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बजट विशेष : रणनीतिक बजट और विकास को तरजीह

-कुमार कृष्णन-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

मोदी सरकार की दूसरी पारी के अंतिम बजट को लेकर कयास लगाये जा रहे थे कि आम चुनाव से पहले इसका स्वरूप लोक लुभावना ही होगा। लेकिन सरसरी तौर पर नजर डालें तो यह रणनीतिक बजट ही है जिसमें अर्थव्यवस्था व विकास को तरजीह देते हुए लक्षित वर्ग को राहत देने का प्रयास हुआ है। यह नहीं कहा जा सकता कि सारी योजनाएं महज वोट बटोरने वाली हैं। वैसे तो पहले ही घोषणा की जा चुकी थी कि कोरोना महामारी के घातक प्रभावों से उपजे रोजगार संकट से उबारने वाली मुफ्त चावल-गेहूं योजना 2024 तक जारी रहने वाली है। अब सरकार ने बजट में घोषणा की है कि अस्सी करोड़ लोगों को लाभ देने वाली योजना के लिये सरकार अगले वित्तीय वर्ष में दो लाख करोड़ खर्च करेगी। लेकिन इस योजना का जारी रखना यह सवाल भी पैदा करता है कि जब अर्थव्यवस्था की बेहतरी के दावे किये जा रहे हैं तो अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने की जरूरत क्यों है?

सवाल यह भी कि क्या यह सरकार की लोकलुभावन पहल है? यह भी कि ये लोककल्याणकारी कदम है या रेवड़ियां बांटने की श्रेणी में है। निस्संदेह सरकार की नजर इस साल नौ राज्यों के चुनावों तथा 2024 में होने वाले आम चुनाव पर है। इन राज्यों में त्रिपुरानगालैंड मेघालय कर्नाटक राजस्थान व छत्तीसगढ़ आदि राज्य शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार का दावा है कि अमृत काल के इस पहले बजट का लक्ष्य समावेशी विकास है। दावा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से बाधित विश्व आपूर्ति श्रृंखला के चलते जब तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंथर गति से आगे बढ़ रही हैं भारत की विकास दर दुनिया में सबसे तेज 6.8 रहेगी। यह भी कि मंदी के अंधियारे में भारत की अर्थव्यवस्था दमकती रहेगी। इसके पक्ष में आईएमएफ व दूसरी वैश्विक एजेंसियों के दावों को दोहराया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि सरकार मान रही है कि अर्थव्यवस्था महामारी के संकट से उबर कर पटरी पर आ चुकी है।

अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश नरेंद्र मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट में सभी तबकों को साधने का प्रयास किया।बजट में अर्थव्यवस्था तथा चुनावी राजनीति दोनों को साधने का काम वित्त मंत्री ने किया है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह मौजूदा उन्होंने जहां एक तरफ मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को आयकर मोर्चे पर राहत देने की घोषणा की वहीं लघु बचत योजनाओं के तहत निवेश सीमा बढ़ाकर बुजुर्गों और नई बचत योजना के जरिये महिलाओं को सौगात दी है। इसके साथ ही बुनियादी ढांचे पर खर्च में 33 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि की करने का भी प्रस्ताव किया है। नई कर व्यवस्था के तहत एक अप्रैल से व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति की आय सात लाख रुपये है उसे कोई कर नहीं देना होगा। अबतक यह सीमा पांच लाख रुपये है। साथ ही कर ‘स्लैब’ को सात से घटाकर पांच किया गया है।

साथ ही अधिकतम अधिभार की दर 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने के बाद कर की दर 42.7 प्रतिशत से घटकर लगभग 39 प्रतिशत रह जाएगी। वित्त मंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों को भी राहत दी। इसके तहत वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत जमा सीमा 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी गयी है। वहीं मासिक आय योजना के तहत जमा सीमा बढ़ाकर नौ लाख रुपये की गयी है। महिलाओं के लिये अलग से नई बचत योजना…महिला सम्मान बचत पत्र की घोषणा की गयी। इसमें दो वर्ष के लिये दो लाख रुपये तक की बचत पर 7.5 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। सीतारमण ने अपना पांचवां पूर्ण बजट ऐसे समय पेश किया जब वैश्विक चुनौतियों के कारण अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ रही है और सामाजिक क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाने के साथ स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को प्रोत्साहन बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने मोबाइल फोन कल-पुर्जों तथा हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये लीथियम बैटरी और अन्य ऐसे सामान के लिये सीमा शुल्क में कटौती की भी घोषणा की। यह अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का अंतिम पूर्ण बजट है। अगले साल फरवरी में अंतरिम बजट यानी लेखानुदान पेश किया जाएगा।

बजट में वित्त वर्ष 2023-24 के लिये पूंजीगत व्यय लगातार तीसरी बार उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया गया है। इसे 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया है जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत बैठता है। यह वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले तीन गुना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से सड़कों और ऊर्जा सहित पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ‘चमकता सितारा’ है। चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान है जो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है। सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक नरमी के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर है। बजट में कुल व्यय 7.4 प्रतिशत बढ़कर 45 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा गया है। राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है। यह चालू वित्त वर्ष के 6.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है। इसका मतलब है कि सरकार को कुल 15.43 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेना पड़ेगा। सीतारमण ने कहा कि 2023-24 के बजट में सात प्राथमिकताएं रखी गयी हैं। ये हैं समावेशी विकास अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचना बुनियादी ढांचा और निवेश सक्षमता को सामने लाना हरित वृद्धि युवा शक्ति तथा वित्तीय क्षेत्र।

