राजनैतिकशिक्षा

आदर्श युवा ग्राम सभा: जमीनी लोकतंत्र की नई पहल

-डॉ. प्रियंका सौरभ-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहाँ शासन व्यवस्था की आत्मा जनता की भागीदारी में निहित है। संविधान ने पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से ग्रामीण भारत को शासन की बुनियाद से जोड़ा है। लेकिन विडंबना यह रही कि युवा वर्ग, जो किसी भी समाज की सबसे ऊर्जावान और रचनात्मक शक्ति होता है, स्थानीय शासन व्यवस्था से लंबे समय तक अपेक्षाकृत दूर रहा। इस परिप्रेक्ष्य में “आदर्श युवा ग्राम सभा” पहल एक नई उम्मीद के रूप में उभरी है, जो छात्रों और युवाओं को लोकतंत्र के व्यवहारिक पाठ से परिचित कराते हुए उन्हें सक्रिय नागरिकता की ओर प्रेरित करती है।

यह पहल वास्तव में एक प्रयोगात्मक लोकतंत्र की प्रयोगशाला है, जहाँ छात्र केवल दर्शक नहीं बल्कि प्रतिभागी बनते हैं। यहाँ वे ग्राम स्तर के निर्णयों, पंचायत की कार्यप्रणाली, सामाजिक समस्याओं और विकास योजनाओं को न केवल समझते हैं बल्कि उनमें अपने सुझाव और विचार भी रखते हैं। इस प्रकार यह कार्यक्रम लोकतंत्र को मात्र चुनाव तक सीमित रखने के बजाय उसे निरंतर संवाद, विचार और जिम्मेदारी की प्रक्रिया में परिवर्तित करता है।

भारतीय लोकतंत्र का वास्तविक सार ‘जन भागीदारी’ है। संविधान के अनुच्छेद 40 के अनुसार, राज्य का कर्तव्य है कि वह ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाए। किंतु जब तक समाज का युवा वर्ग इसमें शामिल नहीं होगा, तब तक यह सशक्तिकरण अधूरा रहेगा। आदर्श युवा ग्राम सभा इस कमी को पूरा करती है। इसमें युवाओं को पंचायत की नीतियों, ग्राम विकास योजनाओं, वित्तीय पारदर्शिता और सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श का अवसर मिलता है। इससे उनमें न केवल राजनीतिक जागरूकता आती है, बल्कि लोकतांत्रिक संस्कृति के प्रति गहरा सम्मान भी विकसित होता है।

युवा वर्ग में शासन की समझ और सामाजिक उत्तरदायित्व का भाव विकसित करना किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थिरता के लिए आवश्यक है। यह पहल उस दिशा में एक मजबूत कदम है। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि अगली पीढ़ी केवल अधिकारों की मांग करने वाली नहीं, बल्कि दायित्वों को निभाने वाली भी बने।

पारदर्शी और उत्तरदायी शासन तभी संभव है जब नागरिक उसकी प्रक्रियाओं को समझें और उनमें भागीदारी करें। आदर्श युवा ग्राम सभा इस दृष्टि से एक प्रेरणादायी मॉडल है। इसमें छात्र पंचायत सदस्यों के साथ बैठकर योजनाओं की प्राथमिकता तय करते हैं, बजट का विश्लेषण करते हैं और जनकल्याण कार्यों की प्रगति की समीक्षा करते हैं। इस तरह लोकतंत्र केवल कागजों में नहीं, बल्कि व्यवहार में उतरता है।

यह पहल ग्रामीण स्तर पर नवाचार को भी प्रोत्साहित करती है। युवा अपनी शिक्षा और तकनीकी समझ के आधार पर ग्राम पंचायतों को आधुनिक समाधान सुझा सकते हैं-जैसे डिजिटल रिकॉर्ड प्रणाली, जल संरक्षण के नए उपाय, अपशिष्ट प्रबंधन के स्थानीय मॉडल आदि। इससे विकास योजनाओं की गुणवत्ता और स्थायित्व दोनों में सुधार होता है।

