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बिना शुद्धिपत्र दिए कॉलेज निकाल रहे हैं स्थायी नियुक्तियों के विज्ञापन: प्रो. हंसराज ‘सुमन’

नई दिल्ली, 25 अगस्त (सक्षम भारत)। दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने विभागों में खाली पड़े सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति करने संबंधी विज्ञापन निकाले है। इसी कड़ी में अब संबद्ध कॉलेजों ने भी स्थायी नियुक्ति संबंधी विज्ञापन जारी करने शुरू कर दिए हैं। फिलहाल कालिंदी कॉलेज व खालसा कॉलेज ने सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के विज्ञापन जारी किए हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस महीने एक दर्जन कॉलेजों के विज्ञापन आ सकते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने रोस्टर पास करने के बाद कॉलेजों को स्थायी नियुक्तियों के विज्ञापन निकालने के लिए कहा है। यूजीसी भी खाली पड़े शिक्षकों के पदों को भरने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय को लिख चुकी है। इसलिए कॉलेजों ने सहायक प्रोफेसर के पदों को भरने संबंधी विज्ञापन निकाल रहे हैं। स्थायी पदों के विज्ञापन आने से एडहॉक टीचर्स में जहां एक तरफ खुशी का माहौल है वहीं दूसरी तरफ शिक्षक संगठन इसे चुनावी राजनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. योगेश कुमार त्यागी को पत्र लिखकर मांग की है कि विभागों और कॉलेजों में शिक्षकों के परमानेंट अपॉइंटमेंट के लिए जो विज्ञापन निकाले जा रहे हैं, इन विज्ञापनों से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और कॉलेजों को पहले निकाले जा चुके पदों के संदर्भ में शुद्धिपत्र (कोरिजेंडम) देना चाहिए था क्योंकि उन पदों को भरने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है। साथ ही जिन उम्मीदवारों ने इन पदों को भरने के लिए पहले आवेदन शुल्क दे चुके हैं उनसे किसी प्रकार का शुल्क ना लिया जाये। साथ ही उन्होंने इन पदों को भरने के लिए जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू करने की भी मांग की है। उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय की ओर से इन पदों को भरने के लिए तथा 3000 शिक्षकों की प्रमोशन के लिए सलेक्शन कमेटी बन चुकी है। सितम्बर माह से इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करे ताकि लंबे समय से लगभग पांच हजार शिक्षक स्थायी होने का इंतजार कर रहे हैं।

प्रो. ‘सुमन’ ने बताया है कि डीयू में फरवरी 2017 में विभिन्न विभागों में 830 पदों के विज्ञापन निकाले गए थे। इन पदों में सहायक प्रोफेसर, सामान्य–187, एससी–55, एसटी–29, ओबीसी—100, पीडब्ल्यूडी–07, कुल पद–378, इसी तरह से एसोसिएट प्रोफेसर, सामान्य–293, एससी–55, एसटी–33, पीडब्ल्यूडी–18, कुल पद–399 है। ठीक इसी प्रकार प्रोफेसर, सामान्य–111, एससी–25, एसटी–10, पीडब्लूडी–07, कुल पद 153 बने। उन्होंने बताया है कि इसी तरह से डीयू से संबद्ध 45 कॉलेजों ने अपने यहां स्थायी पदों के विज्ञापन निकाले। इन पदों में सामान्य–992, एससी–296, एसटी–154, ओबीसी–498, पीडब्ल्यूडी–75 के पदों पर नियुक्ति के विज्ञापन निकाले गए थे। इन विज्ञापनों के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को 4 लाख 11 हजार आवेदन प्राप्त हुए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने लॉ फैकल्टी, मैनेजमेंट डिपार्टमेंट और एजुकेशन डिपार्टमेंट में लगभग 150 शिक्षकों की नियुक्ति करने के बाद इन विभागों के बाद कॉलेज स्तर पर इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू की गई थी जिसमें दौलतराम कॉलेज के एक विभाग में इंटरव्यू हुए, इसके बाद से ना तो किसी कॉलेज और न ही विभाग में इंटरव्यू हुए। प्रो. ‘सुमन’ ने बताया है कि जिन विभागों और कॉलेजों ने स्थायी नियुक्तियों के विज्ञापन निकाले थे उनकी सलेक्शन कमेटी नहीं हुई और उन विज्ञापनों की समय सीमा समाप्त होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुद्धिपत्र (कोरिजेंडम )ही निकला। बेरोजगार उम्मीदवारों से हजारों रुपये स्थायी नियुक्तियों के विज्ञापनों के नाम पर लिए गये।

