सोनम वांगचुक भी है बेवफा?
-बीपी गौतम-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा लद्दाख शांत क्षेत्र माना जाता है। 2019 में एकीकृत जम्मू-कश्मीर राज्य से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद से लद्दाख के लोगों की कुछ मांगें रही हैं, जिनको लेकर गृह मंत्रालय ने सकारात्मक व्यवहार किया और वार्ता के लिये निमंत्रण दिया, साथ ही बैठक की तिथि भी तय हो गई, इस सबके बीच में हिंसा का भड़कना अप्रत्याशित है, इसलिये हिंसा के पीछे षडंयत्र होने की बात को स्पष्ट नकारा नहीं जा सकता। अनशन पर बैठे सोनम वांगचुक भी अरब स्प्रिंग शैली के विरोध प्रदर्शनों और नेपाल में हाल ही में हुये जेन- जेड के विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुये लोगों को भ्रमित ही कर रहे थे। सोनम वांगचुक ऊर्जावान व्यक्तित्व के स्वामी हैं, इसीलिये उनसे प्रेरित होकर लोकप्रिय फिल्म में फुंगसुक वांगडू की भूमिका तय की गई थी लेकिन, हाल-फिलहाल के घटनाक्रम को देखा जाये तो, सोनम भी बेवफा ही दिखाई दे रहे हैं, इसी मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं बीपी गौतम…
यह है ताजा घटना
लद्दाख में चल रहा सोनम वांगचुक का अनशन बुधवार को हिंसक आंदोलन में बदल गया। तोड़-फोड़, आगजनी और पथराव के बीच भीड़ ने भाजपा कार्यालय फूंक दिया। , यहां उपस्थित कार्यकर्ताओं ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई। झड़पों में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। 30 पुलिस कर्मियों सहित 80 से अधिक लोग घायल हुये हैं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प के बाद चार दिवसीय वार्षिक लद्दाख महोत्सव अंतिम दिन बुधवार को रद्द कर दिया गया है। चार दिवसीय लेह महोत्सव रविवार को शुरू हुआ था, इसके समापन समारोह में उप-राज्यपाल कवीन्द्र गुप्ता को सम्मिलित होना था।
बंद के दौरान भड़की थी हिंसा
हिंसा लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा की ओर बुलाये गये बंद के दौरान हुई। 10 सितंबर से 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत मंगलवार शाम बिगड़ने के बाद एकजुटता दिखाने को बंद का आह्वान किया गया था। मंगलवार को त्सेरिंग अंगचुक (72) और ताशी डोल्मा (60) की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बंद के आह्वान पर लेह शहर में बाजार दुकानें बंद रहीं, बड़ी संख्या में लोग एनडीएस स्मारक मैदान में जमा हो गये थे, इस दौरान छठी अनुसूची और राज्य के समर्थन में नारे लगाते हुये शहर की सड़कों पर मार्च निकाला जाने लगा लेकिन, स्थिति तब बिगड़ गई, जब कुछ लोगों ने भाजपा और हिल काउंसिल के मुख्यालय पर पथराव शुरू कर दिया। कार्यालय परिसर और एक सरकारी भवन के फर्नीचर और कागजात में आग लगा दी। एक समूह ने कई वाहनों को भी फूंक दिया। हालात काबू करने के लिये पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े, गोलीबारी भी करनी पड़ी, कई घंटों की भीषण झड़प के बाद स्थिति काबू में आ सकी।
यह हैं प्रमुख मांगें
अनशनकारियों की मांग है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाये और छठी अनुसूची का विस्तार किया जाये। संविधान की छठी अनुसूची शासन, राष्ट्रपति व राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली वित्तीय शक्तियों के संदर्भ में विशेष प्रावधान करती है। छठी अनुसूची चार पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिये है।
सकारात्मक वातावरण में भड़क गई हिंसा
