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जम्मू-कश्मीरः शाह के दौरे से फिर बदलेंगे हालात

-योगेश कुमार सोनी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

बीते दिनों हुए जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी हमले से एक बार फिर वहां का माहौल खराब हो गया था, जिसके बाद राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। इस तीन दिवसीय दौरे में अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की जनता को उसकी सुरक्षा व तरक्की के लिए आश्वस्त किया। सरकार द्वारा किये हुए कामों को भी बताया व जनता में विश्वास की भावनाओं को बनाए रखने के लिए गृह मंत्री ने यहां तक कहा कि ‘मैं कश्मीर के युवाओं से दोस्ती करना चाहता हूं। इसलिए बिना बुलेटप्रूफ आपके बीच आया हूं। आप अपने दिल से खौफ निकाल दीजिए।’

इसके अलावा शिक्षा पर बात करते हुए कहा कि पहले यहां मात्र तीन मेडिकल कॉलेज थे लेकिन अब यहां सात और नए कॉलेज बन गए जिससे अलगाववादी व हुर्रियत नेताओं की दुकानदारी बंद हो गई क्योंकि लोगों से मोटी रकम वसूलकर यहां के युवाओं को पाकिस्तान के कॉलेजों में भेजा जाता था। गृहमंत्री के दौरे को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे और जिस बात का अंदाजा था उन्हीं मुद्दों पर आधारित बातें थी। सरकार के अनुसार इस दौरे के बाद जनता में आतंकियों के प्रति डर कम होगा व आतंकियों में एक बार फिर भय का माहौल बनेगा।

दरअसल, इस बार आतंकी दहशत फैलाने के लिए सुरक्षा बलों और प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया रहे हैं। घटनाओं के बाद से ही लगातार सुरक्षा बल चुनौतियों से निपट रहा है। सरकार ने सुरक्षा को और दुरुस्त करने के लिए सेना को पूर्ण रूप से अनुमति दे रखी है कि आतंकवाद को पनपने से पहले ही खत्म कर दिया जाए। धारा 370 हटने के बाद सभी आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं और ऐसी स्थिति पहली बार बनी है। चूंकि जम्मू-कश्मीर से लगातार अच्छी खबरें आने लगी थी जो देश में बैठे गद्दारों व पाकिस्तान को बर्दाश्त नहीं हो रही थी।

दरअसल कुछ समय पहले भारतीय सेना ने बताया कि अब आतंकियों को कश्मीर के लोगों का समर्थन नहीं मिल रहा है। पिछले कुछ समय से यहां के युवाओं ने आतंकी संगठनों को ज्वाइन नहीं किया बल्कि इसके विपरीत सेना में भर्ती होने के लिए अपना पंजीकरण करा रहे हैं। इस आधार पर यह तय हो जाता है कि यहां के नागरिक अब शांति व खुशहाली से जीवन जीना चाहते हैं। सेना के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया था कि आतंकवादी इन इलाकों में सिर्फ सनसनी फैलाए रखना चाहते हैं। हमेशा से पाकिस्तान का गुणगान करने वाले अलगाववादी नेता इस तरह का प्रोपगेंडा चलाते हैं जिससे यहां वो आतंकवाद के नाम पर अपनी रोजी-रोटी चलाते रहें लेकिन स्थानीय लोगों ने समर्थन देना बंद कर दिया जिससे आतंकवाद की कमर टूट गई थी।

इस साल व पिछले वर्ष सेना में भर्ती के लिए राज्य के दस हजार युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया। उससे पिछले वर्ष यह पांच हजार के लगभग था और उससे पहले बहुत ही कम होता था। लगातार बढ़ रहे आंकड़ों से सबसे ज्यादा झटका उनको लगा है जो यहां लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करके जहर की खेती कर रहे थे। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल से ही यह बदलाव की बयार बड़े स्तर पर देखने का मिल रही थी। विगत दिनों अनुच्छेद 370 के हटने से यहां के लोगों ने और ज्यादा आजादी महसूस की जिससे इनको इस बात की प्रामाणिकता मिल गई अब यहां के हालात बिल्कुल गए बदल गए।

इस बात की जानकारी बहुत ही कम लोगों के पास होगी कि अलगाववादियों की सुरक्षा व अन्य जीवन प्रक्रिया पर करोड़ों रुपया खर्च होता था। 2016 मे केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट मे बताया गया था कि 2009 से 2014 तक अलगाववादियों को सुरक्षित स्थलों पर ठहरवाने, देश-विदेश की यात्राएं करवाने व स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के अलावा भी कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती थी जिसका 5 साल में 560 करोड़ रुपये का खर्चा आया था। इस हिसाब से सालाना 112 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इतने बजट से किसी अन्य बड़ी योजना को अंजाम दिया जा सकता था जिससे देश का भला होता। जबकि इन नेताओं का काम सिर्फ पाकिस्तान पक्ष की बातें करना या उनकी चमचागिरी करना था।

बंटवारे से लेकर अब तक हिन्दुस्तान इस दुर्भाग्य से जूझ रहा था लेकिन जब से मोदी सरकार ऐसी घटनाओं को लेकर एक्शन में आई है तब से सब पूरी तरह बदल गया। दरअसल आतंकवादियों ने कभी यह सोचा भी नहीं था कि उनकी जम्मू-कश्मीर में उनकी दुकानदारी एकदम बंद हो जाएगी लेकिन बीते दिनों में जो भी हो रहा है उस पर केन्द्र सरकार को एक बड़े एक्शन ऑफ प्लॉन की जरूरत है। चूंकि अब लोगों को जम्मू-कश्मीर की बदली तस्वीर भाने लगी है। शाह के दौरे के बाद जनता व सेना में एक सकारात्मक ऊर्जा दिखने को मिली लेकिन अभी स्थिति नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण होगा।

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