कांग्रेस में कलह
-सिद्वार्थ शंकर-
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
पंजाब में पिछले कुछ दिनों से चल रही वर्चस्व की जंग का पटाक्षेप हो चुका है। नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष की कमान संभाल ली है। कल तक माफी की जिद पर अड़े मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी ताजपोशी में शामिल हुए। यह दिखाने के लिए पार्टी एकजुट है और मनमुटाव संगठन के स्तर पर नहीं है। अगर कांग्रेस को लगता है कि यह सब करने भर से सब ठीक हो जाएगा, तो यह उसकी भूल है। अमरिंदर और सिद्धू की जंग में पार्टी ने पंजाब में काफी कुछ खोया है। जो पंजाब एक समय कांग्रेस के लिए सबसे आसान किला माना जा रहा था, अब उसे ही फतह करने में पसीने छूटने वाले हैं। दिल्ली से लेकर पंजाब तक के नेता अगले साल चुनाव में जीत के दावे कर रहे हों, मगर असल में क्या होगा, यह तभी पता चलेगा। पंजाब मेें कांग्रेस में मची कलह ने दूसरे राज्यों में जरूर तनाव पैदा कर दिया है। कुछ और राज्यों में भी पार्टी में बगावत के आसार नजर आने लगे हैं। कांग्रेस में नेताओं के बीच आपसी कलह का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। एक के बाद दूसरे और फिर तीसरे राज्य में पार्टी नेताओं के बीच मतभेद-मनभेद की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जो आलाकमान के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच घमासान चल रहा है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव के बीच मतभेद बना हुआ है। महाराष्ट्र में राज्य के पार्टी प्रमुख भाई जगताप के खिलाफ विधायक जीशान सिद्दीकी ने मोर्चा खोला हुआ है। वहीं, केरल में पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी और वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला समेत कई नेता आलाकमान से नाराज हैं। इसके अलावा यहां एर्नाकुलम से कांग्रेस सांसद हिबी एडेन खुद राहुल गांधी से नाराज हैं। राजस्थान में कांग्रेस की मुसीबत विपक्ष से ज्यादा उसके अपने ही नेता बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी बढ़ती ही जा रही है। सचिन पायलट ने अब से करीब एक साल पहले यानी पिछले साल जुलाई में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलेआम बगावत कर दी थी और अब पिछले माह उन्होंने फिर बगावती तेवर दिखाए। जैसे-तैसे उन्हें मनाया गया। लेकिन वे वाकई मान गए, यह कहना गलत होगा। झारखंड में कांग्रेस में अनबन शुरू हुई तो थम नहीं रही। झारखंड सरकार से नाराज चल रहे कांग्रेस के चार विधायक इस बारे में दिल्ली में हाईकमान से मिल भी चुके हैं, मगर उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। हालांकि, अभी यहां शांति है, मगर अंदरूनी स्तर पर कलह दिखाई पड़ रही है। कई मामलों में एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हो या फिर एक दूसरे के मामलों में दखल देना अक्सर चर्चा की वजह बन जाता है। उत्तराखंड में भी कांग्रेस में सब ठीक नहीं है। यहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि पार्टी कई गुटों में बंटी नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खेमे के लोग उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। खुद रावत कई बार कभी पत्र लिखकर तो कभी सोशल मीडिया के जरिए आलाकमान के फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके हैं। कांगे्रस इस बात को अच्छे से जानती है कि उसका मुकाबला भाजपा से है। अगर केंद्र की सत्ता पानी है तो उसे राज्यों में संगठन मजबूत बनाना होगा। कैडर तैयार करना होगा। मगर वह यही नहीं कर पा रही है।