राजनैतिकशिक्षा

मजबूत डिजिटल ढांचे की अहमियत

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

इन दिनों देश और दुनिया के विभिन्न प्रमुख आर्थिक और वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत में डिजिटलीकरण से आर्थिक कल्याण और अर्थव्यवस्था के विकास का नया दौर दिखाई दे रहा है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)के द्वारा प्रकाशित वर्किंग पेपर ‘स्टैकिंग अप द बेनेफिट्स लेसन्स फ्रॉम इंडियाज डिजिटल जर्नी’ में कहा गया है कि डिजिटलीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद की है और आधार ने लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर डीबीटी)में मदद की है। साथ ही मार्च 2021 तक डिजिटल बुनियादी ढांचे और अन्य डिजिटल सुधारों के कारण व्यय में जीडीपी का लगभग 1.1 फीसदी बचाया गया है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) की सराहना दुनिया भर में की जा रही है। इस समय देश में करीब 47.8 करोड़ से अधिक जनधन खातों, (जे) करीब 134 करोड़ से अधिक आधार कार्ड (ए) और 118 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं (एम) के तीन आयामी जैम से आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। भारत में वर्ष 2014 से लागू की गई डीबीटी योजना एक वरदान की तरह दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से डिजिटल समानता से समाज के सभी वर्गों की पहुंच डिजिटल प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ गई है। भारत में डीबीटी से कल्याणकारी योजनाओं के जरिए महिलाओं, बुजुर्गों और किसानों और कमजोर वर्ग के लोगों को अकल्पनीय फायदा हो रहा है। उल्लेखनीय है कि 3 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीबीआई के डायमंड जुबली समारोह में कहा कि सरकार ने वर्ष 2014 से लेकर अब तक डीबीटी के जरिए करीब 27 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि सीधे लाभान्वितों के बैंक खातों तक पहुंचाई गई है। केंद्र सरकार के द्वारा गरीबों, किसानों और कमजोर वर्ग के करोड़ों लोगों के बैंक खातों में डीबीटी से सीधे सब्सिडी जमा कराए जाने से करीब सवा दो लाख करोड़ रुपए बिचौलियों के हाथों में जाने से बचाए गए हैं।

निसंदेह भारत ने पिछले एक दशक में मजबूत डिजिटल ढांचे से डिजिटलीकरण में एक लंबा सफर तय कर लिया है। सरकारी योजनाओं के तहत बिचौलियों के भ्रष्टाचार को रोकने, काम के भौतिक रूपों व सरकारी कार्यालयों में लंबी कतारों से राहत और घरों में आराम से मोबाइल स्क्रीन पर कुछ क्लिक करके विभिन्न सेवाओं, सुविधाओं और मनोरंजन की सहज उपलब्ध सुविधाएं हैं। ज्ञातव्य है कि जहां केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की 450 से अधिक सरकारी योजनाओं का फायदा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाने में बड़ी कामयाबी मिली है, वहीं लोगों की सुविधाएं बढ़ी हैं। देश में सौ से अधिक सरकारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। पहले बैंक, गैस, स्कूल, टोल, राशन हर जगह कतारें होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। सरकारी दफ्तर आपकी मुठ्ठियों में रखें मोबाइल तक पहुंच गए हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि छोटे उद्योग, कारोबार के लिए सरल ऋण और रोजगार सृजन हेतु अप्रैल 2015 को डिजिटल रूप से लागू प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत मार्च 2023 तक 40.82 करोड़ लोन खातों में 23.2 लाख करोड़ रुपए पहुंचाए गए हैं। इसी तरह अटल पेंशन योजना, भारत बिल भुगतान प्रणाली, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, स्टैंड अप इंडिया और तत्काल भुगतान सेवा, डिजिटल आयुष्मान भारत मिशन से भी समाज के करोड़ों लोग लाभांवित हो रहे हैं। डिजिटल पैमेंट के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है और भारत में अमरीका, यूके और जर्मनी जैसे बड़े देशों को पीछे कर दिया है। ये सब सेवाएं भारत में डिजिटल गवर्नेंस के एक नए युग की प्रतीक हैं।