आदर्श युवा ग्राम सभा शिक्षा को केवल पुस्तक ज्ञान तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे व्यवहारिक लोकतंत्र से जोड़ती है। छात्रों को ग्राम सभा की बैठकों में शामिल होने, प्रस्ताव रखने और चर्चा में भाग लेने के अवसर दिए जाते हैं। यह अनुभव उन्हें नेतृत्व, संप्रेषण कौशल और निर्णय क्षमता सिखाता है।

वास्तव में, यह पहल नागरिक शिक्षा का सबसे व्यवहारिक रूप है। जब छात्र स्वयं ग्राम विकास के निर्णयों में भाग लेते हैं, तब वे “लोकतंत्र” शब्द का अर्थ पुस्तकों से नहीं, अनुभव से सीखते हैं। यही वह प्रक्रिया है जो भारत के भविष्य के नेताओं और जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण करती है।

सामाजिक समरसता और समावेशन की दिशा में कदम
लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति उसकी समावेशिता है। आदर्श युवा ग्राम सभा विभिन्न वर्गों, जातियों और लिंगों के छात्रों को एक साझा मंच देती है जहाँ वे समान रूप से भाग ले सकते हैं। यह ग्रामीण समाज में सामाजिक समरसता और सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना को बढ़ाती है।

विशेष रूप से ग्रामीण बालिकाओं के लिए यह पहल आत्मविश्वास और सशक्तिकरण का साधन बन सकती है। जब वे सार्वजनिक निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा बनती हैं, तो परिवार और समाज में उनके विचारों को मान्यता मिलने लगती है। यह परिवर्तन धीरे-धीरे सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ने में सहायक हो सकता है।

लोकतंत्र के स्थायित्व की आधारशिला
भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में नागरिक चेतना और भागीदारी का स्तर ही उसकी सफलता तय करता है। आदर्श युवा ग्राम सभा लोकतंत्र को केवल एक शासन प्रणाली नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति के रूप में स्थापित करती है। इससे लोकतंत्र “ऊपर से नीचे” नहीं, बल्कि “नीचे से ऊपर” की दिशा में मजबूत होता है।

इस पहल से यह सुनिश्चित होता है कि अगली पीढ़ी लोकतंत्र के प्रति केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि बौद्धिक और नैतिक रूप से भी समर्पित हो। जब युवा स्थानीय शासन को समझते हैं, उसमें भाग लेते हैं और उसकी कमियों को सुधारने का प्रयास करते हैं, तब लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होती हैं।

देश के विभिन्न राज्यों में इस तरह की ग्राम सभाएँ प्रारंभिक स्तर पर प्रायोगिक रूप में चल रही हैं। जहाँ भी इन्हें लागू किया गया है, वहाँ ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता बढ़ी है, जनजागरूकता में सुधार आया है और ग्रामीण युवाओं में नेतृत्व की नई लहर देखी गई है।

इस पहल से ग्रामीण शासन में “ओनरशिप” की भावना विकसित होती है। जब विद्यार्थी अपने गाँव की परियोजनाओं, स्वच्छता अभियानों, शिक्षा कार्यक्रमों या स्वास्थ्य योजनाओं की समीक्षा करते हैं, तब वे अपने गाँव को केवल निवास स्थान नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का क्षेत्र मानने लगते हैं।

“आदर्श युवा ग्राम सभा” भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में नई चेतना का संचार करने वाली पहल है। यह न केवल स्थानीय शासन में युवाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करती है, बल्कि भविष्य के नागरिकों को जिम्मेदार, जागरूक और संवेदनशील बनाने की दिशा में भी अग्रसर है।

यदि इसे संस्थागत रूप से स्कूलों और पंचायतों में जोड़ा जाए, तो यह भारत के ग्रामीण लोकतंत्र की तस्वीर बदल सकती है। यह पहल दिखाती है कि लोकतंत्र केवल चुनाव जीतने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने, विचारों को सुनने और भविष्य को गढ़ने की सतत प्रक्रिया है।

भारत के युवाओं की सहभागिता से सशक्त यह ग्राम सभा आने वाले वर्षों में “भागीदारी लोकतंत्र” की सबसे मजबूत नींव रख सकती है-जहाँ निर्णय जनता के लिए नहीं, जनता के साथ मिलकर लिए जाएँ।

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