अब तक का सबसे रोचक उपराष्ट्रपति पद का चुनाव?
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
संसद का मानसून सत्र शुरू होने के तुरंत बाद राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा हो गया। जिसके कारण रिक्त पद पर उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होने जा रहा है। इस्तीफा देने के बाद से पूर्व उपराष्ट्रपति जयदीप धनखड़ अज्ञातवास में है। इस्तीफा के कारणों को लेकर भी तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी बीच उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई। संसद के दोनों सदनों में पहले ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद एसआईआर को लेकर दोनों सदनों में हंगामा होता रहा। सरकार ने बिना चर्चा के एक दर्जन से ज्यादा बिल हंगामा के बीच पास कर दिये। ऑपरेशन सिंदूर में दोनों सदनों में लगभग 16-16 घंटे की चर्चा हुई। इसके अलावा संसद में कोई कामकाज नहीं हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच में जिस तरह की तनातनी चल रही है। इस बीच सरकार ने एक नया बिल पेश किया। इस बिल को जेपीसी के पास भेज दिया गया है। यदि यह बिल पास हो जाता है, तो केंद्र में जो भी सरकार होगी। वह विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को या किसी भी प्रदेश की राजनीति को अपने ढंग से चलाने में सक्षम हो जाएगी। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय द्वारा विपक्षी दलों के नेताओँ पर 5000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनकी जांच चल रही है। कई नेता और अधिकारी जो नया बिल सरकार लेकर आ रही है उसके अनुसार 30 दिन कोई भी मुख्यमंत्री, मंत्री अथवा प्रधानमंत्री हिरासत में रहता है। ऐसी स्थिति में उसे उसके पद से हटाया जा सकता है। ईड़ी का जो कानून है, उसके अनुसार न्यायालय से जमानत मिलने का कोई प्रावधान नहीं है। ईड़ी के पास असीमित शक्तियां हैं। पिछले कुछ वर्षों में विपक्षी दलों के नेताओं के ऊपर जिस तरीके की कार्रवाई हुई है। उन्हें न्यायालय से जमानत नहीं मिल पाई। कई राज्यों में ईड़ी के कारण विपक्षी दलों की सरकार गिर गई या राजनीतिक अस्थिरता फैल गई। इस बिल को सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों और विपक्षी दलों में इस बात का भय उत्पन्न हो गया है। यह बिल पास हो जाएगा, उसके बाद देश में विपक्षी राजनीतिक दलों और क्षेत्रीय दलों का कोई काम नहीं रह जाएगा। ऐसे विषम स्थिति पर उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होने जा रहा है। सत्ता पक्ष की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल राधाकृष्णन को चुनाव मैदान में उतरा गया है। वह संघ एवं भाजपा से कई दशकों से जुड़े हुए हैं। झारखंड में हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री रहते हुए राजभवन से गिरफ्तार किया गया था। तब वह झारखंड के राज्यपाल थे। जगदीप धनखड़ भी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ाकर राज्यसभा का सभापति बना दिया था। राज्यसभा में उन्होंने किस तरीके से काम किया है। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष जिस तरह से सरकार के ही इशारे पर संसदीय कार्य करते हैं। उससे संसदीय परंपरा मैं विपक्ष मरणासन्न अवस्था में पहुंच गया है। वर्तमान स्थिति में मोदी सरकार गठबंधन की सहायता से चल रही है। राहुल गांधी ने लोकसभा 2024 और विधानसभाओं के चुनावों में जिस तरह की गड़बड़ियों हुई हैं। इसको उजागर कर चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सभी विपक्षी राजनीतिक दल, चुनाव आयोग के खिलाफ एकजुट है। संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल पा रही थी। इसी बीच सरकार द्वारा जो बिल संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया गया है। उसमें 30 दिन तक कोई भी मुख्यमंत्री अथवा मंत्री गिरफ्तार किया जाता है, 30 दिन हिरासत में रहता है। ऐसी स्थिति में उसे बर्खास्त किया जा सकता है। इसको लेकर एनडीए गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल भी सरकार के इस बिल को लेकर कहीं ना कहीं संसय में आ गए हैं। सत्ता पक्ष ने तमिलनाडु के सीपी राधा कृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। इंडिया गठबंधन में फूट डालने और सत्ता पक्ष ने तमिल की राजनीति में एक दांव चला था। विपक्ष ने उसकी पहचाना, विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जो आंध्र प्रदेश से आते हैं। उन्हें उम्मीदवार बनाकर सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती दे दी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच में शह और मात का जो खेल शुरू हुआ है, उसका परिणाम क्या होगा, कहना मुश्किल है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के दोनों उम्मीदवार एक दूसरे को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं। जिस तरह का संघर्ष सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिल रहा है वह रोमांचकारी है। विपक्ष संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ सीधी लड़ाई में जनता की अदालत में लड़ाई लड़ रहा है। सत्ता पक्ष अभी तक संवैधानिक संस्थाओं और अदालतों के पीछे छिपकर जो खेल खेल रहा था, उसे विपक्ष ने समझ लिया है। विपक्ष जनता की अदालत में जाकर आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में जुट गया है। चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर को लेकर जो नियम और कानून बनाए थे। राहुल गांधी ने कर्नाटक की एक लोक सभा सीट के एक विधानसभा सीट में चुनाव आयोग द्वारा की गड़बड़ी उजागर किया है। संविधान और लोकतंत्र बचाने यह की एक लड़ाई बना दिया है। इस लड़ाई में उपराष्ट्रपति पद का चुनाव देश के भविष्य को तय करेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है। विपक्षी एक जुटता ने सरकार के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी है। खुदा ना खास्ता विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी यह चुनाव जीत जाते हैं, या बहुत कम वोटो से हारते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार के लिए भविष्य में परेशानी खड़ी होगी। केन्द्र की अल्पमत की सरकार कितने दिन चलेगी। यह कहना मुश्किल होगा। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से जिस तरह से इस्तीफा लिया गया है। उसको लेकर भी सांसदों में एक डर और भय देखने को मिल रहा है। भविष्य में इसकी परणति किस रूप में होगी, कहना मुश्किल है। इतना तय है, सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने अस्तित्व की अंतिम लड़ाई लड़ने जा रही है। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव परिणाम का ऊंट किस करवट बैठेगा। इसको लेकर सत्ता पक्ष की धड़कने तेज हो गई हैं।