राजनैतिकशिक्षा

कोरोना का रक्स और ऑक्सीजन

-डा. वरिंदर भाटिया-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

कोरोना के बढ़ते मामले अत्यंत चुनौती भरा सामाजिक संकट है। इतिहास साक्षी है कि जब कभी इस महान देश के ऊपर कभी राष्ट्रीय संकट आया तो समाज के सभी वर्गों ने निहित हितों से उठ कर नेतृत्व की सहायता की है। समाज के लिए चुनौती बने कोरोना संकट के चलते विद्वान पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनोमोहन सिंह ने 18 अप्रैल को प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें कोरोना की दूसरी लहर से लडने के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं। इस पत्र में डा. मनमोहन सिंह जी ने देश में कोरोना वैक्सीनेशन पर खास जोर देते हुए कहा है कि यह इस महामारी से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है। देश में कोरोना की वैक्सीनेशन की गति को और बढ़ाने और इसे विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने इस पत्र में कहा है कि वैक्सीनेशन के निरपेक्ष आंकड़ों को बढ़ाने पर जोर न दें। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों से यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अगले 6 महीने में कितनी वैक्सीन का ऑर्डर दिया जाएगा और कैसे इनका वितरण किया जाएगा। सिंह ने अपना यह पत्र पीएम मोदी को उस समय लिखा जब देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। देश में एक दिन के आधार पर आने वाले नई मरीजों की संख्या हर दिन नया रिकॉर्ड बना रही है।

देश के अनेक हिस्सों में कोरोना का खतरनाक रक्स यानी तांडव जारी है। भारत में वीकली पॉजिटिविटी रेट में काफी बढ़ोतरी हुई है। वीकली पॉजिटिविटी रेट जहां 11 से 17 मार्च के बीच 3.05 फीसदी था, अब वह बढकर 13.54 फीसदी हो गया है। यानी करीब 10.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़, गोवा और महाराष्ट्र में हुई है। डा. मनमोहन सिंह का सुझाव व्यक्तिगत होते हुए भी महत्त्वपूृर्ण है। कोरोना संकट को लेकर हमारे आसपास अदम्य हालात बन रहे हैं। उसे देखते हुए कोरोना के खिलाफ रणनीतिक लड़ाई में सामाजिक ताकतों का एक सुर होना जरूरी है।

तभी हम सब इस कोरोना के तांडव का मुकाबला कर सकेंगे। इसके लिए सर्वमान्य स्तर पर एक कारगर योजना बनानी चाहिए। ऐसा सभी राज्यों में भी किया जाए तो बेहतर होगा। इस आलेख के अगले हिस्से में कोरोना से बचने लिए ऑक्सीजन के लेबल के महत्त्व की बात करना ठीक समझ रहा हूं। देश में कोरोना वायरस का प्रकोप बढने के साथ ही लोगों की जान बचाने के लिए मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। शरीर में ऑक्सीजन लेबल घटने से जो स्थिति पैदा होती है, उसे हाइपोजेमिया कहा जाता है। हाल ही में देशभर के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलिंडर के खत्म होने से हाहाकार मच गया था। ऑक्सीजन की कमी से कोरोना मरीजों की मौतों की भी खबरें आईं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हमारे शरीर को ऑक्सीजन की जरूरत क्यों पड़ती है? हवा में इतना ऑक्सीजन है और हम सांस लेते रहते हैं तो भी शरीर में ऑक्सीजन की कमी क्यों हो जाती है? हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का मतलब हमारे खून में ऑक्सीजन की मात्रा है। अगर खून में 75 से 100 मिलीमीटर के बीच ऑक्सीजन है तो इसे सामान्य स्तर माना जाता है।