बजट में पशुपालन डेयरी और मत्स्यपालन पर जोर के साथ कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया गया है। मझोले और छोटे उद्यमों के लिये कर्ज गारंटी को लेकर 9000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। रेलवे के लिये 2.40 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का प्रावधान किया गया है। यह अबतक का सबसे अधिक पूंजीगत व्यय है। साथ ही 2013-14 में किये गये व्यय के मुकाबले करीब नौ गुना अधिक है। बुनियादी ढांचा और उत्पादक क्षमता में निवेश बढ़ाने का मकसद वृद्धि और रोजगार को गति देना है। छोटे और मझोले शहरों (टियर दो और टियर तीन) में ढांचागत सुविधाएं तैयार करने के लिये शहरी बुनियादी ढांचा विकास कोष (यूआईडीआईएफ) बनाया जाएगा। बजट में ऊर्जा बदलाव यानी स्वच्छ ऊर्जा की ओर तेजी से कदम बढ़ाने और शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिये 35000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली को बढ़ावा देने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत 4000 मेगावॉट घंटा (एमडब्ल्यूएच) क्षमता की बैटरी भंडारण प्रणाली को व्यावहारिक बनाने के लिये वित्त उपलब्ध कराया जाएगा। लद्दाख से 13000 मेगावॉट बिजली के पारेषण के लिये व्यवस्था तैयार करने को लेकर 20700 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। सस्ते मकान उपलब्ध कराने की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत व्यय 66 प्रतिशत बढ़कर 79000 करोड़ किया गया है।

बजट में बुनियादी ढांचे के तहत 50 अतिरिक्त हवाई अड्डों हेलीपोर्ट और जलीय हवाईअड्डों को आधुनिक रूप दिया जाएगा। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के तहत राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय बनाया जाएगा। इसका मकसद सभी क्षेत्रों में सभी आयु वर्ग के लोगों के लिये गुणवत्तापूर्ण पुस्तकें उपलब्ध कराना है। मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने बजट के बारे में कहा ‘‘उच्च महंगाई और वैश्विक चुनौतियों के बीच वित्त वर्ष 2023-24 के लिये कम राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सरकार की वित्तीय स्थिरता और अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की प्रतिबद्धता को बताता है।’’ बजट में उन गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है जो जमानत पाने में असमर्थ हैं। ऐसे गरीब व्यक्तियों की केंद्र सरकार मदद करेगी जो जुर्माना या जमानत राशि देने में असमर्थ हैं। ऐसे कैदियों को केंद्र सरकार की ओर से आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। 2022 में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि वे जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता दें और उन्हें कानून के अनुसार मानवीय आधार पर रिहा करें। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हर जिले में जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति होनी चाहिए ताकि इन मामलों की समीक्षा की जा सके और जहां संभव हो ऐसे कैदियों को जमानत पर रिहा किया जा सके।

बहरहाल सरकार के सामने महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याएं खड़ी हैं। दूसरा इस वित्तीय वर्ष में बजट घाटा 6.4 रहने की बात कही गई है उसे कम करने का दबाव सरकार पर रहेगा। सवाल यह भी है कि एक साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालात तथा पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में उतार-चढ़ाव के बीच क्या हम विकास दर के लक्ष्य सहजता से हासिल कर पायेंगे? क्या हम वैश्विक मंदी और महंगाई से प्रभावित हुए बिना रह सकते हैं। वैसे अच्छी बात है कि सरकार ने मूलभूत सुविधाओं के निर्माण पर होने वाले खर्च में तैंतीस फीसदी की वृद्धि करके इसे साढ़े दस लाख करोड़ कर दिया है। निस्संदेह इससे जहां रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगीवहीं बाजार में निर्माण कार्य में लगने वाली सामग्री की मांग बढ़ने से बाजार को गति मिलेगी। प्रधानमंत्री आवास योजना में 66 फीसदी की वृद्धि को रोजगार व अर्थव्यवस्था को गति देने वाला कदम कहा जा रहा है। वहीं मध्यम वर्ग को आयकर में राहत देकर सरकार ने बड़ा कदम बढ़ाया है। दूसरी ओर खेती के लिये कर्ज डेयरी पशुपालन तथा मछली पालन को प्रोत्साहित करने वाली योजनाएं बजट का हिस्सा हैं। साथ ही बुजुर्गों-महिलाओं को राहत देने वाली घोषणाएं बजट में हैं। खासकर महिला सम्मान बचत पत्र स्कीम उल्लेखनीय है। निस्संदेह नई टैक्स व्यवस्था में सात लाख तक की आय को करमुक्त रखने का प्रस्ताव स्वागत योग्य है लेकिन आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे भविष्य के लिये धन सुरक्षित करने वाली योजनाओं में निवेश कम होगा। पहले कर बचाने के लिये लोग पीएफ बीमा पॉलिसी तथा म्यूचुअल फंड में निवेश करते थे इसमें अब कमी आएगी। बहरहाल देश की जीवन रेखा रेलवे के लिये 2.40 लाख करोड़ का निवेश स्वागतयोग्य कदम है। इसी तरह कृषि कर्ज के लिये लक्ष्य बीस लाख करोड़ करने को किसान एक राहत की तरह देख सकते हैं। ये आने वाला वक्त बताएगा कि अमृतकाल के पहले बजट में सप्तऋषि प्राथमिकताएं धरातल पर कितनी प्रभावी होती हैं। बेहतर होता सरकार दीर्घकालीन विकास के प्रमुख घटक शिक्षा स्वास्थ्य व एमएसएमई सेक्टर के लिये बजट में बड़ी वृद्धि करती।

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