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दूरसंचार, तेल के लिए ऋण ने वीडियोकॉन को डुबाया

मुंबई, 16 जून (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। कभी देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाली वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने जून 2018 में दिवालिया अदालत भेज दिया। उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर तेल उत्पादन करने वाली कंपनी द्वारा ऋण की अदायगी में चूक किए जाने के बाद एसबीआई ने यह कार्रवाई की थी। नैशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के इसी साल जनवरी के आदेश के अनुसार, बैंकों ने कंपनी पर 64,637 करोड़ रुपये के बकाये का दावा किया है।

वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की समस्या दूरसंचार कारोबार में उसके प्रवेश के बाद शुरू हो गई थी और सर्वोच्च न्यायालय ने 2012 में उसके 2जी दूरसंचार लाइसेंस को रद्द कर दिया था। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की दूरसंचार सहायक कंपनियां 2015 तक लेनदारों के कंसोर्टियम को तय किस्तों की अदायगी करती रही थी। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) ने ब्राजील में एक संयुक्त उद्यम (भारत पेट्रोरिसोर्सेज) के जरिये संयुक्त रूप से तेल एवं गैस परिसंपत्तियां खरीदी थीं।

वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी का ऋण बोझ 35,000 करोड़ रुपये से कम था। उसने बैंकों से ऋण लेने के लिए गारंटी (ऑब्लिगेटर के तौर पर) दी थी और इसलिए उसका ऋण बोझ बढ़ता गया। तेल एवं गैस परिसंपत्तियां मुख्य तौर पर सहायक कंपनियों के पास थीं और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की उसमें केवल शेयरधारिता थी। कंपनी आग्रह भी किया था कि उसे ऑब्लिगेटर के दायित्व से मुक्त किया जाए। पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘को- ऑब्लिगेटर की हैसियत के कारण उसके सभी ऋण को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का ऋण माना गया और संयोग से बैंकों का बकाया काफी अधिक था।’

इस बीच, कंपनी का कारोबार प्रभावित होने लगा। वह साल 2018 के बाद अपने कर्मचारियों के बकाये का भुगतान करने में भी असमर्थ हो गई जबकि उसने अपने 6,000 कर्मचारियों में से अधिकतर की छंटनी कर दी थी। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज ने 2008-09 (सितंबर में समाप्त वर्ष) में 10,456 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री (सालाना आधार पर 12 फीसदी की गिरावट) पर 416 करोड़ रुपये का समेकित मुनाफा दर्ज किया जो 60 फीसदी गिरावट को दर्शाता है।

दिसंबर 2011 में समाप्त वित्त वर्ष (15 महीने की अवधि) में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का शुद्ध घाटा बढ़कर 297 करोड़ रुपये हो गया और उसके बाद घाटे में लगातार वृद्धि होने लगी। कैपिटालाइन के अनुसार, मार्च 2019 में समाप्त 12 महीनों के दौरान वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज ने 911 करोड़ रुपये की समेकित शुद्ध बिक्री पर 7,448 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया।

वेदांत समूह की प्रवर्तक कंपनी टि्वन स्टार टेक्नोलॉजिज लेनदारों की 2,962 करोड़ रुपये की पेशकश के तहत वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को हासिल करने में सफल रही। लेकिन वेदांत की पेशकश को एनसीएलएटी द्वारा खारिज किए जाने और लेनदारों की समिति को टि्वन स्टार टेक्नोलॉजिज की समाधान योजना पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिए जाने के बाद उसने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया।

वेदांत की योजना के अनुसार, वित्तीय लेनदारों के दावों को 5 फीसदी से भी नीचे निपटा दिया गया जबकि परिचालन लेनदारों के दावे महज 0.72 फीसदी थे। समाधान योजना को लेनदारों की समिति ने 95.09 फीसदी मतों के साथ मंजूरी दी थी। वेदांत द्वारा एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ अपील किए जाने के बाद मामला फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। इस बीच, बैंकों को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के कंज्यूमर ड्यूरेबल कारोबार के अधिग्रहण के लिए अदाणी समूह से प्रस्ताव मिला। जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने उसकी तेल परिसंपत्तियों के अधिग्रहण में दिलचस्पी दिखाई।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मामले में सबकी नजरें अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी हुई हैं। टि्वन स्टार ने सेमीकंडक्टर उद्योग में निवेश करने की बड़ी योजना तैयार की है। उसे देश भर में अपने उत्पादों को लॉन्च करने के लिए वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का व्यापक नेटवर्क काफी उपयुक्त दिख रहा है।

 

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