इतना ही नहीं किसानों के समावेशी विकास में भी डीबीटी की अहम भूमिका है। एक जनवरी 2023 से डिजिटल राशन प्रणाली से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाय) के तहत 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को हर महीने खाद्यान्न निशुल्क प्रदान किया जा रहा है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक 27 फरवरी 2023 तक किसान सम्मान निधि योजना के तहत 13 किस्तों में 11 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में डीबीटी से सीधे करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक हस्तांतरित किए जा चुके हैं। यह अभियान दुनिया के लिए मिसाल बन गया है और इससे छोटे किसानों का वित्तीय सशक्तिकरण हो रहा है। वस्तुत: देश में बढ़ते हुए डिजिटलीकरण ने रोजगार के नए डिजिटल अवसर भी पैदा किए हैं। कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेक्टर के द्वारा समय पर दी गई गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग, कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है। डिजिटल इकोनॉमी के तहत कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, ट्रांजेक्शन, डेटा एनालिसिस, सायबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड, हॉस्पिटेलिटी आदि क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के चमकीले मौके बढ़ते जा रहे हैं। ये मौके भारत की नई पीढ़ी के लिए देश ही नहीं दुनियाभर में विस्तारित हो रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीच्यूट के द्वारा वैश्विक रोजगार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में डिजिटल ढांचे की मजबूती के कारण अर्थव्यवस्था में वर्ष 2025 तक डिजिटलीकरण से करीब 2 करोड़ से अधिक नई नौकरियां निर्मित होते हुए दिखाई देंगी। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश में डिजिटल रुपए के नए दौर की जिस तरह शुरुआत की है, यह आने वाले दिनों में गेमचेंजर साबित हो सकती है।

यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि देश में विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों पर एक अरब से अधिक लोगों के डेटा को सुरक्षित बनाए रखने के लिए साइबर स्वच्छता केंद्र (सीएके) अहम भूमिका निभा रहा है। लेकिन मजबूत डिजिटल ढांचे की विभिन्न उपयोगिताओं के बावजूद इस समय देश में डिजिटलीकरण के तहत स्टार्टअप, डिजिटल शिक्षा, डिजिटल बैंकिंग, भुगतान समाधान, स्वास्थ्य तकनीक, एग्रीटेक आदि की डगर पर जो बाधाएं और चुनौतियां दिखाई दे रही हैं, उनके समाधान हेतु तत्परतापूर्वक कदम उठाए जाने जरूरी हैं। हम उम्मीद करें कि सरकार आईएमएफ के वर्किंग पेपर के मद्देनजर देश के मजबूत डिजिटल ढांचे को ध्यान में रखते हुए जहां और अधिक सेवाओं को डिजिटलीकरण की छतरी में लाएगी, वहीं दुनिया के जरूरतमंद देशों को भी डिजिटल ढांचे से लाभांवित करेगी। हम उम्मीद करें कि सरकार नई शिक्षा प्रणाली के तहत भारत में डिजिटलीकरण को अधिक गतिशील बनाने के लिए नई पीढ़ी को नए दौर की डिजिटल स्किल्स और उन्नत प्रौद्योगिकियों से शिक्षित प्रशिक्षित करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि सरकार देश में अधिक तकनीकी एवं वैज्ञानिक सोच, डेटा तक सरल पहुंच, स्मार्टफोन की कम लागत, निर्बाध कनेक्टिीविटी, बिजली की सरल आपूर्ति, जैसी जरूरतों पर और अधिक ध्यान देंगी। हम उम्मीद करें कि इस समय जब इस वर्ष 2023 में भारत की मुठ्ठियों में जी-20 की अध्यक्षता है तब भारत के द्वारा जी-20 सदस्यों के बीच आम सहमति से एक लाभपूर्ण और सुरक्षित साइबर स्पेस के लिए प्रभावी पहल की जाएगी।

 

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