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उपहार अग्निकांडरू उच्च न्यायालय ने जांच अधिकारी से जिरह करने संबंधी अंसल की याचिका खारिज की

नई दिल्ली, 17 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उपहार सिनेमा अग्निकांड के मुख्य मुकदमे में सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में अभियोजन का सामना कर रहे रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उनकी पैरवी करने वाले वकील के बदले जाने के चलते जांच अधिकारी से जिरह की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था।

उच्च न्यायालय ने कहा कि गवाह को वापस बुलाने के लिए केवल वकील बदला जाना आधार पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि अंसल की याचिका में कोई दम नहीं है।

न्यायामूर्ति योगेश खन्ना ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (अंसल) ने पहले अपनी पसंद के वकील को नियुक्त किया था। उन्होंने एक नहीं बल्कि 18 गवाहों से जिरह नहीं करने का फैसला किया था, शायद इसलिए क्योंकि याचिकाकर्ता केवल साजिश के आरोप का सामना कर रहा है। ऐसी स्थिति में 18 गवाहों से जिरह नहीं करने जैसा निर्णय अनजाने में लिया गया नहीं हो सकता और शायद ये उनकी रणनीति का एक हिस्सा था।’’

अदालत ने कहा कि चूंकि काफी देर हो चुकी है इसलिए पीड़ितों की दुर्दशा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

साक्ष्य से छेड़छाड़ का मामला निचली अदालत के समक्ष अंतिम बहस के चरण में है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 311 (गवाह को समन करने या उपस्थित व्यक्ति से पूछताछ करने की शक्ति) के तहत इस तरह के आवेदन को विलंब से दायर करने के इरादे को देखने की जरूरत है।

अंसल के वकील ने उच्च न्यायालय से कहा कि निचली अदालत ने धारा 311 के तहत उनकी याचिका का निपटारा कर दिया है और कहा कि वह जांच अधिकारी से जिरह करने के लिए एक और अवसर का अनुरोध कर रहे हैं।

याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि मुकदमा अपने अंतिम चरण में है क्योंकि अभियोजन और बचाव पक्ष के बयान पहले ही पूरे हो चुके हैं और निचली अदालत वर्तमान में आरोपी की ओर से अंतिम दलीलें सुन रही है।

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