नई शिक्षा नीति के प्रावधान भी उर्दू भाषा के विकास में मददगार: डॉ अहमद
भोपाल, 22 फरवरी (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद (एनसीपीयूएल) के निदेशक डॉ शेख अकील अहमद ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से लागू की गयी नई शिक्षा नीति के प्रावधान भी उर्दू भाषा के विकास में मददगार साबित होंगे।
भोपाल में उर्दू शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय अनवार-उल-उलूम-सोसायटी के कार्यक्रम में कल शिरकत करने के बाद डॉ अहमद ने यहां यूनीवार्ता से चर्चा में कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा के विकास और उसमें अध्ययन अध्यापन पर जोर दिया गया है। इसके लिए राज्यों में विशेष अकादमियां बनाने के प्रस्ताव किए गए हैं और बजट के भी पर्याप्त प्रावधान हैं। ये प्रावधान उर्दू भाषा के विकास और विस्तार में मददगार साबित होंगे।
उर्दू के अलावा अरबी, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार डॉ अहमद ने कहा कि इन प्रावधानों का उपयोग उर्दू भाषा से जुड़ी संस्थाएं और जानकार इस भाषा के और बेहतर विकास के लिए कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उर्दू सिर्फ वर्ग विशेष की भाषा नहीं है। देश में अनेक ऐसे उदाहरण सामने आते हैं, जहां वर्ग विशेष के अलावा भी लोग उर्दू सीख रहे हैं।
एक दर्जन से अधिक पुस्तकों के लेखक डॉ अहमद ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों मे केंद्र सरकार की ओर से एनसीपीयूएल के वार्षिक बजट में दोगुना से ज्यादा वृद्धि की गयी है। उन्होंने उर्दू भाषा के विकास के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि एनसीपीयूएल इस दिशा में और तेजी से आगे बढ़ रही है।
डॉ अहमद ने बताया कि परिषद ने उससे संबंधित कंप्यूटर केंद्रों के विस्तार और उर्दू भाषा को रोजगार से जोड़ने के लिए काफी प्रयास किए हैं। इन प्रयासों की वजह से संबंधित प्रशिक्षणार्थियों को न केवल कंप्यूटर प्रशिक्षण मिल रहा है, बल्कि वे रोजगार के लिए भी पात्र हो रहे हैं। इस तरह के केंद्र पूरे देश में संचालित किए जा रहे हैं। इस तरह के केंद्रों को सोशल मीडिया और डिजीटल प्लेटफार्म पर सक्रिय बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
निदेशक ने बताया कि परिषद, उर्दू भाषा से जुड़े लोगों को आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़ने का प्रयास भी कर रही है। उर्दू भाषा के गांव गांव तक विस्तार के उद्देश्य से अरबी और फारसी भाषा के जानकारों को भी परिषद से जोड़ा जा रहा है और उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है।