सदन में व्यवधान उत्पन्न करने के लिए उकसा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि इसके विरोध में वह और उनकी पार्टी के सदस्य सदन से वाकआउट कर रहे हैं।

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य आनंद शर्मा ने कहा कि पिछले सप्ताह सभापति ने सरकार और विपक्षी सदस्यों से मिल बैठ कर एक रचनात्मक समाधान निकालने को कहा था जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो। उन्होंने कहा ‘‘हम सरकार से प्रतिक्रिया का अनुरोध करते हैं।’’

द्रमुक सदस्य तिरुचि शिवा ने कहा ‘‘विपक्ष चाहता है कि सदन में सामान्य तरीके से कामकाज हो लेकिन यह सरकार की जिम्मेदारी है (बारह सदस्यों के निलंबन का) प्रस्ताव उन्होंने पेश किया था, इसलिए गतिरोध दूर करने का रास्ता उन्हें ही खोजना होगा।’’

इस पर सभापति नायडू ने कहा कि अगर दोनों पक्ष एक साथ आ कर कोई समाधान तलाशते हैं तो सदन में सामान्य तरीके से कामकाज हो सकता है। उन्होंने कहा ‘‘मुझे उम्मीद है कि हर कोई यह समझेगा।’’

सभापति ने शून्यकाल के तहत माकपा की झरना दास वैद्य को अपना मुद्दा उठाने के लिए कहा। झरना ने अपना मुद्दा उठाना शुरू किया। लेकिन इस बीच हंगामा तेज हो गया और उनकी बात सुनी नहीं जा सकी।

सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शून्यकाल चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा ‘‘आप कुछ भी थोप नहीं सकते। अब संसदीय मानकों की बात करने वाले सदस्यों की क्या प्रतिक्रिया है ?’’

उन्होंने कहा ‘‘कुछ सदस्य जिम्मेदार हैं और कुछ सदस्य ज्यादा जिम्मेदार हैं। आप आसन पर कुछ भी मत थोपिये।’’

नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों की ओर संकेत करते हुए विपक्ष के नेता से कहा ‘‘क्या यह सम्मान है?’’

उन्होंने कहा ‘‘यह तरीका नहीं है सदन चलाने का। मैं ऐसी स्थिति में सदन नहीं चला सकता जब सदस्य खड़े हों। क्या आप ऐसा चाहते हैं? मुझे पता है कि क्या करना है। आप आसन की बात नहीं सुन रहे हैं। आप मेरी बात नहीं सुन रहे हैं।’’

सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

 

 

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