हेमंत सोरेन के आरएसएस वाले बयान पर अमर कुमार बाउरी ने कहा, ‘वोटबैंक की राजनीति में कितना गिरेंगे नीचे’
रांची, 26 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से आरएसएस को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान पर सियासत तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा था कि आरएसएस के लोग चूहे की तरह हमारे घर के अंदर घुसकर तोड़ने का काम करते हैं। जब हमारे एक नेता हमारी पार्टी में थे, तो वह 1932 की बात करते थे, स्थानीयता की बात करते थे, लेकिन भगवा होते ही उनकी भाषा भी बदल गई है।
मुख्यमंत्री सोरेन के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रवादी संगठन आरएसएस, जो विश्व का सबसे बड़ा संगठन है और उसकी स्थापना 1925 में राष्ट्रवादी विचारों के साथ सनातन संस्कृति और परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए हुई थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रयासों के कारण ही भारत आज गुलामी की मानसिकता को तोड़कर विश्व पटल पर अपनी पहचान बढ़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के चलते अपने पूर्वजों, वंशजों और आदिवासी समाज की अस्मिता को खतरे में डालने का काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बांग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य में देख नहीं पा रहे हैं, जबकि आरएसएस भारत की अस्मिता और परंपरा को स्थापित कर रहा है।
अमर कुमार बाउरी ने कहा कि आरएसएस ने भारत की अस्मिता और परंपराओं को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन आज उस पर व्यंग्य किया जा रहा है। मुझे लगता है कि आरएसएस के कारण ही हम आज अपने सनातन धर्म के साथ जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन, आप वोट बैंक की राजनीति के कारण और कितना नीचे गिरेंगे, अपने अंतरात्मा की आवाज को जरूर सुनें।
बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घुसपैठिए वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा था, “मैं उनको कहना चाहूंगा कि जाकर भारत सरकार का आंकड़ा निकाल कर देख लें कि कौन से जिला, कौन से राज्य में, किस तरह से आंकड़ों में बदलाव हुआ है। जहां लोग एक साथ अमन चैन से रहते हैं, वह इनको अच्छा नहीं लगता है, जहां-जहां लोग लड़ते हैं, वहां उनकी राजनीतिक रोटी पकती है। आरएसएस के लोग चूहे की तरह घुसकर हमारे समाज को तोड़ने का काम करते हैं। जब हमारे एक नेता हमारी पार्टी में थे, तो वह 1932 की बात करते थे, स्थानीयता की बात करते थे, लेकिन भगवा होते ही उनकी भाषा भी बदल गई है। इन्हें भी आप लोगों को पहचानने जरूरत है ताकि आने वाला चुनाव में हमारे लोगों से कोई गलती ये लोग ना करा सकें, इन्हें करारा जवाब देना है”