लद्दाख शांत क्षेत्र माना जाता है, इसलिये इसे अस्थिर करने का सुनियोजित षड्यंत्र कहना अनुचित नहीं होगा। हालांकि 2019 में एकीकृत जम्मू-कश्मीर राज्य से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद से लद्दाख के लोग अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं, इनमें स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियां बड़ा मुद्दा है। भाषा और संस्कृति के संरक्षण की बात की जा रही है। लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाये जाने एवं संविधान की छठी अनुसूची में सम्मिलित करने की भी मांग रही है, इन सबको लेकर ही सोनम वांगचुक संघर्ष करते रहे हैं और हाल-फिलहाल भूख हड़ताल पर बैठे थे, इस बीच लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक मोर्चा (केडीए) के प्रतिनिधियों की केंद्रीय गृह मंत्रालय से छः अक्तूबर को बैठक तय हो गई, सोनम वांगचुक के इस बैठक को तय तिथि से पहले किये जाने के अनुरोध को गृह मंत्रालय ने सकारात्मक लिया और लद्दाख के प्रतिनिधियों को 25 सितंबर को दिल्ली आने का निमंत्रण दिया था, इस बीच हिंसा भड़क गई, इसलिये माना जा रहा है कि हिंसा के पीछे षड्यंत्र हो सकता है।
गृह मंत्रालय ने यह कहा
गृह मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के माध्यम से भीड़ को उकसाया था। हिंसक घटनाओं के बीच, उन्होंने अपना उपवास तोड़ा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिये कोई व्यापक प्रयास किये बिना एम्बुलेंस से अपने गांव चले गये। सोनम वांगचुक द्वारा 10 सितंबर 2025 को छठी अनुसूची और लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की गई थी। भारत सरकार इन्हीं मुद्दों पर एपेक्स बॉडी लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है। उच्चाधिकार प्राप्त समिति और उप-समितियों के औपचारिक माध्यम से और नेताओं के साथ कई अनौपचारिक बैठकों के माध्यम से उनके साथ कई बैठकें हुईं।
बातचीत की प्रक्रिया ने लद्दाख की अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षण को 45% से बढ़ाकर 84% करने, परिषदों में महिलाओं के लिये एक-तिहाई आरक्षण प्रदान करने और भोटी व पुर्गी को आधिकारिक भाषा घोषित करने जैसे अभूतपूर्व परिणाम दिये हैं, साथ ही 1800 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू की गई। हालांकि कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित लोग उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के अंतर्गत हुई प्रगति से खुश नहीं थे और संवाद प्रक्रिया को विफल करने का प्रयास कर रहे थे। उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अगली बैठक 6 अक्तूबर को निर्धारित की गई है, जबकि लद्दाख के नेताओं के साथ 25 और 26 सितंबर को भी बैठकें आयोजित करने की योजना है।
गृह मंत्रालय का कहना है कि जिन मांगों को लेकर सोनम वांगचुक भूख हड़ताल पर थे, वह एचपीसी में चर्चा का अभिन्न अंग हैं। कई नेताओं द्वारा भूख हड़ताल समाप्त करने का आग्रह करने के बावजूद, उन्होंने भूख हड़ताल जारी रखी और अरब स्प्रिंग शैली के विरोध प्रदर्शनों और नेपाल में जेन- जी के विरोध प्रदर्शनों का भड़काऊ उल्लेख करके लोगों को गुमराह किया। गृह मंत्रालय ने कहा कि 24 सितंबर को सुबह लगभग 11.30 बजे उनके भड़काऊ भाषणों से उकसाई गई भीड़ भूख हड़ताल स्थल से निकली और एक राजनीतिक दल के कार्यालय के साथ-साथ लेह के सीईसी के सरकारी कार्यालय पर हमला किया। उन्होंने इन कार्यालयों में आग लगा दी, सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया और पुलिस वाहन को आग लगा दी। बेकाबू भीड़ ने पुलिस कर्मियों पर हमला किया, जिसमें 30 से अधिक पुलिस, सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गये। भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना और पुलिस कर्मियों पर हमला करना जारी रखा। आत्मरक्षा में पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी, जिसमें दुर्भाग्य से कुछ लोगों के हताहत होने की खबर है। सुबह-सुबह हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को छोड़कर शाम 4 बजे तक स्थिति नियंत्रण में आ गई। गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक के एनजीओ का एफसीआरए लाइंसेंस भी निरस्त कर दिया है।
कांग्रेस ने भड़काई लेह में हिंसा: भाजपा
