राजनैतिकशिक्षा

भारतीय लोकतंत्र के लिए महापर्व बर्ष है, सन् 2022

-विनोद तकिया वाला-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
खबरी लाल

विश्व के बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव को महापर्व के रूप में मनाया जाता है।भारतीय संविधान अपने नागरिकों को मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत मतदान का अधिकार प्रदान किया गया है।भारतीय नागरिक अपने इस अधिकार का प्रयोग कर जनप्रतिनिधि को गुप्त मतदान कर संसद व विधान सभा में चुन कर पाँच वर्ष के लिए भेजती है।सन 2022 के इस चुनावी कैलेंडर साल में7राज्यों की विधानसभाओं और राज्य सभा की 73 सीटों के लिए चुनाव सम्पन्न होने वाले है।

फिलहाल चुनाव आयोग ने पाँच राज्यो के विधान सभा चुनावों के तारीखों की घोषणा करते ही उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड, पंजाब,गोवा और मणिपुर विधानसभा के चुनावी प्रक्रिया चल रही है।सभी प्रमुख राजनीति दलों ने अपनी कमर कस ली तथा अपनी जीत के लिए शाम,दण्ड व भेद का इत्तेमाल करने में कोई कसर नही छोड रही है।वहीं इसी साल के अंत में हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधान सभाओं के चुनाव कराए जाएंगे।आप को बता दे जिन 7 राज्यों में विधान सभा के चुनाव होने वाले है इनमें से 6 राज्यों में अभी बीजेपी की सरकारें हैं।पाँच राज्यो उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड और पंजाब राज्यों के विधान सभा चुनावों के परिणाम यह बताएंगे कि केन्द्र में नरेंद्र मोदी के नेत्तृत्व मे भाजपा सरकार द्वारा लाये गये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन का असर कैसा रहा। हालाकि किसान आन्दोलन के व्यापक विरोध के चलते तीनो नये कृषि कानुन को केन्द्र सरकार द्वारा वापस ले ली गई है ,
वही इसी वर्ष राज्य सभा की 73 सीटों पर द्विवार्षिक चुनाव अप्रैल से जुलाई के बीच कराए जाएंगे। 245 सदस्यों वाली राज्य सभा की करीब1तिहाई सीटों के बराबर है।इस वर्ष राज्य सभा के दिग्गज व अनुभवी सदस्य आनंद शर्मा ,ए के एंटनी,सुब्रमण्यम स्वामी (अप्रैल),सुरेश प्रभु,एम जे अकबर,निर्मला सीतारमण और जयराम रमेश (जून),पी चिदंबरम, पीयूष गोयल,प्रफुल्ल पटेल, संजय राउत,कपिल सिब्बल, अंबिका सोनी और मुख्तार अब्बास नकवी(जुलाई)में इनका कार्य काल समाप्त हो रहे है।पाँच राज्यों के विधान सभा के चुनाव नतीजे तय करेंगे कि राज्य सभा में बी जे पी या कांग्रेश कौन ताकतवर होगा।

जिन राज्यों में विधान सभा के चुनाव हो रहे हैं,वहाँ के विभिन्न संगठनो व अन्य श्रोतों से कराये गये सर्वे के अनुमान के मुताबिक कांग्रेस और विपक्षी दलों को इस बार बीजेपी के सामने मु्श्किलें खडा कर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा सकती है।ऐसें में इन पांच राज्यों के विधान सभा के परिणाम संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा की तस्वीर तय करेगी।राजनीतिज्ञ पंडितो के अनुसार ऐसे मे बीजेपी के लिए अपनी पसंद के राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने व राज्यसभा में भी अपनी पार्टी का दबदबा बनाए रखने के लिए इन पांच राज्यों में पुराना प्रदर्शन दोहराने के लिए ऐन ,केन व प्रेकेरण दबाव बना रही है।तो वहीं विपक्ष राजनीति दलो के द्वारा इन पाँच राज्यो के विधान सभा के चुनाव के परिणाम को अपने पक्ष में कर बीजेपी को सबक सिखाते हुए कमजोर करने के लिए अपनी पुरी ताकत लगा रही है।वही केन्द्र की भाजपा सरकार केन्द्र सरकार के पुरी कैबनेट ‘भाजपा शासित मुख्य मंत्री ‘सांसदो सहित तमाम पार्टी को प्रचार युद्ध झोक दी है। पार्टी अपनी रणनीति कारो व अंध समर्थको को चुनावी रणभूमि में जाति समीकरण ‘ हिन्दु धर्म के नाम पर वोटो का ध्रवीकरण ‘ इतिहास से छेड़छाड़ करने में लगी है।इसी क्रम मे लोक तंत्र के महापर्व 73 वें गणतंत्र दिवस समारोह के कुछ दिन पूर्व घटी घटना पुख्ता सबुत है। इस साल के अन्तिम महिने दिसम्बर में प्रधान मंत्री के गृह राज्य गुजरात जहाँ भाजपा सन 1995 से सता में है।185 सीटो वाली विधान सभा तथा हिमाचल प्रदेश के 68 सीटो वाली विधान सभा के चुनाव होने वाली है।दोनो राज्यो में भाजपा की सरकार है।