लेकिन ऑक्सीजन लेवल 60 मिलीमीटर से नीचे है तो इसे सामान्य से कम माना जाता है। तब आपको ऑक्सीजन सप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है। सांस लेने की गति से ऑक्सीजन का क्या संबंध है? एक स्वस्थ युवा प्रति मिनट 12 से 20 बार सांस लेता और छोड़ता है। लेकिन इसकी सही दर प्रति मिनट 6 से 8 बार है। यानी जल्दी-जल्दी सांस लेने के बजाय गहरी सांस लेना फायदेमंद है। अगर आप जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं तो हमें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। गहरी सांस लेने से ऑक्सीजन लेवल कैसे बढ़ता है? जब हम सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन अंदर जाता है और सांस छोड़ते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलता है। यह काम हमारे फेफड़े के सबसे निचले भाग जिसे वायुकोष्ठिका या एल्वियोली कहा जाता है। इसीलिए हमें गहरी सांस लेनी चाहिए ताकि वायु का प्रवाह फेफड़े के निचले हिस्से तक पहुंच सके। हवा एल्वियोली में पहुंचती है तो खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। हम अपने श्वसन तंत्र के जरिए वातावरण में फैली हवा से ऑक्सीजन लेते हैं। यह ऑक्सीजन सीधे हमारे खून में जाता है जो हमारी रक्त वाहिकाओं के जरिए पूरे शरीर में पहुंचता है। यह काम हमारी लाल रक्त कोशिकाओं में होता है जिसका काम ऑक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना है। ऐसे में लाल रक्त कोशिकाएं जितनी तंदुरुस्त होंगी, हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर उतना ही सामान्य होगा।

शरीर में ऑक्सीजन लेवल घटने से जो स्थिति पैदा होती है, उसे हाइपोजेमिया कहा जाता है। इसके कई कारण हैं। जैसे कि प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने के कारण हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना, फेफड़े की कमजोरी के कारण गहरी सांस लेने में अक्षमता जिससे कारण सभी कोशिकाओं और उत्तकों को पर्याप्त ऑक्सीजन का नहीं मिल पाता है, खून के प्रवाह में इतना जोर नहीं रहना कि वो फेफड़ों से ऑक्सीजन जमा करके पूरे शरीर में भेज सके। इनकी भी वजहें हैं। जैसे अस्थमा, दिल की बीमारी, एनीमिया, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां, न्यूमोनिया, खून जमने जैसी परेशानियों के कारण धमनियों का सिकुडना, सीने में हवा या गैस की मौजूदगी के कारण फेफड़े का सिकुडना, फेफड़ों में द्रव्य की ज्यादा मात्रा, गहरी नींद का अभाव, नींद और दर्द की दवा का ज्यादा उपयोग आदि। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होते ही कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि किसी तरह की परेशानी से बचा जा सके।

आइए जानते हैं कि हमें ऑक्सीजन लेवल मेंटेन करने के लिए क्या करना चाहिए जैसे की कोशिश करके ताजी हवा में सांस लें। इसके लिए घर की खिड़कियां खुली रखें। बालकनी के दरवाजे खुले रखें। बालकनी में बैठें भी। घर से बाहर निकलें, पार्क या किसी अन्य हरी-भरी जगहों पर जाएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। खून में ऑक्सीजन पहुंचाने और शरीर से कॉर्बन डाइऑक्साइड निकालने के लिए हमारे फेफडों को हाइड्रेशन की जरूरत पड़ती है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं ताकि शरीर में इसकी कमी नहीं हो। ध्यान रहे कि हमारा शरीर हर दिन औसतन 400 मिलीलीटर पानी सोखता है। आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करें। ऑक्सीजन के लाने-ले जाने का काम हमारी लाल रक्त कोशिकाओं में होता है जिसे तंदुरुस्त रखने के लिए आयरन की जरूरत होती है। अगर आयरन की पर्याप्त मात्रा नहीं मिलेगी तो आप थकान महसूस करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि आयरन के अभाव में कमजोर हुईं आपकी लाल रक्त कोशिकाएं पूरे शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं कर पाती हैं। आयरन की सही मात्रा बरकरार रखने के लिए आपको हरी पत्तेदार सब्जियां, फल खाना चाहिए। कोरोना से बचाव के लिए सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं, इससे जुड़े बचाव के सभी बिंदुओं को हल्के से नहीं लिया जाना चाहिए।

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