राजनैतिकशिक्षा

भाजपा में बाहर से आए हुए नेताओं का कब्जा

-सनत जैन-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

2023 में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव तथा लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए, भारतीय जनता पार्टी ने 4 प्रदेश अध्यक्षों में बदलाव किया है। उसके बाद पार्टी में बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। पंजाब में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ बनाए गए हैं। वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। उनके पिता बलराम जाखड़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। 10 साल तक लोकसभा के अध्यक्ष थे। मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी थे। उनके लड़के सुनील जाखड़ को जो कुछ वर्ष पूर्व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। उन्हें पंजाब का प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बना दिया गया है। आंध्र प्रदेश से डी पुरंदेश्वरी देवी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। यह एनटी रामाराव की बेटी हैं। यह भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थी। उन्हें आंध्र का भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया है। झारखंड से बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने भाजपा छोड़कर अपनी एक पार्टी बना ली थी। उसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। भाजपा ने उन्हें भी झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। तेलंगाना से जी किशन रेड्डी को भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। यह हमेशा से भाजपा में ही रहे हैं। इनकी पहचान निष्ठावान भाजपा कार्यकर्ता की है। पंजाब आंध्रा और झारखंड में बाहर से आए हुए, नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष का पदभार दिए जाने से देश के सभी राज्यों में भाजपा के बीच बडी तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता और पदाधिकारियों का कहना है, कि भारतीय जनता पार्टी में जिस तरह से अन्य पार्टियों से आए हुए, लोगों को महत्वपूर्ण पदों से नवाजा जा रहा है। भ्रष्टाचार के आरोपियों को सत्ता और संगठन की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। ऐसी स्थिति में जो भारतीय जनता पार्टी सुचिता की राजनीति करने की बात करती थी। चाल चरित्र और चेहरे की बात करती थी। जिन कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों की तीन पीढ़ियों ने अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ ओर भारतीय जनता पार्टी के लिए समर्पित किया है। सत्ता में आने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं के स्थान पर दलबदलू और भगोडों को संगठन और सत्ता की चाबी सौंपी जा रही है। भाजपा के निष्ठानवान अपने ही घर में बेगाने हो गए हैं। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा नाराजी भाजपा के कार्यकर्ताओं और संगठन पदाधिकारियों में देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र में जिस तरह से अजीत पवार और एनसीपी के नेताओं पर हजारों करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पूर्व मप्र में एनसीपी के भ्रष्ट नेताओं को जेल भेजने की गारंटी दी थी। लेकिन कुछ ही दिनों में एनसीपी नेताओं को सत्ता में भागीदार बनाया हैं। उसकी भाजपा संगठन में बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। भ्रष्टाचारियों को उप मुख्यमंत्री और मंत्री बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने संगठन के निष्ठावान कार्यकर्ताओं के घाव में नमक मिर्ची डालने का काम किया है। अन्य प्रदेशों में भी इसी तरह से सत्ता एवं संगठन में भागीदारी दी गई है। आसाम के मुख्यमंत्री और पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्री दूसरी पार्टियों से आए हुए लोगों को बनाया जा रहा है। उन्हें संगठन की जिम्मेदारी भी दी जा रही है। इसकी भाजपा संगठन में बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया हुई है। यह अलग बात है, कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता और स्वयंसेवक खुलकर विरोध नहीं करते हैं। लेकिन उनमें निराशा घर कर गई है। इस निराशा से भाजपा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बाहर निकालने में भाजपा संगठन सफल नहीं हुआ, तो पार्टी में बगावत और 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा को बहुत भारी पडने जा रहा है। इस तरह की आशंका व्यक्त की जाने लगी है। संघ के स्वयंसेवक और भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वैसे काम नहीं करेंगे, जैसे पहले करते आये हैं। उनकी निराशा से पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान भविष्य में उठाना पड़ सकता है।

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