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बिना किसी अंतर्राष्ट्रीय मान्यता के काबुल की मदद को लेकर दुविधा में पाकिस्तान

नई दिल्ली, 29 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। अफगानिस्तान में संक्रमण सरकार को बगैर किसी अंतरराष्ट्रीय मान्यता के तकनीकी, वित्तीय और विशेषज्ञ सहायता प्रदान करने में पाकिस्तान को तमाम तरह की कठनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से युद्धग्रस्त देश को खाद्य संकट जैसी उभरती चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। यह जानकारी डॉन की रिपोर्ट से उभरकर सामने आई है।

मंगलवार को आर्थिक मामलों के मंत्री उमर अयूब खान की अध्यक्षता में इस्लामाबाद में एक बैठक में, प्रमुख हितधारकों ने क्रैश कार्यक्रमों के तहत क्षमता निर्माण और तकनीकी विशेषज्ञता के माध्यम से नए अफगान प्रशासन का समर्थन करने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार किया, लेकिन बड़ी चुनौती यह थी कि इसे बिना मान्यता के, कैसे पूरा किया जाए।

अफगानिस्तान के साथ आर्थिक सहयोग पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्री सैयद फखर इमाम, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के गवर्नर डॉ रेजा बाकिर, जल और बिजली विकास प्राधिकरण अध्यक्ष सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल मुजम्मिल हुसैन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

जानकार सूत्रों ने कहा कि बैठक में बताया गया कि अफगान प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के तुरंत बाद तकनीकी और वित्तीय विशेषज्ञों के बड़े पलायन द्वारा पैदा हुई शून्यता है।

ब्रेन ड्रेन ने प्रमुख संस्थानों को, विशेष रूप से तकनीकी और वित्तीय प्रकृति के, सुचारू संचालन के लिए बिजली, चिकित्सा और वित्तीय सुविधाओं जैसी आवश्यक सेवाओं को लेने में अक्षम बना दिया।

बैठक में कहा गया है कि एसबीपी प्रबंधन अपने कर्मचारियों को पाकिस्तान में आमंत्रित करके अफगानिस्तान को क्रैश प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की व्यवस्था प्रदान कर सकता है।

इस स्तर पर, अफगान केंद्रीय बैंक अक्षम है और वित्तीय निपटान के लिए तत्काल अंतर्राष्ट्रीय पुनर्गठन और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है।

 

 

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