वही केन्द्र की सता के कर्शी पर आसीन बीजेपी के लिए अगामी वर्ष 2024 लोक सभा आम चुनाव से पहले यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि भाजपा ही भारत का भाग्य विधाता है।प्रत्येक राष्ट्र प्रेमी का शुभ चितंक है।गृह मंत्री स्वयं घर घर जाग कर मतदाताओं से अपील करने को मजबुर है कि आप अपने बोट विधायक ‘मंत्री या मुख्य मंत्री का चुनाव नही कर रहे ब्लकि भारत का भविष्य बनाने व उसे सुरक्षित करने के लिए हमारी पार्टी को बोट दे रहे है,लेकिन यहाँ तो सच्चाई कुछ और ही है।सन 2019 में आम चुनाव में बड़ी जीत मिलने के बाद भी बीजेपी अलग-अलग मोर्चों पर संकट का समाना करना पड़ रही है।चाहे गुड गवर्नेंस का मसला हो या राजनीति सियासत की पिच, बीजेपी के लिए उतार-चढ़ाव भरे संकेत रहे हैं। ऐसे में2024 के आगामी लोक सभा के चुनाव से पहले 2022 के 7 राज्यो के विधान सभा के चुनाव को सेमी फाईनल के रूप में बीजेपी दिखाना चाहेगी कि अब भी भारत की राजनीति में वह सबसे बडे़ रणनीतिकार व सर्वोच्च ‘ शक्तिशाली भाजपा ही है और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पार्टी 2024 से पहले स्वाभाविक अडवांटेज के रूप में अपनी शुरुआत करेगी।

लेकिन वस्तुत स्थिति कुछ और ही है।भारतीय लोकतंत्र की जनता इतनी भोली भाली नही है जितनी की केन्द्र की सता के सिंधासन पर आसीन अंहकारी भाजपा के स्वंभू चाणक्य व रणनीति कार समझ रही है तभी तो वह दिन के उजाले दिवा स्वपन्न देख रही है। वे सत्ता सुःख इतने लिप्त हो गये है कि जैसे कि महाभारत के कौरवों के पिता घृष्टराष्ट्र पुत्र मोह मे कुछ धर्म – अधर्म के मध्य अन्तर दिखाई नही पड़ रहा है। इनके अंध भक्त भी ऐसी भुमिका अदा कर रहे है । इन्हे पता होना चाहिए कि प्रजातंत्र में जनता ही जनार्दन होती है।वेअपने प्रतिनिधि को पाँच बर्षो के सत्ता के सिंधासन पर बिठाते है।ताकि के उनके प्रतिनिधि के रूप उनकी रक्षा व सुरक्षा के साथ सर्वांगीण विकाश करें।ना कि सत्ता की लोलुपता में हिटलर बन जाए।

पाँच राज्यो के विधान सभा के चुनाव के परिणाम भारतीय राजनीति की दशा व दिशा देने वाली है।इंतजार है11मार्च 2022 का ‘इन राज्यो के जनता जनार्दन के फैसले का वेशब्री से सभी को इंतजार रहेगा ।तब तक के लिए यह कहते हुए बिदा लेते है-ना ही काहूँ से दोस्ती ना ही काहूँ से बैर।खबरी लाल तो माँगें सबकी खैर॥

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