विनेश फोगाट हार कर भी जीत गई
-संजय गोस्वामी-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
पेरिस ओलंपिक 2024 से बाहर होने के बाद भारत की स्टार पहलवान विनेश फोगाट की पहली फोटो सामने आई है। तस्वीर में वह अस्पताल के बेड पर लेटी हुई नजर आ रही हैं और चेहरे पर मुस्कुराहट है। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने विनेश फोगाट से मुलाकात की। विनेश को महिलाओं की 50 किलोग्राम कुश्ती स्पर्धा के फाइनल के लिए डिस्क्वॉलिफाई करार दिया गया। फाइनल में उसका वजन 50 किलो के अंदर ही रहना चाहिए लेकिन मात्र 100ग्राम ज्यादा होने के वजह से फाइनल में मेडल लाने से चुकी इसमें सरकार की क़ोई गलती नहीं है यदि होती तो ओलम्पिक में भेजते ही नहीं ऐ सारे भारतवाशियों के लिए सदमें से कम नहीं है इसलिए राजनीति रंग देना ठीक नहीं है विनेश फोगाट पर सभी की निगाहेँ टिकी होगी राजनीति रोटी सेकने हेतु लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक विनेश डिस्क्वालिफाई होने के बाद फिजिकली और मेडिकिली ठीक हैं। पी टी उषा ने विनेश से पेरिस स्थित ओलंपिक गांव के मेडिकल सेंटर में मुलाकात की। कुछ न्यूज चैनलों के पेट में दर्द हो रहा होगा कि विपक्ष बयानवाजी करें और इसे मुद्दा बना लें लेकिन जब क़ोई देश के मान सम्मान पर बात आती है तो खिलाड़ियों में देश प्रेम की भावना रहती है ऐ भारत देश है जिसने अंग्रजो से आजादी दिलवाई इसे गलती से भी बांग्लादेश समझने की भूल ना करे यहाँ की सेनाओं हमेशा देश और लोकतान्त्रिक व्यवस्था के प्रति निष्ठावान रहते हैं इसलिए हमें ऐसे बयान कभी नहीं देना चाहिए जो देश को तोड़ने का काम करे ऐ कुछ न्यूज चैनलों पर ही हवा दी जा रही है कि भारत में भी लोकतंत्र खतरे में है और वैसी स्थिति आ जाएगी हमारे वीर सैनिक अभी भी पुरी मुश्तऐदी से बॉर्डर पर टिकी है कुछ न्यूज चैनलों और उनके चमकीले एंकरों में रत्तीभर भी नैतिकता बची है तो आज अपने शो की शुरुआत इस पहले वाक्य- ‘सॉरी विनेश फौगाट ! सॉरी मेरे लाखों दर्शकों ! मुझसे ग़लती हो गयी, हमने ग़लतबयानी की’ से कर सकते हैं। ऐसा करके वो सही तो नहीं हो जाएंगे लेकिन हां, जिस पेशे से लाखों कमाते आए हैं, दुनियाभर के ऐश-ओ-आराम की चीज़ें जुटायी है, उस पेशे की लाज, थोड़ी ही सही, बची रह जाएगी। राष्ट्रभक्ति के नाम पर न्यूज चैनल जो अपने दर्शकों के बीच ज़हर भरने का काम करते हैं, कई बार यह ज़हर इस हद तक जाकर बेअसर हो जाता है कि हम आसानी से समझ पाते हैं कि ऐसे चैनल कैसे देश और लोकतंत्र के ख़िलाफ जाकर काम कर रहे हैं। विनेशफोगाट का ओलम्पिक में शानदार प्रदर्शन और पिछले दिनों उनके ख़ि़लाफ चैनलों की तरह से चलाया गया नफ़रती अभियान इसका एक नमूना भर है। न्यूज चैनल इस देश, लोकतंत्र और नागरिकों के ख़िलाफ जाकर कैसे काम करते हैं, इस सिरे से सोचना शुरु करें तो एक लंबी फेहरिस्त बन सकती है और जिस पर एक-एक करके सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने की नौबत आ सकती है। लेकिन यह तब होगा जब इनके भीतर रत्तीभर भी नैतिकता बची होगी। इरादे की मजबूत विनेश फोगाट ने दुनिया के आगे जो परचम लहराया है, वो चैनलों के झूठ का जवाब तो ज़रूर है लेकिन जो इनकी हरकतों से टूट जाते होंगे, सोचकर देखिए तो चैनलों का उन पर कैसा असर होता होगा? मैं फिर दोहराता हूं कि न्यूज चैनल जिस नाम पर ओवरडोज देने का काम अपने देर्शकों के बीच करते हैं वो इस देश के लिए ख़तरनाक है। व्यक्ति अपने उद्देश्यों, लक्ष्यों या संघर्ष में असफल होकर हार मान लेता है। वह अपनी हानि को स्वीकार करता है और आगे बढ़ने की कोशिश नहीं करता। व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में असफल हो सकता है, लेकिन वह आत्म-संश्रय और साहस से संघर्ष जारी रखता है। वह हार को अपने पथ का एक हिस्सा मानता है, न कि अपने उद्देश्यों से हार मानता है। इन दो अवधारणाओं में अंतर यह है कि हार मान लेना उस व्यक्ति की असफलता को ज़ाहिर करता है, जबकि हार जाना उसकी आत्म-समर्पण और पुनर्निर्माण की भावना को दर्शाता है परन्तु इसका यह अर्थ नहीं होता है कि व्यक्ति अपने उद्देश्यों, लक्ष्यों या संघर्ष में असफल होकर हार मान लेता है। वह अपनी हानि को स्वीकार कर और आगे बढ़ने की कोशिश करता है आज न कल जीत अवश्य मिलेगी।