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भारी मन से उपराष्ट्रपति पद स्वीकारा: वेंकैया

चेन्नई, 11 अगस्त (सक्षम भारत)। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि वह राजनीति में नहीं हैं लेकिन अभी भी सार्वजनिक जीवन में सक्रिय है। श्री नायडू के उप राष्ट्रपति पद पर दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करने पर लिखी गयी एक पुस्तक का विमोचन रविवार को यहां गृह मंत्री अमित शाह ने किया । इस मौके पर श्री नायडू ने कहा कि वह इस समय एक राजनीतिक पार्टी के सदस्य नहीं हैं।

श्री नायडू ने कहा कि उन्होंने उपराष्ट्रपति का पद भारी मन से स्वीकार किया था क्योंकि वह यह जानते थे कि इस पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद वह न तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दफ्तर नहीं जा सकेंगे और कार्यकर्ताओं से भी नहीं मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि वह अब राजनीति में नहीं है लेकिन सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं।

श्री नायडू ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह उपराष्ट्रपति बनेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि जब उन्होंने उपराष्ट्रपति पद का दायित्व संभाला था तो उनकी आंखों में आंसू थे क्योंकि इस पद पर रहने के बाद वह पार्टी कार्यालय नहीं जा सकते थे। श्री नायडू ने कहा, मुझे मंत्री पद छोड़ने का दुख नहीं था लेकिन जब मुझे उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया उस वक्त मैंने भारी मन से भाजपा कार्यालय को छोड़ा।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह कभी उनके आगमन के बारे में लोगों को दीवारों पर लिखकर सूचनाएं दिया करते थे लेकिन अब इसका बात का गर्व है कि वह एक दिन वह उनके बगल वाली सीट पर बैठे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा मैं एक आम नागरिक था और भाजपा ने मुझे शहरी तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्री और सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय का जिम्मा दिया। इसके बाद उपराष्ट्रपति पद का दायित्व सौंपा। श्री नायडू ने कहा कि भाजपा ने इससे पहले उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी नियुक्त किया था।

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