2024 के महाभारत की चुनावी चक्रव्यूह की रचना
-सनत जैन-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
2024 के लोकसभा चुनाव की तस्वीर अब साफ होने लगी है। कांग्रेस के नेतृत्व में 26 दलों की बेंगलुरु में एक बैठक हुई जिसमें विपक्षी एकता के साथ-साथ गठबंधन का नाम यूपीए से बदलकर नया नाम इंडिया रखकर विपक्ष ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। विपक्षी दलों ने गठबंधन की एकता को लेकर जो संदेश दिया है। उससे चुनावी चक्रव्यूह किस तरह से विपक्षी दल रच रहे हैं। इसका एक संदेश मिला है। राहुल गांधी, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे ने एक सुर में विपक्षी एकता के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाई है। राकापा प्रमुख शरद पवार भी बैठक में शामिल हुए। उससे एक बड़ा संदेश विपक्षी दलों ने भाजपा, सत्तापक्ष और आम जनता को देने का प्रयास किया है। इंडिया नाम को लेकर जिस तरह से एनडीए के सामने विपक्ष ने बिसात बिछाई है। उस बिसात में कहीं ना कहीं एनडीए को कड़ी चुनौती मिलेगी, उसका इशारा विपक्ष ने कर दिया है। विपक्षी दलों का जो इंडिया गठबंधन तैयार हुआ है। उसकी पहली परीक्षा संसद के मानसून सत्र में होगी। विपक्षी गठबंधन इंडिया में पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र इत्यादि के प्रभावी राजनीतिक दलों को शामिल करके इंडिया ने एक कड़ी चुनौती एनडीए के लिए तैयार कर दी है। उल्लेखनीय है, पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए में शामिल दलों को 25 करोड़ और इंडिया में शामिल राजनीतिक दलों को 23 करोड़ वोट मिले थे। जिसके कारण मुकाबला बड़े कांटे का हो गया है। 4 साल में चुनावी वैतरणी में बहुत सारा पानी बह गया है।
भाजपा ने इंडिया को अंग्रेजी सोच बताते हुए कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन को घेरने में कोई देरी नहीं की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद और भ्रष्टाचार पर तीखा हमला बोलते हुए साफ कर दिया है कि अगला चुनाव भ्रष्टाचार और परिवारवाद के ऊपर ही आधारित होगा। एनडीए में 38 राजनीतिक दल शामिल है। इनमें से 25 राजनीतिक दलों का लोकसभा में एक भी प्रतिनिधि नहीं है। एनडीए गठबंधन में जो राजनीतिक दल शामिल हुए हैं। वह बहुत छोटे राजनीतिक दल हैं। उनके वोटों की संख्या बहुत कम है। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा बहुत ज्यादा है। एनडीए के लिए उन्हें संतुष्ट करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। लोकसभा 2024 के चुनाव में मोदी हटाओ के स्थान पर, इंडिया बचाओ का नया नारा लेकर, इंडिया गठबंधन के राजनीतिक दल सारे देश में एक नया संदेश देने की कोशिश करेंगे। यह माना जा रहा है कि भाजपा इंडिया पर सीधा हमला नहीं करेगी। उसे अपने बचाव के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन को कमजोर करने के लिए परिवारवाद और भ्रष्टाचार ही बड़ा अस्त्र और शस्त्र होगा जिसका एनडीए बड़े पैमाने पर चुनाव मैदान में उपयोग करेगी। बहरहाल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर महासंग्राम की पूरी तैयारी पक्ष और विपक्ष में हो चुकी है। दोनों ही गठबंधन एक दूसरे को पराजित करने के लिए जिस तरह की चक्रव्यूह की रचना कर रहे हैं।
चक्रव्यूह से निपटने के लिए दोनों को अपने अस्त्र-शस्त्र और योद्धा तैयार करने होंगे। दोनों ही गठबंधन के योद्धा अस्त्र और शस्त्र, एक-दूसरे के ऊपर चलाएंगे। मतदाता उससे कितना प्रभावित होता है। यही 2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम तय करेगा। आखिर मतदान तो आम जनता को ही करना है। भारतीय जनता पार्टी भी चुनाव में जाते समय लगभग साढे़ 9 साल का शासन केंद्र में कर चुकी होगी। इसके पहले भी कई राज्यों में 15 से 20 सालों तक भाजपा की सरकारें रही हैं। डबल इंजन की सरकार और धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर आम जनमानस के ऊपर एनडीए का कितना प्रभाव है। इस लोकसभा के चुनाव परिणाम में स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा। चुनावी चक्रव्यूह की रचना हो चुकी है। महासंग्राम के मैदान में योद्धाओं के लिए अभी काफी समय मैदान में उतरने के लिए है। सही परीक्षा तो अधिसूचना जारी होने के बाद से लेकर चुनाव परिणाम आने तक एनडीए और इंडिया के बीच का मुकाबला इस बार देखने लायक होगा। यह महासंग्राम दो ऐसे योद्धाओं के बीच होगा। जिसमें दोनों एक दूसरे की बराबरी पर आकर खड़े हैं। किसी के पास भी संसाधनों, अस्त्र-शस्त्र की कमी नहीं होगी। दोनों पक्षों के योद्धा भी पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं।