व्यापार

मुद्रास्फीति अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में पांच प्रतिशत के पास रहने की उम्मीदःआरबीआइ्र

मुंबई, 05 फरवरी (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। अनुकूल परिस्थितियों तथा कुछ खाद्य पदार्थों विशेषकर सब्जियों की कीमतों का दबाव कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति के इस साल नवंबर-दिसंबर तक नरम होकर 4.3 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति बयान में शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। रिजर्व बैंक ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च 2021) में 5.2 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है। इसी तरह नये वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल से अगस्त 2021) में खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान पहले के 5.2 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर 2021) में और नरम होकर 4.3 प्रतिशत पर आ सकती है। कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति पहली बार दिसंबर तिमाही में छह प्रतिशत के दायरे में आ गयी। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति वक्तव्य में शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। रिजर्व बैंक ने आने वाले समय में खुदरा मुद्रास्फीति के और आसान होने का भी अनुमान व्यक्त किया। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून 2020 के बाद से छह प्रतिशत की ऊपरी सीमा के पार थी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अनुकूल आधार तथा सब्जियों की कीमतों में गिरावट आने से मुद्रास्फीति नरम हुई है। नवंबर और दिसंबर के दौरान सब्जियों की कीमतों में आयी गिरावट ने मुद्रास्फीति की कमी में करीब 90 प्रतिशत का योगदान दिया है। आरबीआई ने कहा कि अधिक ताजी आपूर्ति के साथ ही मांग पक्ष में सक्रिय दखलों ने स्थितियों को अनुकूल दिशा में आगे बढ़ाया है। रिजर्व बैंक ने कुछ चुनिंदा खाद्य सामग्रियों के मामले में कीमतों का दबाव बरकरार रहने के साथ निकट भविष्य में सब्जियों के नरम बने रहने का अनुमान व्यक्त किया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि हालिया महीनों के दौरान कच्चा तेल के अंतरराष्ट्रीय भाव में तेजी दर्ज की गयी है। इसके अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकारों दोनों के स्तरों पर अप्रत्यक्ष कर उच्च रहे हैं। इसने पेट्रोलियम उत्पादों को देश में महंगा किया। इसके साथ ही उद्योग की कच्ची सामग्रियों की कीमतों में भी तेजी आयी है। इसका परिणाम हुआ कि हालिया महीनों में सेवा व विनिर्माण की दरों में भी तेजी आयी। हालांकि रिजर्व बैंक ने कहा कि आने वाले समय में बढ़ती लागत को बढ़ते जाने से रोकना सुनिश्चित करने के लिये केंद्र और राज्यों के केंद्रित नीतिगत उपाय महत्वपूर्ण रहने वाले हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *