बड़े बदलावों का संकेत है जाति जनगणना
-राकेश शर्मा-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
यूं तो भारत में जातिगत जनगणना का इतिहास काफी पुराना है और इस तरह की जनगणना भारत के औपनिवेशिक काल में भी की जाती थी। भारत की आजादी से पहले आखिरी बार 1931 में जातिगत जनगणना की गई थी। आजादी के बाद 1951 में हुई पहली जनगणना में जाति से संबंधित कोई भी जानकारी देशवासियों से नहीं ली गई थी। 1951 से लेकर 2011 तक भारत में सात जनगणनाएं हो चुकी हैं, लेकिन ये जनगणनाएं जाति आधारित नहीं रही। इन जनगणनाओं में अन्य मूलभूत जानकारियों के अलावा केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंधित जानकारी एकत्रित की जाती थी क्योंकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए भारत का संविधान आरक्षण की व्यवस्था करता है। इन दोनों श्रेणियों के लिए नौकरियों, शैक्षणिक संस्थाओं और लोकसभा से लेकर राज्यों की विधानसभाओं तक आरक्षण का प्रावधान है। संविधान में इन श्रेणियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था होने के कारण ही भारत की लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 84 और अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। इसी प्रकार विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में भी इन श्रेणियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। इस बार केंद्र सरकार ने 2025 में होने वाली जनगणना को जातिगत जनगणना का नाम दिया है अर्थात यह जनगणना अब जाति आधारित होगी और इसमें सभी जातियों के आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे।
इस जनगणना में सबसे बड़ा रोमांच अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाली जातियों की जनगणना होने से है। यह माना जाता है कि अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या देश में आधी जनसंख्या के आसपास है। एक अनुमान के अनुसार यह आबादी 52 प्रतिशत तक हो सकती है। 1980 में मंडल आयोग द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई थी। दस सालों तक मंडल आयोग की इस सिफारिश पर किसी भी सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। फिर 7 अगस्त 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की घोषणा कर दी थी और 13 अगस्त 1990 को इसके संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी। उस समय इसके विरोध में सामान्य वर्ग ने इन सिफारिशों का पुरजोर विरोध किया था। कई महीनों तक इसके विरोध में पूरे भारत में हड़तालें और प्रदर्शन हुए थे। अब क्योंकि अन्य पिछड़ा वर्ग को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में तो आरक्षण मिल चुका है, तो क्या इस जातिगत जनगणना को आधार बनाकर इस श्रेणी को लोकसभा और विधानसभाओं में भी आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाएगी? यदि ऐसा हो जाता है तो यह जनगणना देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगी। केंद्र सरकार द्वारा अचानक जातिगत जनगणना की घोषणा करना हर किसी को हैरानी में डालने वाली है।
जातिगत जनगणना को लेकर देश की संसद के दोनों सदनों में न केवल भाजपा और कांग्रेस में तीखी बहस हो चुकी है, बल्कि कई प्रकार की तल्ख टिप्पणियां भी इस मुद्दे पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर कर चुकी हैं। इसके अलावा कुछ क्षेत्रीय दल भी देश में जातिगत जनगणना के लिए अपनी आवाज बुलंद करते देखे गए थे। जब कांग्रेस देश में जातिगत जनगणना की मांग कर रही थी, तो केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट रूप से रखते हुए जातिगत जनगणना करवाने के लिए साफ इनकार कर दिया था तो फिर एकदम से केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर यू-टर्न क्यों ले लिया। इसमें कोई संशय नहीं है कि सरकार ने जातिगत जनगणना का निर्णय बड़े सोच-विचार के बाद ही लिया है, क्योंकि यह मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है और यह देश में बहुत बड़े राजनीतिक बदलाव की आधारशिला रखने की ताकत रखता है। भले ही सरकार जातिगत जनगणना को देश के नीति निर्माण के लिए उपयोगी बता रही है और कांग्रेस इससे पिछड़ों को उनके अधिकार देने की बात कर रही है, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक पार्टियों के अपने हित भी छुपे हुए हैं। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद देश में पहले से मौजूद जातिगत विभाजन और गहरा हो सकता है और इससे सामाजिक स्तर पर कई और चुनौतियां भी पैदा हो सकती हैं। लेकिन इन सबसे बढ़ कर इस जातिगत जनगणना और इसके समय को देखा जाए, तो ऐसा लगता है कि इसका सबसे बड़ा प्रभाव राजनीतिक क्षेत्र में पडऩे वाला है।
इस जनगणना का कार्य समाप्त होते ही 2027 में देश के सात राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इन राज्यों में देश का राजनीतिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश भी शामिल है। इस जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सभी दल अपनी जीत सुनिश्चित करने का भी प्रयास करेंगे। इसके अलावा जातीय जनगणना देश में 2026 में होने वाले पुनर्सीमांकन के कार्य को भी प्रभावित करेगी। यह पुनर्सीमांकन भी जातिगत जनगणना के आंकड़ों को प्रयोग में लेकर किया जाएगा। पुनर्सीमांकन भी देश की राजनीतिक तस्वीर में बदलाव लाता है, लेकिन जब जातीय जनगणना को आधार बनाकर यह पुनर्सीमांकन का कार्य किया जाएगा तो इससे यह बदलाव काफी बड़ा और चौंकाने वाला हो सकता है।