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भारत को दीर्घकालिक वृद्धि क्षमता बढ़ाने में करना पड़ सकता है चुनौतियों का सामना: मूडीज

नई दिल्ली, 09 नवंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। भारत को उच्च व्यापार मुक्तता के अभाव में दीर्घकालिक वृद्धि क्षमता बढ़ाने और अपने युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बृहस्पतिवार को यह बात कही है।

मूडीज ने दक्षिण एशिया सॉवरेन पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि अन्य दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अपने एकीकरण को गहरा करने, एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को आकर्षित करने और निर्यात बढ़ाने के लिए बेहतर स्थिति में प्रतीत होता है।

देश में बेहतर व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांत, अधिक स्थिर राजनीति और अधिक विकसित निर्यात क्षेत्र है।

मूडीज ने कहा, “फिर भी, भारत को अधिक निर्यातोन्मुख बनने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए सरकार को देश की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए सुधारों को लागू करने की जरूरत है, जो राजनीतिक रूप से कठिन भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, इसमें उन व्यवसायों की सुरक्षा को कम करना शामिल होगा जो दशकों से चली आ रही प्रतिबंधात्मक घरेलू व्यापार नीतियों से लाभान्वित हुए हैं।

‘व्यापार में कम खुलापन झटके की आशंका को बढ़ाता है और लंबे समय में वृद्धि पर अंकुश लगाता है’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की हालिया नीतिगत पसंद ने अधिक निर्यात-उन्मुख बनने की उसकी क्षमता को बाधित करना जारी रखा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने हाल के वर्षों में संरक्षणवादी उपाय अपनाना जारी रखा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाया है कि 2008 और 2019 के बीच, भारत ने कृषि वस्तुओं और विनिर्मित वस्तुओं पर अपने आयात शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि की, जबकि सक्रिय रूप से गैर-शुल्क उपायों का भी उपयोग किया।

 

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