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नारीवाद के हर रूप से सहमत नहीं है यामी गौतम

मुंबई, 14 नवंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। बॉलीवुड अभिनेता इमरान हाशमी और अभिनेत्री यामी गौतम अपनी नई फिल्म ‘हक’ लेकर आए हैं। यह फिल्म देश भर में मशहूर शाहबानो केस से प्रेरित है। फिल्म के प्रमोशन के दौरान यामी गौतम ने नारीवाद और महिलाओं के अधिकारों पर अपने विचार साझा किए, जो काफी चर्चा में हैं। फिल्म में यामी ‘शाजिया बानो’ का किरदार निभा रही हैं एक ऐसी महिला जो अपने अधिकारों और आत्मसम्मान के लिए समाज से टकराने से नहीं डरती। यामी ने कहा कि आज के समय में नारीवाद के कई मायने बना दिए गए हैं, लेकिन वह हर रूप से सहमत नहीं हैं।

उनके मुताबिक, “नारीवाद का असली मतलब दूसरों से लड़ना या किसी को नीचा दिखाना नहीं है, बल्कि अपने और अपने परिवार के लिए मजबूती से खड़ा होना है।” उन्होंने आगे कहा, “अगर आपके पास एक ऐसी कहानी कहने का साहस है जो किसी सशक्त महिला से प्रेरित है, तो वही असली नारीवाद है। आज कुछ लोग नारीवाद को आक्रोश या टकराव के रूप में देखते हैं, जबकि यह आत्मसम्मान और न्याय के लिए आवाज उठाने का प्रतीक है।” यामी का मानना है कि सही नारीवाद किसी को कमजोर साबित करने की कोशिश नहीं करता, बल्कि यह सिखाता है कि महिला को अपने हक और बच्चों के भविष्य के लिए दृढ़ रहना चाहिए।

उन्होंने कहा, “नारीवाद का अर्थ है सही बात के लिए खड़े होना चाहे वह आपके घर में हो या समाज में। दूसरों को गिराने से नहीं, बल्कि खुद को संभालने से समाज बदलता है।” फिल्म ‘हक’ की कहानी एक ऐसी महिला शाजिया बानो की है, जिसका पति (इमरान हाशमी) एक प्रसिद्ध वकील होता है। लेकिन वह दूसरी शादी करने के बाद शाजिया को तीन तलाक देकर छोड़ देता है और गुजारा भत्ता देने से भी इंकार कर देता है। इसके बाद शाजिया कोर्ट का सहारा लेती है और न्याय की लंबी, कठिन लड़ाई शुरू होती है। समाज उसके खिलाफ हो जाता है, लेकिन वह हार नहीं मानती।

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