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किर्लोस्कर विवाद: न्यायालय ने दीवानी मुकदमे, बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर यथास्थिति का निर्देश दिया

नई दिल्ली, 27 जुलाई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को संपत्ति से संबंधित किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड के पारिवारिक विवाद में यथास्थिति का आदेश दिया। केबीएल के सीएमडी संजय किर्लोस्कर ने बंबई उच्च न्यायालय के मध्यस्थता के निर्देश को चुनौती दी थी, जिसकी सुनवाई में उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया। शीर्ष न्यायालय द्वारा दिया गया यथास्थिति का आदेश इस मामले में पुणे की निचली अदालत में चल रहने एक मुकदमे पर भी लागू होगा। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने संजय किर्लोस्कर की अपील पर मामले में शामिल पक्षों से मध्यस्थता की संभावना तलाशने के लिए कहा और उन्हें नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘‘हम दोनों (न्यायाधीश) महसूस करते हैं कि यह (किर्लोस्कर) प्रतिष्ठित परिवारों और कंपनियों में से एक है। हमें लगता है कि मध्यस्थता से मुद्दों को सुलझाना कंपनी के हित में है।’’ पीठ ने आगे कहा, ‘‘आप दीवानी अदालतों में मुकदमेबाजी से परिचित हैं। मैं व्यवस्था पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। सभी वकील एक साथ बैठकर कोई रास्ता निकाल सकते हैं और अगर आप कुछ बाहरी सहायता चाहते हैं तो हम कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश नियुक्त कर सकते हैं। क्यों आप अनावश्यक रूप से इस मुकदमे को लड़ना चाहते हैं? आपके पास वैकल्पिक समाधान हो सकते हैं। कुछ साझा पारिवारिक मित्र होंगे, और वे मध्यस्थता कर सकते हैं।’’ किर्लोस्कर भाइयों – संजय, अतुल और राहुल के बीच 2009 में हुए एक पारिवारिक समझौते के तहत संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद है। इसे लेकर संजय किर्लोस्कर ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया। संजय इस मामले में समाधान के लिए मध्यस्थता के बजाय पुणे सिविल कोर्ट का रुख करना चाहते हैं।

 

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