राजनैतिकशिक्षा

इलाज में क्यों फेल हो गई सरकार!

-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट-

 -: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

जब कोई अपना सांसों के लिए संघर्ष कर रहा हो, जब नजरों के सामने किसी के पति की सांसें उख़डने लग जाए तो पत्नी को खुद अपनी परवाह कहां रह जाती है।तभी तो पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए खुद को दांव पर लगा दिया और अपने मुहं से ही पति को सांस देने का प्रयास करने लगी। आगरा निवासी रेणु सिंघल अपने पति रवि सिंघल को ऑटो से लेकर अस्पताल गई थी लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिली, पति रवि सिंघल ऑक्सीजन के बिना तडपने लगे तो पत्नी रेणु ने खुद अपनी सांसों से पति की सांसे बचाने की कोशिश की।हालांकि वह बेचारी अपने प्रयास में सफल नही हो सकी और उसका सुहाग उजड़ गया।वही आगरा निवासी ही मोहित के पिता की मौत हो गई मोहित ने शव को शमशान ले जाने के लिए एंबुलेंस मंगाने की कोशिश की, कई बार फोन किया लेकिन जब कोई एम्बुलेंस नही आई तो कार की छत पर शव को बांध कर अकेले ही अपने पिता का अंतिम संस्कार करने से शमशान घाट जाना पड़ा।
देश में पहली बार कोरोना मरीजो की संख्या चार लाख के पार पहुंच गई है।वही कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा फेज भी शुरू हो गया है। टीवी एंकर कनुप्रिया, शूटर दादी चंद्रो तोमर, टीवी एंकर रोहित सरदाना समेत न जाने कितनों को कोरोना ने निगल लिया है।यह लेख लिखे जाते समय पिछले 24 घंटे में लगभग 4 लाख 2 हजार लोग कोरोना से ग्रसित है। जिसमे साढ़े तीन हजार से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई, लेकिन साथ ही करीब 3 लाख लोग ठीक भी हुए है। इस समय कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या साढ़े 32 लाख तक पहुंच गई है।जो बहुत भयावह है।इससे बचाव के लिए 18 साल से अधिक उम्र वालों को कोविड से बचाव का टीकाकरण शुरू हो गया है। लेकिन दिल्ली, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश आदि कई राज्यों में वैक्सीन के अभाव में तीसरा फेज शुरू नहीं हो पाया।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के तेज होने का कारण चिकित्सक मुख्यत मान रहे है कि पहली लहर में लोगों का कोरोना से सामना तो हुआ था लेकिन 60 प्रतिशत तक लोग एंटीबॉडीज होने के कारण बच गए थे।यह वह एंटीबॉडीज था, जो नए संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक का कार्य करता हैं, लेकिन यह एंटीबॉडीज समय के साथ या तो नष्ट हो गई या फिर नए वायरस के खिलाफ अपना असर नही दिखा रही हैं।
चिकित्सा विशेषज्ञ प्रोफेसर एन. एन. माथुर का कहना है कि दिल्ली समेत कई राज्यों में सीरो सर्वेक्षण के दौरान बड़े पैमाने पर एंटीबॉडीज पाई गईं थीं। लेकिन इसके बावजूद कोरोना का बुरी तरह से संक्रमण यह दर्शाता है कि छह महीने पूर्व लोगों में बनी एंटीबॉडीज अब कमजोर पड़ चुकी हैं या खत्म हो चुकी हैं।उनके अनुसार दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि वायरस के नए स्वरूप को यह एंटीबॉडीज पहचान नहीं पा रही हैं, इसलिए उसके संक्रमण को रोक नहीं पा रही हैं। इस पर गहन अध्ययन होने पर ही सही कारण सामने आ सकता है।
दूसरी लहर में कोरोना यूके वैरिएंट और डबल म्यूटेशन वाला इंडियन वरिएंट पाया गया है। जिसके कारण संक्रमण तेज हुआ है। उन्होंने माना कि यह कहना ठीक नहीं है कि इस बार बहुत ज्यादा लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। यह समस्या पिछली लहर में भी थी। लेकिन तब मरीजों की संख्या बहुत कम थी। इसी प्रकार वेंटीलेटर पर भर्ती होने वाले मरीजों के प्रतिशत में भी कोई बदलाव नहीं है। बीमारी के लक्षण भी पहले जैसे ही हैं। सिर्फ कोरोना की रफ्तार बढ़ी है। उनकी माने तो संक्रमण के बाद वायरस जब फेफड़ों में घुसता है तो यह फेफड़े में ऑक्सीजन का प्रवाह करने वाली झिल्ली के कार्य को बाधित करता है जिसके कारण कृत्रिम ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। डा. माथुर के शब्दों में युवा आबादी की ज्यादा सक्रियता की वजह से उनमें संक्रमण बढ़ा है चूंकि इस लहर के दौरान सभी गतिविधियां सामान्य थी इसलिए युवा आबादी ज्यादा संक्रिमत हुई।