राजनैतिकशिक्षा

सबसिडी सदुपयोग का नया अध्याय

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के गरीब, किसान और कमजोर वर्ग की मुठ्ठियों में सबसिडी पहुंचाने के लिए सरकार नई डिजिटल टेक्नोलॉजी का सफलतापूर्वक उपयोग कर रही है। गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वीडियो कान्फ्रेंसिंग के द्वारा ई-रुपी वाउचर लांच करके सरकार की कल्याण योजनाओं से लाभार्थियों को अधिकतम उपयोगिता देने और सरकारी सबसिडियों के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने का नया अध्याय लिखा गया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यद्यपि स्वास्थ्य मंत्रालय की योजनाओं की रकम के हस्तांतरण के लिए ई-रुपी की शुरुआत की गई है, लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल अन्य सरकारी सबसिडी जैसी योजनाओं में भी किया जाएगा। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि यद्यपि इससे पहले प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) राशि सीधे लाभार्थी के खाते में जमा होती रही है।

अब तक डीबीटी के जरिए 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को फायदा मिला है जिनमें पीएम किसान सम्मान निधि, सार्वजनिक वितरण सेवाएं, एलपीजी गैस सबसिडी आदि योजनाएं शामिल हैं। लेकिन डीबीटी के तहत हस्तांतरित की गई राशि को निकालकर उपभोग आदि के मकसद से भी इसका इस्तेमाल करना संभव था। लेकिन ई-रुपी के कारण लाभार्थियों के द्वारा प्राप्त सबसिडी का किसी भी तरह अन्य मकसद के लिए उपयोग नहीं हो सकेगा। गौरतलब है कि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर वित्तीय सेवाओं के विभाग, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से ई-रुपी को प्रस्तुत किया है। खास बात यह है कि ई-रुपी को पूरी तरह से कैशलेस और संपर्क रहित बनाया गया है। ई-रुपी के माध्यम से एक समान राशि वाला वाउचर सीधे लाभार्थी के मोबाइल फोन पर एसएमएस स्ट्रिंग या क्यूआर कोड के रूप में भेजा जाता है। लाभार्थी को यह एसएमएस या क्यूआर कोड विशिष्ट केंद्रों को दिखाना होता है जहां उसे मोबाइल नंबर पर भेजे गए कोड के साथ भुनाया जा सकता है। ई-रुपी बिना किसी कार्ड या नेट बैंकिंग के डिजिटल तरीके से लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं को जोड़ता है। ई-रुपी व्यवस्था में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान हो। इतना ही नहीं ई-रुपी की प्रकृति प्री-पेड है।

ऐसे में यह किसी भी मध्यस्थ की भागीदारी के बिना सेवा प्रदाता को समय पर भुगतान सुनिश्चित करता है। उल्लेखनीय है कि देश में नई टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर उपयोग 6 वर्ष पूर्व शुरू हुए डिजिटल भारत अभियान के बाद छलांगे लगाकर तेजी से बढ़ा है। देश में ‘डिजिटल भारत’ अभियान के बाद अब टेक्नोलॉजी के कारण विभिन्न काम बहुत आसान और बहुत तेज गति से पूरे होते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि जनधन खातों, आधार और मोबाइल (जैम) के जरिए देश में जन कल्याण के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। देश में करीब 41 करोड़ से अधिक जनधन खाते हैं। 129 करोड़ से अधिक लोगों के पास आधार कार्ड हैं और आम आदमी की मुठ्ठियों में मोबाइल हैं। मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडिया ट्रेफिक (एमबीट) इंडेक्स 2021 के मुताबिक डेटा खपत बढने की रफ्तार पूरी दुनिया में सबसे अधिक भारत में है। ट्राई के मुताबिक जनवरी 2021 में भारत में ब्राडबैंड उपयोग करने वालों की संख्या बढकर 75.76 करोड़ पहुंच चुकी है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि मोदी सरकार के द्वारा जैम के माध्यम से सरकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों के खाते में सीधे धन जमा किए जाने से सबसिडी से संबंधित भ्रष्टाचार में कमी आई है। इसमें भी कोई दो मत नहीं हैं कि देश के आम आदमी की डिजिटल पहचान तथा डीबीटी ने आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अकल्पनीय लाभ दिए हैं। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल सरकार के 54 मंत्रालयों द्वारा 315 डीबीटी योजनाएं संचालित होती हैं। देश में डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ रहा है। भारत बिल भुगतान प्रणाली, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह, आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली और तत्काल भुगतान सेवा सहित अन्य भुगतान के तरीकों से किए जाने वाले भुगतान में भी तेज वृद्धि हुई है।

