राजनैतिकशिक्षा

क्या ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा सकते हैं?

-राजेश कुमार पासी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा की थी कि वो सत्ता में आते ही 24 घंटे में रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा सकते हैं। चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने अपनी इस घोषणा को दोहराया है। अब सवाल उठता है कि क्या सच में ट्रंप इस युद्ध को 24 घंटे में रुकवा सकते हैं। दूसरा सवाल यह है कि ट्रंप इस युद्ध को क्यों रोकना चाहते हैं जबकि यूक्रेन को युद्ध के लिए उकसाने वाला अमेरिका ही है। देखा जाए तो युद्ध हमेशा अमेरिका के लिए फायदेमंद रहा है फिर चाहे वो प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध ही क्यों न रहे हों। युद्धों से अमेरिका का हथियार उद्योग फलता-फूलता है इसलिये अमेरिका को युद्ध फायदेमंद दिखाई देते हैं।

अगर निष्पक्ष रूप से विश्लेषण किया जाए तो पता चलेगा कि ज्यादातर युद्धों के पीछे अमेरिका का हाथ रहा है। अगर यूक्रेन को अमेरिकी समर्थन नहीं मिलता तो वो कभी भी युद्ध के लिए रूस को उकसाने की कोशिश नहीं करता। बाइडेन सरकार इस युद्ध को अमेरिका के हितों के लिए अच्छा मानती है तो डोनाल्ड ट्रंप इस युद्ध को अमेरिकी हितों के खिलाफ मानते हैं। वास्तव में बाइडेन रूस को अमेरिका का नम्बर एक दुश्मन मानते हैं तो ट्रंप रूस की जगह चीन को अमेरिका का दुश्मन नम्बर एक मानते हैं। इसलिए किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि ट्रम्प दुनिया में शांति लाना चाहते हैं क्योंकि वैश्विक शांति अमेरिका के हितों के खिलाफ है। वास्तव में ट्रंप विश्व शांति के लिए नहीं बल्कि अमेरिकी हितों की सुरक्षा के लिए इस युद्ध को रुकवाना चाहते हैं तो दूसरी तरफ बाइडेन भी अमेरिकी हितों की सुरक्षा के लिए युद्ध को रोकना नहीं चाहते। अब सवाल उठता है कि डोनाल्ड ट्रंप को ये युद्ध अमेरिकी हितों के खिलाफ क्यों दिखाई दे रहा है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि ट्रम्प अच्छी तरह से जानते हैं कि अमेरिकी जनता इस युद्ध से तंग आ चुकी है और वो अब सवाल कर रही है कि आखिर अमेरिकी सरकार इस युद्ध में उसकी कमाई क्यों फूंक रही है। अमेरिकी जनता अच्छी तरह जानती है कि इस युद्ध में यूक्रेन कभी जीतने वाला नहीं है, इसलिये इस युद्ध को लड़ने का कोई औचित्य नहीं है। जिस युद्ध में हार निश्चित है उसे लड़ना सिर्फ मूर्खता ही कहा जा सकता है. इसलिए अमेरिकी जनता ने चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का साथ दिया है। सैन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि इस युद्ध के कारण अमेरिका के खिलाफ एक सैन्य गठबंधन खड़ा हो रहा है। इस युद्ध ने अमेरिका के दुश्मनों को एक गठबंधन में बांधना शुरू कर दिया है जिससे कि दुनिया में अमेरिकी वर्चस्व को बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि आज रूस की सेना के साथ मिलकर उत्तर कोरिया के दस हजार सैनिक यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं और इन सैनिकों की संख्या आगे बढ़ने वाली है। ईरान अपने आत्मघाती ड्रोन और मिसाइलों से रूस की मदद कर रहा है। चीन और भारत अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह न करते हुए रूस से जमकर तेल खरीद रहे हैं। इन दोनों देशों ने रूस से इतना तेल खरीदा है कि अमेरिका और उसके मित्रों द्वारा रूस पर लगाये गए प्रतिबंध बेअसर साबित हुए हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति चिनपिंग ने ब्रिक्स का विस्तार करना शुरू कर दिया है और ये संगठन आगे चलकर अमेरिका और यूरोपीय देशों के वर्चस्व को खत्म कर सकता है।

इस युद्ध के कारण दुनिया के दो ताकतवर देश चीन और भारत रूस के नजदीक जा रहे हैं जो अमेरिका के लिए खतरे की बड़ी घंटी है। ट्रम्प इस युद्ध के कारण अमेरिका के खिलाफ तैयार हो रहे गठबंधन को रोकना चाहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इस युद्ध के कारण अमेरिका के पास हथियारों की कमी पैदा हो गई है। इस समय अमेरिका के पास सिर्फ 3-4 हफ़्तों तक ही युद्ध लड़ने के लिए हथियार बचे हैं। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के लिए यह चिंता की बड़ी बात है कि अगर अचानक इस हालत में चीन से युद्ध हो जाता है तो अमेरिका की क्या हालत होगी। अमेरिका को यूक्रेन के अलावा इजराइल को भी हथियार देने पड़ रहे हैं इसलिए अमेरिका के लिए जरूरी है कि ये युद्ध खत्म हो जाये।

