राजनैतिकशिक्षा

निजी क्षेत्र को इस तरह निशाना बनाया जाता रहा तो कौन निवेश के लिए आगे आयेगा?

-नीरज कुमार दुबे-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

नाम है किसान आंदोलन का लेकिन चल रहा है देश की छवि बिगाड़ने का प्रयास। नाम है किसान आंदोलन का लेकिन चल रहा है भारत में निवेश बाधित करने का प्रयास। नाम है किसान आंदोलन का लेकिन चल रहा है देश में खड़े हो रहे बुनियादी ढांचे को गिराने का प्रयास। नाम है किसान आंदोलन का लेकिन चल रहा है कॉरपोरेट के खिलाफ माहौल बनाने का प्रयास। पंजाब के किसान नेताओं के इस आंदोलन के दौरान जरा एक-एक चीज पर गौर करेंगे तो साफ हो जायेगा कि लेफ्ट की धुन बजा रहे इन नेताओं ने क्यों अड़ियल रुख अपनाया हुआ है। रिलायंस जियो ने जब मुफ्त में सिम दिया तो सभी ने रात-रात भर लाइनों में लगकर सिम लिया और उसका जमकर उपयोग किया लेकिन जब पैसे लगने लगे तो रिलायंस बुरा हो गया। जिस तरह रिलायंस के खिलाफ नफरत फैलायी जा रही है उससे सभी को सचेत होना चाहिए क्योंकि अगर निजी क्षेत्र को इस तरह निशाना बनाया गया तो कौन उद्योगपति निवेश के लिए आगे आयेगा।

आज जब सरकारी नौकरियां बहुत कम रह गयी हैं ऐसे में निजी क्षेत्र ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत के लिए बड़ा सहारा है। रिलायंस बार-बार स्पष्ट कर चुकी है कि उसको कृषि कानूनों से कोई लाभ नहीं होने वाला है फिर यह विवाद क्यों? सोशल मीडिया पर मुकेश अंबानी की फोटो के साथ तरह-तरह के कमेंट किये जा रहे हैं। जरा आप लोग बताइये कौन-सा उद्योगपति नुकसान के लिए कंपनी खड़ी करता है। हर कोई फायदा देखता है। हाँ यह फायदा किसी के नुकसान की कीमत पर नहीं होना चाहिए। लॉकडाउन के बाद अब जब धीरे-धीरे देश अनलॉक हो चुका है तो सभी को एक साथ आकर देश को आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए। लेकिन नहीं, कुछ लोग हैं जो देश की उन्नति में बाधाएं खड़ी करने के प्रयास में जाने-अनजाने सहयोग करते रहते हैं। पंजाब में जिस तरह जियो के मोबाइल टावरों को नुकसान पहुँचाया गया है उससे क्या हासिल हो गया? कंपनी को नुकसान हो ना हो लेकिन आसपास के लोगों को जो नुकसान झेलना पड़ रहा है उसकी कल्पना कर सकते हैं क्या? एटीएम नहीं चलने की खबरें आ रही हैं, बैंकिंग सेवाओं के प्रभावित होने की खबरें आ रही हैं, ऑनलाइन क्लासेज नहीं कर पा रहे हैं बच्चे, लोग कॉल नहीं कर पा रहे हैं। उपद्रवियों ने किसका नुकसान किया? हैरानी की बात है कि पंजाब में इस तरह का उप्रदव मचाया जा रहा है और राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी नजर आ रही है। राज्यपाल राज्य के अधिकारियों को तलब करते हैं तो मुख्यमंत्री भड़क उठते हैं और आरोप लगा देते हैं कि राजभवन का दुरुपयोग किया जा रहा है।

खैर अब उम्मीद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से है जिसने रिलायंस जियो इन्फोकॉम लि. की एक याचिका पर सुनवाई करते हुये मंगलवार को पंजाब सरकार एवं केंद्र को नोटिस जारी किया। रिलायंस ने अपनी याचिका में उन ‘शरारती लोगों’ के खिलाफ कार्रवाई किये जाने का अनुरोध किया है जिन्होंने कंपनी के दूरसंचार बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया और प्रदेश में जबरन इसके स्टोर बंद करवा दिये। उल्लेखनीय है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शन के दौरान पंजाब में 1500 से अधिक मोबाइल टावरों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी रिलायंस जियो ने दायर याचिका में कहा है कि ‘निहित स्वार्थ’ के कारण कंपनी के खिलाफ अफवाहें फैलायी जा रही हैं। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता अथवा उसकी मूल कंपनी अथवा सहायक कंपनियों की कारपोरेट अथवा ठेके की खेती में उतरने की कोई योजना नहीं है।

दूसरी ओर भीषण सर्दी, बारिश और जलभराव की स्थिति में भी पंजाब के किसान कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की अपनी मांग को लेकर दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी। किसान संगठनों के प्रतिनिधि इन कानूनों को पूरी तरह निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार कानूनों की ‘‘खामियों’’ वाले बिन्दुओं या उनके अन्य विकल्पों पर चर्चा करना चाह रही थी। दोनों के बीच अब अगली बातचीत आठ जनवरी को होगी।

बहरहाल, इन किसान नेताओं को भले सर्दी में इस तरह जाम लगा देने में आनंद आ रहा हो लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में दिल्ली और उसके आसपास रहने वालों को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है शायद इसका अंदाजा यह किसान नेता नहीं लगा पा रहे या लोगों की समस्याओं की ओर से जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं। बार-बार विपक्ष के नेताओं से मिल रहे किसान नेताओं का प्रयास है कि भीड़ को संसद सत्र तक दिल्ली की सीमाओं पर बनाये रखा जाये ताकि सत्र के दौरान सरकार पर कृषि सुधार कानूनों की वापसी का दबाव बनाया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *