राजनैतिकशिक्षा

चमत्कारी बाबा की ‘चरण रज’ का सत्य

-डॉ. सुरेश शर्मा-

-: ऐजेंसी/अशोका एक्स्प्रेस :-

पता नहीं आम तथा सामान्य व्यक्ति ढोंगी बाबाओं, अज्ञान, अंधकार तथा अंधविश्वासों के चंगुल से कब मुक्त होगा? धर्मों, पंथों, मतों तथा आस्था के नाम पर लोगों को उनकी जान की कीमत पर भीड़ इकट्ठा करने का सिलसिला वर्षों से चल रहा है। यह नहीं कहा जा सकता कि सभी बाबा ढोंगी तथा फरेबी होते हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि बहुत से लोग धर्म, मत तथा आस्था के नाम पर अपना धंधा चला रहे हैं। बहुत से लोग, गैर सरकारी संगठन मानव कल्याण के लिए बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं, परंतु सत्य यह भी है कि बहुत से मामलों में यह भी एक काला धंधा बन चुका है। अनेकों ढोंगी साधु तथा बाबा यौन शोषण, हत्याओं तथा संगीन अपराधों के मामलों में जेलों की हवा खा रहे हैं। संगठन के माध्यम से किसी विचार, मत से तथा किसी लालच से अनुयायी बनाना अब आम बात हो गई है। बहुत से मामलों में लोग इन बाबाओं से गुमराह ही होते हैं। अशिक्षा, अज्ञान तथा अन्धविश्वास ही इसका मुख्य कारण है। हजारों तथा लाखों की भीड़ इकट्ठा कर अपना प्रभुत्व दिखाना, धन उगाही करना, अपने संगठन का शक्ति प्रदर्शन इसका मुख्य उद्देश्य रहता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी अपना संगठन खड़ा कर सकता है, अपना विचार फैला सकता है तथा अपने अनुयायियों की फौज खड़ी कर कहीं भी सत्संग, समारोह तथा समागम आयोजित कर सकता है। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सिकंद्राराऊ क्षेत्र में हाल में एक सत्संग कार्यक्रम में बाबा की चरण रज प्राप्त करने के चक्कर में 121 लोग भगदड़ में मारे गए।

इस सत्संग कार्यक्रम में प्रशासन से 80 हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति ली गई, जबकि करीब अढ़ाई लाख श्रद्धालु कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। कार्यक्रम के पश्चात भोले बाबा के नाम से मशहूर बाबा के चरणों की धूल प्राप्त करने तथा बाबा के निजी सुरक्षा कर्मियों द्वारा धक्के देने के फलस्वरूप भगदड़ मचने से 121 बेकसूर तथा नासमझ लोगों की जान चले जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। आश्चर्य तथा खेदजनक है कि इन मृतकों में 114 महिलाएं शामिल हैं। कुछ मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है। बहुत से गंभीर रूप से घायल लोगों का आगरा, अलीगढ़ तथा हाथरस के अस्पतालों में ईलाज चल रहा है। मौत की ऐसी भयावह त्रासदी कोई पहली घटना नहीं है। धर्मस्थलों में भीड़ इक_ी होने, भगदड़ मचने, धक्का-मुक्की होने, पुल टूट जाने, गाडिय़ों की दुर्घटना होने, आयोजन स्थल पर आगजनी होने से टैंट तथा शामियाने जलने, शार्ट सर्किट होने जैसे कारणों से अनेकों दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। दु:खद यह है कि हर बार कुछ दिनों के अफसोस, पुलिस केस, जांच समिति गठित होने तथा न्यायालय के मुकद्दमों के अतिरिक्त हम कोई सीख नहीं ले पाए हैं। हमें अपने ऊपर विश्वास ही नहीं रहा, बाबाओं के चमत्कारों तथा आडंबरों के चक्कर में न जाने कितने बेकसूर लोग असमय मौत का शिकार हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस में कभी आरक्षक रहे सूरज पाल यादव को अचानक आध्यात्मिक ज्ञान हो गया। वर्ष 1997 में सूरज पाल ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद अपने घर को ही आश्रम का रूप देकर प्रवचन देने से अपना धंधा शुरू कर दिया। कुछ ही वर्षों में सूरज पाल भोले बाबा तथा चमत्कारी बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा तथा पंजाब आदि राज्यों में अनेकों भक्तों के बाबा बन गए। भोले बाबा के लिए सत्संग में लोग अपनी परेशानियां लेकर आने लगे, हाथ से छूकर भी बीमारियां दूर होने का चमत्कार होने लगा। बाबा की मार्किट बनती रही। चमत्कार को नमस्कार होने लगा। हैरानी की बात है कि न केवल आम आदमी बल्कि प्रसिद्ध व्यवसायी, उद्योगपति, राजनीतिज्ञ, फिल्मी सितारे तथा वीवीआईपी लोग भी लाभ लेने के लिए इन बाबाओं के चक्कर में रहते हैं।

इनके प्रभाव तथा भेड़चाल में आम व्यक्ति इस प्रकार के हादसों का शिकार हो जाते हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यक्षप्रश्न यह है कि हम कब तक अशिक्षा, अज्ञान तथा अंधविश्वास के प्रभाव में रहेंगे? कब तक ये बाबा लोग सामान्य जन की भावनाओं से खिलवाड़ कर अपना धंधा चलाते रहेंगे? कब तक प्रशासन, व्यवस्थाएं तथा सरकारें बेफिक्र होकर सोई रहेंगी? कब तक समाज वास्तव में शिक्षित तथा जागरूक होगा? ऐसी घटना घटित होने के बाद कुछ दिनों तक आंखें खुली रहने के पश्चात हम फिर से ऐसी घटनाओं के लिए तैयार हो जाते हैं। बहरहाल, अब सूरज पाल सिंह उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा, सत्संग कार्यक्रम के आयोजक देव प्रकाश माथुर तथा अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105, 110, 126, 223 तथा 238 के तहत मामला दर्ज हो चुका है और इसके बाद गिरफ्तारी, जांच-पड़ताल, आपराधिक मामले, न्यायालय के मुकदमों के पश्चात फिर कोई सबक न लेकर किसी और समय तथा स्थान पर इस प्रकार की किसी मिलती-जुलती घटना के लिए तैयार हो जाएंगे। यह दु:खद घटनाक्रम निरंतर तथा अनवरत रूप से चल रहा है।

हाथरस जिला में सूरज पाल जाटव उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के इस समागम में यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने के पश्चात अब प्रशासन द्वारा बाबा का इतिहास खंगाले जाने से यह पता चल रहा कि उपरोक्त बाबा यौन शोषण सहित अनेकों आपराधिक मामलों में शामिल है। भोले बाबा के नाम पर अनेक आपराधिक मामले, जादुई चमत्कार, अंधविश्वास फैलाने, जादू-टोना तथा जमीन कब्जाने के मामले दर्ज हो चुके हैं। बाबा को कई मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है। विडंबना है कि ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद ही इन बाबाओं के संगीन अपराधों की परतें खुलती हैं तथा सामान्य रूप में प्रशासन तथा राजनीतिक व्यवस्थाओं की छत्रछाया में इनका धंधा चलता रहता है। बाबा के चरणों की धूल लेने तथा उनके सुरक्षा कर्मियों द्वारा धक्का-मुक्की के फलस्वरूप भगदड़ मच जाने से बेकसूर लोगों की जान चली गई। इस घटना के लिए जिला प्रशासन तथा प्रदेश सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। आवश्यक यह है कि ऐसे आयोजनों में भीड़ इक_ी होने से पूर्व आयोजकों तथा प्रशासन द्वारा सुरक्षित तथा पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए। मामले में सख्त कार्रवाई की आस है।

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