इन सबके लाभ हर कोई अनुभव कर रहा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 के बीच सरकार ने गरीबों को दी जाने वाली धनराशि और किसानों को दिया जाने वाला भुगतान 100 फीसदी सीधे उनके खाते में पहुंचाकर भ्रष्टाचार पर बड़ा वार किया है। इसी प्रकार रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को कम करने में कई सरकारी सेवाओं के लिए डिजिटल पेमेंट की अहम भूमिका है। टेक्नोलॉजी के सहारे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए देश के विजिलेंस सिस्टम को दुरुस्त किया गया है। कालाधन और बेनामी संपत्ति पर कठोर कानून बनाए गए हैं, इनकम टैक्स और जीएसटी को पारदर्शी बनाया गया है। इन सबके अलावा कोरोना वैक्सीनेशन के संपूर्ण कार्य में टेक्नोलॉजी की लाभप्रद भूमिका देश के करोड़ों लोगों के द्वारा देखी जा रही है। यदि हम देश में पिछले 5-6 दशकों में गरीब और विभिन्न वर्गों के लिए लागू की गई कल्याण योजनाओं को देखें तो पाते हैं कि कल्याण योजनाओं का बड़ा भाग भ्रष्टाचार में चला जाता था। लाभार्थी की मुठ्ठियों में सबसिडी का कुछ भाग ही आता था। ऐसे में ई-रुपी कल्याण सेवाओं के तहत सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल हो सकता है। ऐसे में अब टेक्नॉलॉजी के उपयोग से देश में भ्रष्टाचार की चिंताजनक स्थिति को बदलने के लिए भी बहुआयामी कदम जरूरी हैं। वस्तुतः रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार केवल कुछ रुपयों की ही बात नहीं होती है, इसका सबसे ज्यादा नुकसान देश का गरीब व ईमानदार व्यक्ति उठाता है तथा देश के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। निःसंदेह भ्रष्टाचार से देश के विकास को ठेस पहुंचती है।

इनसे सामाजिक संतुलन तहस-नहस होता है। देश की व्यवस्था पर जो भरोसा होना चाहिए, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार उस भरोसे पर हमला करते हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि सरकार ने अब तक रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, किंतु अब टेक्नोलॉजी के माध्यम से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए नई रणनीति जरूरी है। हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री ने 2 अगस्त को स्वास्थ्य योजनाओं के तहत धन के हस्तांतरण हेतु जिस ई-रुपी को लांच किया है, वह सरकार के द्वारा चलाई जा रही अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी उपयोग में लाया जाएगा। खासतौर से इसका उपयोग मातृ और बाल कल्याण योजनाओं के तहत दवाएं और पोषण संबंधी सहायता, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, उर्वरक सबसिडी इत्यादि देने की योजनाओं में लाभप्रद होगा। साथ ही राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के द्वारा कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व कार्यक्रमों के तहत ई-रुपी का उपयोग किया जाना भी लाभप्रद होगा। हम उम्मीद करें कि ई-रुपी अब कल्याणकारी योजनाओं में धन के दुरुपयोग को रोकने में मील का पत्थर साबित होगा। इससे देश में गरीब और जरूरतमंद लोगों के चेहरों पर अधिक मुस्कुराहट आ सकेगी।

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