गड़े मुर्दे मत उखाड़ो-वैमनस्य पैदा मत करो
-सनत कुमार जैन-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता और एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय को, नसीहत देते हुए कहा, गड़े मुर्दे मत उखाडो, गड़े मुर्दे उखाड़ने से केवल वैमनस्य पैदा होगा। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हिंदू संस्कृति में कोई कट्टरता नहीं है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। इतिहास को लेकर वर्तमान पीढ़ी को परेशान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष मंच है। हमसे संविधान ओर सभी वर्गों की रक्षा करने की अपेक्षा की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति द्वय ने यह भी कहा हिंदुत्व सिर्फ एक धर्म नहीं जीवन जीने का एक बेहतर तरीका है। हमने सभी संस्कृतियों को आत्मसात कर लिया है।
पिछले कुछ वर्षों से गड़े मुर्दे उखाड़ कर हम अपने इतिहास से सबक लेने के स्थान पर, इतिहास को वर्तमान से बदलने का प्रयास कर रहे हैं। जो ना कभी संभव हुआ है, ना कभी संभव होगा। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से हजारों और सैकड़ों वर्ष पूर्व की घटनाओं को आधार बनाकर हम गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं। गड़े मुर्दों की बात करते रहना, और मुर्दों की तरह असंवेदनशील हो जाना, एक तरह से खुद को मुर्दे की स्थिति में ले जाने के बराबर है। भूत कभी वर्तमान नहीं बन सकता है। वर्तमान को भविष्य बनाया जा सकता है। इतिहास हमारा भूत है, इतिहास से हमें सबक लेने की जरूरत है। इतिहास से सबक लेकर वर्तमान और भविष्य की संरचना को मजबूत करते हैं। इतिहास में जो हमें नुकसान या बेहतर हुआ है। उस को आधार बनाकर, हम बेहतर वर्तमान और बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। हम इतिहास से सबक लेना ही नहीं चाहते हैं। इतिहास को बदलने की ताकत कभी किसी में नहीं रही।
2000 साल पुराना ईसाई धर्म है। 1400 साल पुराना इस्लाम धर्म है। 1001 से 1027 के बीच मोहम्मद गजनबी द्वारा 17 बार भारत में आक्रमण किया गया। 1025 में सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया और मंदिर को लूटा उसके बाद 1175 से लेकर 1206 के बीच में मोहम्मद गोरी का आक्रमण भारत की रियासतों में हुआ। उसके बाद मुगलो की सत्ता बनती चली गई। उस समय भारत की रियासतों में कोई मुस्लिम आबादी नहीं थी। इस्लाम धर्म का प्रचलन भी भारत में नहीं था। विदेशी आक्रमणकारी भारत में आए उन्होंने यहां पर हमला किया और रियासतों पर कब्जा कर लिया। उस समय उनके सैनिकों की संख्या हजारों में भी नहीं होती थी। कई महीनों की यात्रा करके वह भारत तक पहुंचते, और आक्रमण करते थे। तब रियासतों की प्रजा ने कभी अपने राजाओं का साथ नहीं दिया। क्योंकि राजाओं ने अपनी प्रजा का उत्पीड़न किया। आम जनता का संगठन हिंदू राजाओं को नहीं लिया। मुस्लिम आक्रांता राजा बने वह संख्या में बहुत कम थे। उन्होंने प्रजा का संरक्षण हिंदू राजाओं की तूलना में बेहतर किया। जिसके कारण प्रजा के वह लोकप्रिय शासक भी बने। हिंदू रियासत के राजा आपस में लड़ते हुए, खुद मुगलों के मोहरे बने। हमारी धार्मिक एवं सामाजिक व्यवस्थाओं ने हिंदुओं को मुसलमान बनाने का काम किया। हम अपनी मां बेटियों की रक्षा नहीं कर पाए। धार्मिक एवं जातीय आधार पर हुक्का-पानी बंद करके बहिष्कार करते रहे। हमने उन्हें समाज में स्वीकार नहीं किया। गरीबों की मदद नहीं की जिसके कारण धीरे-धीरे वह धर्मपरिवर्तन करने लगे। मुगलों और अंग्रेजों के गुलाब होते चले गए।
पिछले 1000 साल के इतिहास से हमें सबक लेने की जरूरत है। मुट्ठी भर मुगल और मुट्ठी भर अंग्रेज कैसे हमारे ऊपर शासन कर पाए। हम अपने ही लोगों का संरक्षण क्यों नहीं कर पाए। हम इतिहास से सबक लेकर वर्तमान और भविष्य को बेहतर बनाने की कोशिश करते तो निश्चित रूप से भारत सारी दुनिया का मार्गदर्शन और नेतृत्व करने की दिशा में आगे बढ़ता। क्योंकि हमारी सनातन परंपरा सभी जीवों को साथ लेकर सभी जीवों को समान अधिकार देकर अपने साथ लेकर चलती है। पिछले कुछ वर्षों से जनसंख्या को आधार बनाकर हम धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर सत्ता में काबिज होने का जो प्रयास कर रहे हैं। यह मूलत:गलत है। गड़े मुर्दे उखाड़ने पर हम गड़े मुर्दे की तरह असंवेदनशील होंगे। जिस तरह मुर्दे को उठा कर रखना पड़ता है। मुर्दा खुद कोई क्रिया नहीं कर सकता है। इसी तरीके से हम यदि इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़ कर क्या पाना चाहते है। एक मच्छर को तो हम आसानी से मार नहीं पाते हैं। धार्मिक और सामाजिक आधार पर बंटवारा करके, लड़ाई करके ना तो हम उन्हें कभी हरा पाएंगे, ना कभी उनसे जीत पाएंगे। इस बात का हमें ध्यान रखना ही होगा।