कोरोना के कुल मामले ज्यादा होने से भी युवा आबादी की प्रभावित संख्या बढ़ गई है। पिछली बार भी युवाओ को संक्रमण हो रहा था, लेकिन इस बार ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि युवाओं को कोरोना बचाव की वैक्सीन नही लग पाई। वायरस के हवा में फैलने का तात्पर्य यह नहीं है कि घर से बाहर निकलकर हवा में सांस लेंगे तो बीमारी हो जाएगी। घर या ऑफिस में यदि कोई कोरोना मरीज है तो बंद हवा में वायरस दूसरे को प्रभावित कर सकता है। जबकि पहले सिर्फ नजदीकी संपर्क में आने से ही कोरोना संक्रमण फैलता था। इसलिए जो लोग सुबह की सैर कर रहे हैं, उन्हें डरना नहीं चाहिए। होम आइसोलेशन में उपचार करा रहे मरीजों को स्वस्थ होने के बाद भी चिकित्सको के सम्पर्क में रहना चाहिए। देश में कोरोना ने जो भयावह रूप लिया है, उससे सरकार और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी की पोल खुलकर सबके सामने आ गई है।इस भयावह महामारी में सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को हुआ है। जिसे न उपचार मिल पाया और न ही कोई सुविधा जिस कारण आम आदमी कोरोना से कही आक्सीजन तो कही दवाओं के अभाव में मरता रहा।लेकिन भाषणों में स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े बड़े दावे करने वाली केंद्र व राज्य सरकारें संवेदहीन बनी रही।तभी तो दिल्ली, इलाहाबाद, मुंबई हाईकोर्ट समेत अन्य कई राज्यों के हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कोरोना से संबंधित न सिर्फ स्वतः संज्ञान लिया गया बल्कि दायर याचिकाओं पर सुनवाई तत्काल सुनवाई कर केंद्र व राज्य सरकारों को फटकार भी लगाई गई। मोदी सरकार की नीतियों और महामारी से निपटने के तरीकों की भी जमकर आलोचना हो रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने तो केंद्र सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करते हुए यह तक कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे केंद्र सरकार चाहती है कि लोग मरते रहें।कोविड-19 के उपचार में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को लेकर नए प्रोटोकॉल के मुताबिक केवल ऑक्सजीन पर आश्रित मरीजों को ही यह दवा दी जा सकती है। इस पर न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने केंद्र सरकार से कहा कि यह गलत है। ऐसा लगता है दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं हुआ है। अब जिनके पास ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है उन्हें रेमडेसिविर दवा नहीं मिलेगी। ऐसा प्रतीत होता है कि आप चाहते हैं लोग मरते रहें।
जब देश में कोरोना का ग्राफ चढ़ रहा था, उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेता विधानसभा चुनाव में अपनी जीत दर्ज करने के लिए रैलियां कर रहे थे। केंद्र या राज्य सरकारों के लिए उस समय बढ़ते कोरोना या ऑक्सीजन की सप्लाई को सुनिश्चित करना मुख्य काम नहीं था, बल्कि विरोधी पार्टियों के नेताओं पर आरोप लगाना और बड़े-बड़े मैदानों में भीड़ जुटाना, यही प्राथमिकता मोदी सरकार की बनी हुई थी।वही हरिद्वार में कुंभ भी कोरोना फैलाने में अहम वजह रहा। यही वजह रही कि देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ता चला गया और हालात हाथ से निकल गए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना बचाव की लड़ाई में पूरी तरह से फेल हो गए है। प्रधानमंत्री मोदी समेत पूरे मंत्रिमंडल पर सवाल उठना भी लाजमी है, जिसमे भारत में टीकाकरण की रफ्तार का धीमा होना। भारत में कोरोना का नियंत्रण से बाहर हो जाना शामिल है। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’
के शब्दों में, ‘ भारत में कोरोना वायरस के मामले बेकाबू हो गए हैं। सरकार के गलत फैसलों की वजह से भारत की यह स्थिति हुई है, जबकि पहले साल में लॉकडाउन लगाकर भारत ने काफी हद तक काबू पा लिया था।’ ‘द गार्जियन’ का कहना है कि
‘ भारत में पीएम मोदी की अति आत्मविश्वास की वजह से ही भारत में जानलेवा कोविड-19 की दूसरी लहर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। ‘ऐसे में तो यही कहा जा सकता है, ‘ होई वही जो राम रची राखा’।बस प्रार्थना कीजिए कि कोरोना रूपी इस दानव से देश दुनिया को निजात मिले और हम फिर से सामान्य जीवन जी सके।

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