दो कॉलेजों ने स्थायी नियुक्तियों के निकाले विज्ञापन–प्रो. ‘सुमन’ ने बताया है कि हाल ही में सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति करने के लिए कालिंदी कॉलेज और खालसा कॉलेज ने विज्ञापन निकाले है। उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि इन पदों को निकाले जाने से पहले कॉलेजों को शुद्धिपत्र (कोरिजेंडम) देना चाहिए था या विज्ञापन में ही यह लिखा जाना चाहिए था कि जिन उम्मीदवारों ने उक्त पदों के लिए पहले आवेदन किया था वे फिर से आवेदन न करें या उनसे किसी तरह का आवेदन शुल्क नहीं लिया जायेगा। इस तरह का निर्देश कॉलेज ने जारी नहीं किया जबकि इससे पहले भी दो बार विभिन्न कॉलेजों में ये युवा बेरोजगार उम्मीदवार आवेदन कर चुके है।

प्रो. ‘सुमन’ कहना है कि एकेडेमिक काउंसिल की जनवरी में हुई मीटिंग में उन्होंने विज्ञापनों की समय सीमा समाप्त होने की सूचना वाइस चांसलर को दी थी और मांग की थी कि जिन कॉलेजों व विभागों ने अपने यहां स्थायी नियुक्ति के लिए सलेक्शन कमेटी नहीं बैठी है। ऐसे उम्मीदवार जिन्होंने उक्त पदों के लिए आवेदन किया था, आवेदन शुल्क लौटाया जाये। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए जल्द से जल्द अधिसूचना जारी कर कॉलेजों से आवेदनकर्ताओं का शुल्क लौटने के लिए सर्कुलर जारी करेंगे। उनका कहना है कि मीटिंग हुए 7 महीने हो गए लेकिन कॉलेजों को आज तक बेरोजगार उम्मीदवारों का शुल्क नहीं लौटाया गया बल्कि कॉलेजों ने इन्हीं पदों को भरने के लिए फिर से आवेदन शुल्क की मांग कर दी है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में लंबे समय से पढ़ा रहे लगभग 5000 एडहॉक शिक्षकों के जो विज्ञापन निकाले गए थे उन विज्ञापनों को निकाले लगभग ढाई साल होने वाला है, उनकी समय सीमा समाप्त हो चुकी है। यदि इन विज्ञापित पदों की नियुक्ति नहीं हुई तो जिन उम्मीदवारों ने आवेदन पत्रों के साथ आवेदन शुल्क जमा कराया हुआ है वह विश्वविद्यालय क्यों नहीं लौटा रहा। उन्होंने बताया है कि एक-एक उम्मीदवार ने इन पदों को भरने में 17 से 20 हजार रुपये खर्च किये हैं, इसके बाद उनसे फिर स्थायी नियुक्ति के नाम पर विज्ञापन के माध्यम से पैसा लिया जा रहा है। बेरोजगार शोधार्थियों को बार-बार ठगा जा रहा है।

उन्होंने यह भी मांग की है कि जिन कॉलेजों द्वारा विज्ञापित पदों पर इंटरव्यू नहीं कराए है, कॉलेजों को उम्मीदवारों के आवेदन शुल्क के साथ आवेदन राशि ब्याज सहित लौटायी जाये क्योंकि जो राशि उम्मीदवारों से ली गई है उसका ब्याज विश्वविद्यालय व कॉलेजों ने लिया है इसलिए बेरोजगार युवाओं को उनकी राशि ब्याज सहित वापिस की जाये। उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले 28 कॉलेजों में मार्च 2019 से कोई गवर्निंग बॉडी नहीं है उसके बावजूद टीचिंग और नॉन टीचिंग के पदों के विज्ञापन निकालने की कोशिश की जा रही है। बहुत से कॉलेजों में तो ट्रांकेटिड गवर्निंग बॉडी भी नहीं है बावजूद इसके गलत रोस्टर बनाकर पदों को विज्ञापित करने के लिए विश्वविद्यालय से अनुमति ली जा रही है।

प्रिंसिपल पदों की समय सीमा समाप्त: प्रो. ‘सुमन’ ने यह भी बताया है कि अरबिंदो कॉलेज, अरबिंदो कॉलेज (सांध्य)सत्यवती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज (सांध्य) राजधानी कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, भारती कॉलेज के अलावा बहुत से कॉलेजों ने प्रिंसिपल पदों के विज्ञापन निकाले थे उनकी भी समय सीमा समाप्त हो चुकी हैं मगर विश्वविद्यालय प्रशासन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। उन्होंने प्रिंसिपलों के पदों के लिए भी शुद्धिपत्र (कोरिजेंडम )की मांग वाइस चांसलर से की है।

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