नई दिल्ली न्यूज़

सिरसा मुझे कौम के लिए काम करने से नहीं रोक सकता: जीके

नई दिल्ली, 31 जुलाई (सक्षम भारत)।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की लापरवाही के कारण सिख मसलों पर लगातार कौम को नमोशी को सामना करना पड़ रहा है। मेघालय, सिक्किम से लेकर दिल्ली तक कानूनी मोर्चे पर कमेटी की गलतियों के कारण आज कौम अपने आपको नेतृत्वविहिन महसूस कर रही है। 1984 की लड़ाई में भी 49 दोषी जेल से बाहर आने मे कामयाब हो गए है। इसलिए कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को तुरंत त्यागपत्र देना चाहिए। यह मांग कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए उठाई।

जीके ने दावा किया कि कमेटी का दफ्तर गुरु गोबिंद सिंह भवन अब साजिशों का अड्डा बन गया है। कमेटी इस समय कौम के लिए काम करने की जगह विरोधीयों को झूठे आरोपों में फंसाने के लिए अपनी सारी ताकत लगा रहीं है। कमेटी की तरफ से मुझे आज स्पीड पोस्ट से पत्र भेजा गया है। जिसमें मेरे द्वारा 26 जुलाई को थाना नार्थ एवेन्यू में कमलनाथ के खिलाफ गुरबाणी बेअदबी मामले में दिल्ली कमेटी के लेटरहेड पर दी गई शिकायत का हवाला देते हुए कमेटी का लेटरहेड इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी गई है। जीके ने साफ कहा कि मैं ऐसी धमकीयों से डरने वाला नहीं हूं। आप लोगों कौम के मसले सुलझा नहीं पा रहें और मैं भी चुप हो जाऊँ, यह कभी नहीं होगा। सिरसा जी आप बताएँगे कि आप कौम के साथ है या कमलनाथ व सज्जन के साथ ? जीके ने दावा किया कि मुझे फंसाने के लिए स्टाफ को झूठे सबूत पैदा करने को कहा जा रहा है। बात न मानने पर ट्रांसफर करने व स्टाफ कवाटर्स खाली करवाने की धमकी दी जा रहीं है।

जीके ने बताया कि पिछले 200 साल से मेघालय के शिलांग की हरिजन काॅलोनी मे सिख रह रहें है। जिन पर एक बार फिर उजाड़े की तलवार कमेटी की लापरवाही के कारण लटक गई है। क्योंकि 29 जुलाई को शिलांग नगर बोर्ड ने सर्वे करने का नोटिस चस्पा कर दिया है। यह स्थिति दिल्ली कमेटी के द्वारा मेघालय सरकार के खिलाफ डाली गई अवमानना याचिका के खारिज होते वक्त कोर्ट के द्वारा 28 जून 2019 को की गई टिप्पणीयों के कारण पैदा हुई है। जबकि इससे पहले मेरे अध्यक्ष रहते कमेटी के वकीलों ने सिखों के हक में फैसला करवा दिया था। साथ ही मेरे समय के दौरान शिलांग खालसा स्कूल को हटाने पर भी हमने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान आयोग से भी रोक लगवा दी थी। इसलिए आज नगर बोर्ड के सर्वे पर रोक लगाने के लिए हमने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में याचिका दायर की है। क्योंकि आयोग ने पहले इस मामले में संज्ञान लेते हुए स्टे लगा रहा था। अब इसी केस में पार्टी बनने के लिए आयोग का दरवाजा मैंने खटकटाया है। ताकि सिखों को राहत मिलें। जबकि मेघालय सरकार लगातार सिखों को परेशान कर रही है। आज 11 सिख सरकारी कर्मचारियों को हरिजन काॅलोनी के अपने मकान खाली करने का नोटिस दिया गया हैं।

जीके ने बताया कि कल दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली कमेटी द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्द्र सिंह के खिलाफ 21 सिख नौजवानों की कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। क्योंकि कमेटी ने जल्दबाजी में दायर की याचिका में सही तथ्य नहीं रखे थे। हालाँकि कमेटी ने सीनियर वकील हाईकोर्ट में खड़े किए थे। जबकि इस मामले को मेरे समय सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक हमने सफलतापूर्वक उठाया था। जिसमें पंजाब सरकार को नोटिस भी हुआ था। लेकिन अब हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने से पंजाब में फर्जी मुठभेड़ में मारे गए सिख नौजवानों की खालड़ा थ्योरी को बड़ा धक्का लगा है। जीके ने पूछा कि ऐसा क्या हो गया कि 3-4 महीनों के अंदर ही हम सारी तरफ कानूनी लड़ाई को हारने की दिशा में आगे बढ गए है। अब तो यह भी लगता है कि जिस प्रकार कमेटी कार्य कर रही है। उससे अगर सज्जन कुमार भी जेल से बाहर आ जाए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है। जीके ने गुरुद्वारा डांगमार केस भी इस समय कौम के पक्ष में न होने का दावा किया।

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