राजनैतिकशिक्षा

भाजपा शासन में बेटियों का बुरा हाल

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

प्रतिष्ठित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में एक छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के जिन तीन आरोपियों को पुलिस ने घटना के दो माह बाद धर दबोचा है, वे तीनों ही भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के पदाधिकारी निकले। उन्होंने पहली नवम्बर की रात एक छात्रा के साथ बंदूक की नोक पर इस कृत्य को अंजाम दिया था। घटना में उनकी संलिप्तता पाये जाने के बाद भाजपा ने चाहे तीनों को पार्टी से निष्कासित कर दिया हो, तो भी यह साबित हो जाता है कि पार्टी के साथ काम करने वाले चाहे जितनी चरित्र और जीवन मूल्यों की बात करें, उनकी चाल, चेहरा और चरित्र एकदम विपरीत है। ये तीनों वाराणसी आईटी सेल के पदाधिकारी हैं जिनका काम पार्टी की नीतियों व कायक्रमों का प्रचार करना होता है। भाजपा के लोगों के जिस प्रकार से अलग-अलग अपराधों में हाथ पाये जा रहे हैं, उससे साफ है कि पार्टी ऐसे लोगों की शरणस्थली बन गई है।

लंका पुलिस थाना अधिकारियों के मुताबिक जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनके नाम हैं-कुणाल पांडेय, आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल। कुमार आईटी सेल का संयोजक है तो सक्षम सह संयोजक। आनंद भी इन दोनों का सहयोगी बताया गया है। घटना की रात बीएचयू महिला छात्रावास की एक छात्रा रात को घूमने निकली तभी तीनों उसके मुंह को दबाकर एक कोने में ले गये। बंदूक दिखाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। उसका फोन भी उन्होंने छीन लिया और शिकायत करने पर उसे जान से मारने की धमकी दी थी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उनकी शिनाख्त हुई जो बुलेट पर सवार होकर आये थे।

तीनों आरोपियों के सोशल मीडिया पर उनके फोटो जिन बड़े लोगों के साथ वायरल हो रहे हैं उनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी आदि हैं। वाराणसी मोदी की लोकसभा सीट है। इस नाते देखना यह है कि क्या ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ का नारा देने वाले मोदी इस बाबत क्या करते हैं। ऐसे ही, कोर्ट के जरिये दोष सिद्धि के पूर्व बेहद तत्परता से आरोपियों के घरों, दुकानों यहां तक कि पूरी बस्तियों पर भी बुलडोज़र चलाने वाले आदित्यनाथ इन पर वैसे ही कहर बरपाते हैं या नहीं, जैसे कि वे भाजपा विरोधियों पर बरपाते हैं। हालांकि सभी जानते हैं कि ऐसा कतई नहीं होगा क्योंकि इस देश में दो तरह के कानून चलते हैं-पहला भाजपा विरोधियों के लिये और दूसरा भाजपा समर्थकों के लिये। विरोधियों के खिलाफ आरोप लगना ही कार्रवाई के लिये काफी होता है जबकि समर्थकों के दोष साबित हो जाने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होनी तो दूर, उन्हें बचाये जाने की कोशिशें भी आखिरी दम तक होती हैं। हाथरस, उन्नाव से लेकर लखीमपुर खीरी तक के मामले बताते हैं कि बलात्कार हो या हत्याएं-भाजपायियों के लिये सब कुछ जायज है। प्रशासन भी उन्हें हाथ लगाने की जुर्रत नहीं करता। इस मामले में सम्भवत: आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य बहुत ही मजबूत रहे होंगे इसलिये पुलिस को भी कार्रवाई करनी पड़ी होगी। अब देखना तो यह है कि क्या कोर्ट में इनके खिलाफ आरोप साबित हो सकेंगे या ये वैसे ही निकल आयेंगे जिस प्रकार से देश में हुए कुछ अन्य मामलों में आरोपी साफ बच निकले हैं।

इस वारदात से कई प्रश्न भी खड़े होते हैं। पहली बात तो यह कि योगी बार-बार दावा करते रहे हैं कि उनके प्रदेश में कानून का इतना डर है कि कोई भी महिला गहनों से लदकर आधी रात को अकेली स्कूटी पर घूम सकती है। कोई असामाजिक तत्व उसकी ओर आंखें उठाकर भी नहीं देख सकता। योगी यह भी दावा करते हैं कि अपराधी उनके राज्य से निकल भागे हैं। बीएचयू परिसर तो वैसे भी सुरक्षित माना जाता रहा है क्योंकि उसमें कुलपति का सीधा नियंत्रण होता है। देश भर से बड़ी संख्या में आई लड़कियां यहां पढ़ती हैं। छात्रावासों में कुलपति, अधीक्षकों एवं प्रोक्टरों की बनाई सुरक्षा व्यवस्था में भरोसा कर वे अपना भविष्य बनाने में जुटी रहती हैं। वर्षों से यह व्यवस्था बनी हुई थी, परन्तु देखा यह गया है कि पिछले 8-9 सालों में बीएचयू समेत देश के ज्यादातर श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में सरकार की दखलंदाजी बढ़ी है।

भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुड़े कुलपति, कुलसचिव और प्रोफेसर-डीन के हाथों में पूरा प्रशासन आ गया है। साथ ही, इसी विचारधारा के छात्र इन परिसरों का वातावरण दूषित कर रहे हैं। उन्हें पूरा संरक्षण विवि प्रशासन से तो मिलता ही है, स्थानीय पुलिस भी मददगार होती है। पहले बाहरी तत्व परिसरों में मटरगश्ती करने की हिमाकत नहीं कर पाते थे। अब उनका न सिर्फ सीधा प्रवेश हो गया है वरन उन्हें मनमर्जी व्यवहार करने की भी आजादी है। इससे सिर्फ लड़कियां नहीं बल्कि भाजपा विरोधी विचारधारा का समर्थन करने वाले छात्र-छात्राएं भी असुरक्षित महसूस करने लगी हैं। पहले ये विश्वविद्यालय वैचारिक विभिन्नता और अलग-अलग विचारों की अभिव्यक्ति के केन्द्र माने जाते थे। अब ऐसा नहीं है। साथ ही, जिस विचारधारा के साथ ये आरोपी संलग्न हैं, वे मत विभिन्नता में विश्वास तो करते ही नहीं, महिलाओं के पढ़ने-लिखने, उनकी आजादी व सशक्तिकरण के भी खिलाफ हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा शासित राज्य महिला उत्पीड़न एवं अपराधों के मामलों में काफी ऊपर हैं। इसका कारण यही है कि अपराधी देखते हैं कि किस प्रकार से पार्टी व सरकार अपने से जुड़े लोगों को बचाती है। इससे महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ते हैं तो यह स्वाभाविक है।

 

 

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