इस बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता कि इस युद्ध को कोई 24 घंटे में रुकवा सकता है फिर चाहे डोनाल्ड ट्रंप कुछ भी कहते रहे। वास्तव में डोनाल्ड ट्रंप अगर सत्ता में आते ही यूक्रेन को पूरी अमेरिकी मदद रोक भी देते हैं तो भी यूक्रेन रुकने वाला नहीं है। फिर दूसरा खतरा यह है कि बाइडेन सरकार जाते-जाते यूक्रेन को इतनी मदद दे सकती है कि वो कम से कम एक साल तक युद्ध जारी रख सकता है क्योंकि अभी दो महीने तक सत्ता बाइडेन के हाथ में ही रहेगी। इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन सिर्फ अमेरिकी मदद के भरोसे ही रूस से युद्ध नहीं लड़ रहा है बल्कि यूरोपीय देश भी उसकी मदद कर रहे हैं। इसकी क्या गारंटी है कि अगर अमेरिका यूक्रेन की मदद रोक देता है तो यूरोपीय देश भी उसकी मदद बंद कर देंगे। यह ठीक है कि अगर अमेरिका यूक्रेन की मदद बंद कर देता है तो यूरोप के लिए ज्यादा देर तक उसकी मदद करना मुश्किल होगा।

यूरोपियन यूनियन पहले ही यूक्रैन को बड़ी आर्थिक मदद का ऐलान कर चुकी है तो जर्मनी ने अपने हथियार उत्पादन को कई गुना बढ़ा दिया है। उसने कहा है कि हमने अभी तक यूक्रेन को बहुत कम मदद की है. हम इससे कई गुना बड़ी मदद कर सकते हैं। यूरोपीय देश अभी से अमेरिकी मदद बंद होने की संभावना को देखते हुए यूक्रैन की मदद बढ़ाने की घोषणा कर रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है कि क्या सिर्फ यूक्रैन की मदद बंद करके अमेरिका इस युद्ध को रोक सकता है। देखा जाए तो इस समय अमेरिका और रूस में संवादहीनता पैदा हो गई है जो कि वैश्विक शांति के लिए बहुत खतरनाक परिस्थिति है। डोनाल्ड ट्रंप के साथ अच्छी बात यही है कि वो पुतिन से संवाद करना चाहते हैं। वो रूस और यूक्रैन को बातचीत की मेज़ पर ला सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी कहते हैं कि युद्ध का खात्मा बातचीत से ही हो सकता है इसलिए इस मामले में ट्रम्प को भारत की मदद भी मिल सकती है। अब समस्या यह है कि दोनों देशों को समझौते के लिए राजी कैसे किया जाएगा। रूस ने यूक्रैन का बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया है जिसे वो अब छोड़ने वाला नहीं है। दूसरी तरफ यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेन्स्की अपने देश का बड़ा हिस्सा छोड़कर कैसे समझौता कर सकते हैं।

इस युद्ध को रोकना इतना आसान नहीं है जितना डोनाल्ड ट्रंप समझ रहे हैं। जो बाइडेन अभी दो महीने तक सत्ता में हैं और वो इस दौरान बड़ा खेल कर सकते हैं। वैश्विक मीडिया के अनुसार उन्होंने यूक्रैन को रूस पर लंबी दूरी की मिसाइलों से हमला करने की छूट दे दी है। अगर यूक्रैन रूस के अंदर तक इन मिसाइलों से हमला कर देता है तो डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले ही मामला बहुत बिगड़ सकता है। रूस ने घोषणा की है कि अगर उस पर लंबी दूरी की मिसाइलों से हमला होता है तो वो नाटो देशों पर हमला कर सकता है। वास्तव में अभी तक यूक्रैन को सिर्फ अपनी रक्षा करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत थी लेकिन रूस में अंदर तक घुसकर मारने वाले हथियारों के इस्तेमाल की मनाही थी। रूस का मानना है कि यूक्रेन के पास ऐसे हथियार नहीं हैं जिनसे रूस पर हमला किया जा सके। अगर यूक्रेन ऐसे हथियारों से हमला करता है तो रूस मान लेगा कि नाटो देश यूक्रेन से उसके ऊपर हमला कर रहे हैं। ऐसे में उसे नाटो देशों पर हमला करने का पूरा अधिकार होगा। देखा जाए तो अगर रूस नाटो देशों पर हमला करता है तो तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो सकता है। इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस युद्ध में परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल हो सकता है।

ये बड़ी अजीब बात है कि एक तरफ अमेरिका के होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप युद्ध को रुकवाने की कोशिश कर रहे हैं तो अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन युद्ध को भड़काने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं। युद्ध किसी के लिए भी अच्छा विकल्प नहीं है इसलिए हमें उम्मीद करनी चाहिए कि डोनाल्ड ट्रंप सफल हों ताकि दुनिया में शांति की स्थापना हो। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस बार विश्व युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो सकता है इसलिए इसको रोकने की कोशिश होनी चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप के लिए युद्ध रोकना मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव नहीं है। जो बाइडेन के लिए युद्ध भड़काना बहुत आसान है। अमेरिकी जनता को ऐसे व्यक्ति को बड़ा कदम उठाने से रोकना चाहिए जो चुनाव हार चुका है और जनता का विश्वास खो चुका है। ये अमेरिकी लोकतांत्रिक व्यवस्था की बड़ी कमजोरी है कि चुनाव में हार चुका व्यक्ति दो महीने तक अभी सत्ता में रहेगा।

 

 

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