भाजपा सांसद एवं प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि लद्दाख में यह दिखाने की कोशिश की गई कि विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व जनरल जेड कर रहे हैं। जब जांच की गई तो, पता चला कि इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व जनरल जेड नहीं बल्कि, कांग्रेस कर रही थी। कांग्रेस पार्षद स्टैनजिन त्सेपांग अपर लेह वार्ड से पार्षद हैं, वह मुख्य भड़काने वाले हैं, उनकी और उनके कार्यकर्ताओं ने हिंसा भड़काने की कई तस्वीरें सामने आई हैं, उन्हें हाथ में हथियार लेकर भाजपा कार्यालय की ओर मार्च करते हुए भी देखा जा सकता है, वह भीड़ को उकसा रहे हैं और भाजपा कार्यालय को निशाना बना रहे हैं। भाजपा सांसद ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर नेपाल और बांग्लादेश में हुई घटनाओं जैसी स्थितियों को बार-बार भड़काने का गंभीर आरोप लगाया। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया कि कांग्रेस पार्षद फुंत्सोग स्टैनज़िन त्सेपाग ने भीड़ को उकसाया और बीजेपी कार्यालय पर हमला करने में शामिल थे। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी इसे ‘जेन-जेड लीडर’ की करतूत करार दिया। निशिकांत दुबे ने एक्स पर फंटसोग त्सेपाग को राहुल गांधी का करीबी बताते हुये आरोप लगाया कि उन्होंने बीजेपी कार्यालय को आग लगाई, यह है राहुल के मोहब्बत की दुकान का जमूरा, जिसने आज लद्दाख में बीजेपी कार्यालय को आग लगाई, राहुल गांधी का निकटतम व्यक्ति, सोरोस के एजेंट का एजेंट, राहुल गांधी जी के साथ लाल शर्ट में, आज मास्क पहन कर, लद्दाख में भाजपा कार्यालय में आग लगाई गई, राहुल गांधी जी इसके नेतृत्वकर्ता आपका जेन जेड, फंटसोग स्तांजिन त्सेपाग, है जो कांग्रेस पार्टी से निर्वाचित वार्ड सदस्य है, आग से खेलने का नतीजा क्या होगा? बीजेपी कार्यकर्ताओं को चुनौती देना बंद करिए।
हिंसा से पहले सोनम ने जारी किया था संदेश
लद्दाख में हिंसा भड़कने से पहले सोनम वांगचुक ने अनशन स्थल से एक वीडियो संदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने घोषणा की थी कि 26 सितंबर को एक प्रतिनिधि मंडल दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ बातचीत के लिये रवाना होने वाला है। उन्होंने शांति पूर्ण आंदोलन पर जोर देते हुये कहा था कि उनकी मांगों पर चर्चा के लिये यह कदम उठाया जा रहा है, इसके बाद हिंसा भड़क गई। हालांकि सोनम वांगचुक ने हिंसा की निंदा की और शांति की अपील की, साथ ही कहा कि यह हिंसा उनकी शांति पूर्ण कोशिशों को नुकसान पहुंचा रही है। सोनम वांगचुक ने हिंसा भड़काने के आरोपों के आरोपों पर कहा कि लद्दाख में कांग्रेस के पास इतना प्रभाव नहीं कि वह पांच हजार युवाओं को सड़कों पर ला सके।
सोनम वांगचुक ही हैं फुंगसुक वांगडू
सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर 1966 को हुआ था, वे इंजीनियर हैं, साथ ही नवाचारी और शिक्षा सुधारक माने जाते हैं, वे छात्रों के एक समूह द्वारा 1988 में स्थापित स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीओएमएल) के संस्थापक-निदेशक भी हैं, इस समूह का मानना है कि वो एक ऐसी विदेशी शिक्षा प्रणाली के पीड़ित हैं, जिसे लद्दाख पर थोपा गया है। सोनम वांगचुक को एसईसीएमओएल परिसर को डिजाइन करने के लिये भी जाना जाता है, जो पूरी तरह से सौर-ऊर्जा पर चलता है, यहां खाना पकाने, प्रकाश या, कमरे गर्म रखने के लिये जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं किया जाता है। सोनम ने बर्फ-स्तूप तकनीक का आविष्कार किया है, जो कृत्रिम हिमनदों (ग्लेशियरों) का निर्माण करता है, शंकु आकार के इन बर्फ के ढेरों को सर्दियों के पानी को संचय करने के लिये उपयोग किया जाता है। सोनम वांगचुक को सरकारी स्कूल व्यवस्था में सुधार लाने के लिये सरकार, ग्रामीण समुदायों और नागरिक समाज के सहयोग से 1994 में ऑपरेशन न्यू होप शुरु करने का श्रेय भी दिया जाता है। फिल्म थ्री इडियट्स में आमिर खान का किरदार फुंगसुक वांगडू सोनम वांगचुक के जीवन से ही प्रेरित था।