भारत में कौशल वाले लोगों को दरकिनार किया जा रहा है : राहुल गांधी
वाशिंगटन/नई दिल्ली, 09 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। अमेरिका के टेक्सास राज्य के डलास में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत में कौशल वाले लाखों लोगों को दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने महाभारत के एकलव्य की पौराणिक कथा का जिक्र भी किया जिसने अपने गुरु के कहने पर अपना अंगूठा काटकर उन्हें दे दिया था।
लोकसभा में विपक्ष के नेता ने रविवार को डलास में टेक्सास विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि भारत में कौशल की कोई कमी नहीं है बल्कि वहां कौशल रखने वाले लोगों के लिए सम्मान नहीं है।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कांग्रेस के आधिकारिक अकाउंट पर राहुल गांधी के हवाले से पोस्ट किया गया, ‘‘क्या आपने एकलव्य की कहानी सुनी है? भारत में जो कुछ हो रहा है, अगर आप इसे समझना चाहते हैं तो यहां लाखों, करोड़ों एकलव्य की कहानियां आए दिन सामने आ रही हैं। कौशल वाले लोगों को दरकिनार किया जा रहा है, उन्हें काम करने या आगे बढ़ने नहीं दिया जा रहा है और यह हर जगह हो रहा है।’’
महाभारत में युद्ध लड़ने की कला में निपुण गुरु द्रोणाचार्य से जब आदिवासी समुदाय से आने वाले एकलव्य ने धनुर्विद्या सीखने की इच्छा प्रकट की तो उन्होंने उससे उसका दाहिना अंगूठा मांग लिया।
गांधी ने कहा, ‘‘कई लोग कहते हैं कि भारत में कौशल की समस्या है। मुझे नहीं लगता कि भारत में कौशल की कोई समस्या है। मुझे लगता है कि… भारत में कौशल रखने वाले लोगों के लिए सम्मान नहीं है।’’
अपने संबोधन में गांधी ने कहा कि कौशल का सम्मान करके तथा कुशल लोगों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान कर भारत की क्षमता को उभारा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘आप सिर्फ आबादी के एक-दो प्रतिशत लोगों को सशक्त बनाकर भारत की क्षमता में इजाफा नहीं कर सकते हैं।’’
गांधी अमेरिका की चार दिवसीय अनौपचारिक यात्रा पर हैं। इस दौरान वह डलास, टेक्सास और वाशिंगटन की यात्रा करेंगे और भारतीय मूल के लोगों एवं युवाओं से बातचीत करेंगे। सोमवार से शुरू होने वाली वाशिंगटन की अपनी यात्रा के दौरान उनकी अमेरिका के सांसदों और वहां की सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने की भी योजना है।
गांधी ने भारत में उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि वैश्विक उत्पादन में चीन का प्रभुत्व है इसलिए वह बेरोजगारी का सामना नहीं कर रहा है जबकि भारत और अमेरिका समेत पश्चिमी देश बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश, अमेरिका, यूरोप और भारत ने ‘‘उत्पादन के विचार को छोड़ दिया है’’ और उन्होंने इसे चीन को सौंप दिया है।
गांधी ने कहा, ‘‘उत्पादन का कार्य रोजगार पैदा करता है। हम जो करते हैं, अमेरिकी जो करते हैं, पश्चिमी देश जो करते हैं, वह है उपभोग को व्यवस्थित करना… भारत को उत्पादन के कार्य और उत्पादन को व्यवस्थित करने के बारे में सोचना होगा…।’’
गांधी ने कहा, ‘‘यह स्वीकार्य नहीं है कि भारत केवल यह कहे कि ठीक है, विनिर्माण, जिसे आप विनिर्माण या उत्पादन कहते हैं, वह चीनियों के लिए आरक्षित रहेगा। यह वियतनामियों के लिए आरक्षित रहेगा। यह बांग्लादेश के लिए आरक्षित रहेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देने का एकमात्र तरीका यह हे कि विनिर्माण शुरू किया जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, हमें बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा और स्पष्ट रूप से यह टिकाऊ नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम ऐसे ही विनिर्माण को भूलने के इस रास्ते पर चलते रहेंगे, तो आप भारत, अमेरिका और यूरोप में भारी सामाजिक समस्याओं को देखेंगे। हमारी राजनीति का ध्रुवीकरण इसी वजह से है…।’’
उन्होंने शिक्षा प्रणाली पर ‘‘वैचारिक कब्जे’’ का जिक्र करते हुए व्यावसायिक प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि व्यापार प्रणाली और शिक्षा प्रणाली के बीच की खाई को पाटा जा सके।
अपने संबोधन में गांधी ने नयी तकनीक के कारण लोगों की मौजूदा नौकरियों के छिन जाने की बात भी कही। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप खुद को सही तरीके से पेश करते हैं, तो यह एक अवसर हो सकता है। अगर आप खुद को गलत तरीके से पेश करते हैं, तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘होता यह है कि जहां प्रौद्योगिकी कुछ लोगों से नौकरियां छीन लेती है, तो वहीं यह दूसरों के लिए अवसर भी पैदा करती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं मानता कि नौकरियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी, बल्कि इसके बजाय विभिन्न प्रकार की नौकरियां पैदा होंगी और विभिन्न क्षेत्रों को लाभ होगा।’’
गांधी शनिवार रात को डलास पहुंचे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा एवं इंडियन नेशनल ओवरसीज कांग्रेस, यूएसए के अध्यक्ष मोहिंदर गिलजियान के नेतृत्व में बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्यों ने उनका स्वागत किया।
अपने संबोधन में गांधी ने कहा कि व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षा प्रणाली को उद्यम प्रणाली से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस अंतर को पाटना या इन दो प्रणालियों, कौशल और शिक्षा को व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से जोड़ना महत्वपूर्ण है। मुझे लगता है कि वर्तमान में शिक्षा प्रणाली के साथ सबसे बड़ी समस्या इस पर वैचारिक कब्जा है, जहां विचारधारा को इसके माध्यम से पोषित किया जा रहा है…।’’
गांधी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अगर भारत उत्पादन की दिशा में आगे बढ़े और कौशल का सम्मान करना शुरू कर दे तो वह चीन का मुकाबला कर सकता है। गांधी ने कहा, ‘‘मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं। तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पहले ही यह कर दिखाया है। ऐसा नहीं है कि भारतीय राज्यों ने ऐसा नहीं किया है। पुणे ने यह कर दिखाया है। महाराष्ट्र ने यह कर दिखाया है। यह किया तो जा रहा है लेकिन उस पैमाने और समन्वय के साथ नहीं किया जा रहा है, जिसकी आवश्यकता है।’’