जेल में रचनात्मक कार्य से कैदियों को मुख्यधारा में वापस आने में मदद मिलेगी: न्यायाधीश
नागपुर, 19 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। नागपुर के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस सी मोरे ने कहा कि अगर कैदी जेल की सजा के दौरान रचनात्मक और कलात्मक कार्यों में शामिल होते हैं तो इससे उन्हें अपनी मानसिकता बदलने और मुख्यधारा में वापस आने में मदद मिलेगी। यहां केंद्रीय कारागार के कैदियों द्वारा बनाई गई राखियों, लकड़ी के सामानों और कपड़ों की प्रदर्शनी का बुधवार को उद्घाटन करने के बाद उन्होंने यह बात कही। मोरे ने कैदियों के रचनात्मक कार्यों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘मुझे पता नहीं था कि इस जेल में कलाकार भी हैं। अगर जेल में उनका समय अच्छा कार्य करने में व्यतीत हो तो उनके स्वभाव में बदलाव आएगा।’’ जेल अधीक्षक अनूप कुमार ने बताया कि जेल प्रशासन कैदियों को अपनी छिपी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि जेल के कारखाना खंड में कैदियों द्वारा सामान तैयार किए जाते हैं। इन्हें अपने छिपे हुए कौशल को निखारने के लिए कई तरह के प्रशिक्षण दिए गए हैं। जेल की उपाधीक्षक दीपा आगे ने कहा कि नागपुर जेल में छह कारखाने थे, जो पहले सालाना छह करोड़ से ज्यादा का राजस्व अर्जित कर रहे थे। कोविड-19 महामारी के बाद राजस्व गिरकर इस साल 1.20 करोड़ तक हो गया।