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बच्चों के यौन उत्पीड़न मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के कार्डिनल पेल की अपील खारिज

मेलबर्न, 21 अगस्त (ऐजेंसी सक्षम भारत)। ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराए गए कार्डिनल जॉर्ज पेल की अपील एक अदालत ने बुधवार को खारिज कर दी। इसके बाद पेल को वापस जेल भेज दिया गया है। इस ऐतिहासिक फैसले पर पीड़ितों ने संतोष जताया है और प्रधानमंत्री ने इसका स्वागत किया है। रोमन कैथॉलिक चर्च में कार्डिनल शीर्ष स्तर का पादरी होता है। पेल को मेलबर्न के बड़े गिरजाघर में 1996 में 13 साल के दो बच्चों के का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में छह साल की सजा सुनाई गई थी। 78 साल के पेल तब मेलबर्न के आर्चबिशप थे। अपील खारिज होने के बाद पेल को छह साल की सजा पूरी करनी होगी। उन्हें तीन साल और आठ महीने तक पेरोल नहीं मिल सकेगी। पेल ने इस सजा के खिलाफ जून में अपील की थी। पिछले साल दिसंबर में एक जूरी ने एक राय से पेल को सेंट पैट्रिक्स कैथड्रल में बच्चों के यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया था। पोप फ्रांसिस के पूर्व शीर्ष सहयोगी पेल अब देश की शीर्ष अदालत में अंतिम अपील करने के बारे में विचार करेंगे। पेल के वकीलों ने अपील पर सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि 13 कारण है जो यह बताते हैं कि उनका क्यों ये अपराध करना असंभव था। उन्होंने ऐसा ही एक कारण बताते हुए कहा कि पेल की पोशाक बहुत भारी थी जिससे उनके लिए यौन उत्पीड़न करना संभव नहीं था। अपील अदालत के तीन न्यायाधीशों ने याचिका और 13 कारणों में से अधिकतर को भी खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने एक राय से अपील के दो आधारों को खारिज किया है जिसमें कहा गया था कि त्रुटिपूर्ण तरीके से मामले की सुनवाई की गई थी। मुख्य न्यायाधीश ऐनी फर्ग्यूसन और न्यायमूर्ति क्रिस मैक्सवेल ने अपील को खारिज किया जबकि न्यायमूर्ति वेनबर्ग ने अपील को सही ठहराया। पेल के पास उच्च न्यायालय में अपील करने के लिए 28 दिन हैं। पेल के एक पीड़ित ने कहा कि वह विधि प्रणाली के आभारी हैं जिस पर सब यकीन कर सकते हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, मेरा संघर्ष आसान नहीं था। मामले में बड़े लोग शामिल थे जिस वजह से यह बहुत तनावपूर्ण रहा। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि अदालत के फैसले की पृष्ठभूमि में पेल से ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया सम्मान वापस लिया जा सकता है। मॉरिसन ने कहा कि उनकी सहानुभूति समूचे ऑस्ट्रेलिया के पीड़ितों के साथ है। प्रधानमंत्री ने कहा, अदालत ने अपना काम कर दिया है। उन्होंने अपना फैसला दे दिया है। इस देश की न्याय व्यवस्था का सम्मान किया जाना चाहिए।

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