राजनैतिकशिक्षा

ईडी ने बढ़ाई टेंशन

-सिद्धार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी अशोक एक्सप्रेस :-

नेशनल हेराल्ड मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी जांच अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तक पहुंच गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन भेजा है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस (अंडर सेक्शन 50 एक्ट) में दोनों से 8 जून को पूछताछ में शामिल होने के लिए कहा है। कांग्रेस ने बताया कि सोनिया गांधी पूछताछ में शामिल होंगी। अगर, राहुल दिल्ली में रहे, तो वे भी पूछताछ में जाएंगे। इस केस में ईडी ने कांग्रेस के 2 बड़े नेता पवन बंसल वह मल्लिकार्जुन खड़गे को बीते 12 अप्रैल को जांच में शामिल किया था। 2014 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया और राहुल के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसमें स्वामी ने गांधी परिवार पर 55 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप लगाया था। केस के तहत आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी के जरिए नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स का अधिग्रहण, घालमेल के साथ पूरा किया और करीब 5 हजार करोड़ की संपत्ति अपनी बना ली। एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपए की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसका अर्थ यह हुआ कि पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया इसके बाद 5 लाख रुपए से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। टीएजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को मुफ्त में टीएजेएल का स्वामित्व मिल गया। 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक जनहित याचिका डाली। उन्होंने कांग्रेसी नेताओं पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। नवंबर 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने जो आरोप लगाए, उनमें यह भी शामिल था कि सोनिया और राहुल गांधी ने फ्रॉड करके एजेएल को अपना बना लिया। साथ ही नेशनल हेराल्ड, कौमी आवाज के पब्लिकेशन राइट्स भी पा लिए। इसके लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट प्रॉपर्टी भी हासिल कर लीं, जबकि ये प्रॉपर्टी सरकार द्वारा केवल अखबारों की पब्लिशिंग के उद्देश्य से दी गई थीं। 1 नवंबर 2012 को दिल्ली कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें सोनिया-राहुल के अलावा मोतीलाल बोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा आरोपी बनाए गए। 26 जून 2014 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सोनिया-राहुल समेत सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। 1 अगस्त 2014 के ईडी ने इस मामले में संज्ञान लिया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। मई 2019 में इस केस से जुड़े 64 करोड़ की संपत्ति को ईडी ने जब्त किया। 19 दिसंबर 2015 को इस केस में सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को दिल्ली पटियाला कोर्ट ने जमानत दे दी। 9 सितंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सोनिया और राहुल को करारा झटका दिया था। कोर्ट ने आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी। अब फिर से ईडी ने सोनिया-राहुल समेत पूरी कांग्रेस पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है।

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