देश दुनियानई दिल्ली न्यूज़

तेल आयात पर भारत की दो टूक उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना प्राथमिकता: विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली, 16 अक्टूाबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। रूस से तेल आयात रोकने को लेकर अमेरिका के दबावों के बीच भारत ने अपने रुख को एक बार फिर दोहराते हुए स्पष्ट किया है कि अस्थिर वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ऊर्जा आयात नीति का मूल उद्देश्य ऊर्जा की स्थिर कीमतें और आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत तेल और गैस का एक प्रमुख आयातक देश है और उसकी नीतियां उपभोक्ताओं की सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि भारत अपने ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण कर रहा है ताकि वैश्विक बाजार में अस्थिरता का सीधा असर देश पर न पड़े।

जायसवाल ने कहा कि भारत की ऊर्जा नीति दो मुख्य लक्ष्यों पर केंद्रित है—पहला, ऊर्जा की स्थिर कीमतें बनाए रखना, और दूसरा, आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करना। उन्होंने कहा कि “हमारी प्राथमिकता सदैव यही रही है कि भारतीय उपभोक्ताओं को किफ़ायती और स्थायी ऊर्जा उपलब्ध हो। इसी दृष्टिकोण से हमारी आयात नीति तय होती है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा, जायसवाल ने कहा कि भारत की ऊर्जा नीति किसी बाहरी दबाव से नहीं, बल्कि देश के आर्थिक हितों के आधार पर तय होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “भारत अपने निर्णय राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए स्वयं लेता है।”

उन्होंने बताया कि अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा सहयोग लगातार बढ़ रहा है। पिछले एक दशक में भारत ने अमेरिका से तेल और गैस की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है। जायसवाल ने कहा कि मौजूदा अमेरिकी प्रशासन ने इस सहयोग को और मजबूत करने में गहरी रुचि दिखाई है तथा दोनों देशों के बीच इस विषय पर संवाद जारी है।

विदेश मंत्रालय के इस बयान के साथ भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने ऊर्जा हितों की रक्षा के लिए स्वतंत्र नीति अपनाएगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप ही आयात निर्णय लेगा।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को वॉशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। ट्रंप ने इसे रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया था।

भारत का यह ताज़ा बयान इस बात का संकेत है कि देश अपनी ऊर्जा नीति को रणनीतिक स्वायत्तता के सिद्धांत पर कायम रखेगा, और वैश्विक दबावों से परे रहकर अपने उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *