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बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं मगर शेख हसीना चुप्पी साधे हुए हैं

-नीरज कुमार दुबे-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

क्या पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है बांग्लादेश? यह सवाल हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर हमले और उनकी हत्या के मामले बढ़ रहे हैं, हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं, हिंदू लड़कियों का जबरन अपहरण, धर्मांतरण और फिर अधेड़ों के साथ जबरन निकाह कराया जा रहा है, हिंदुओं की संपत्तियों पर अवैध कब्जा किया जा रहा है, सर तन से जुदा का नारा लगाया जा रहा है। होली हो, दीवाली हो, शिवरात्रि हो, जन्माष्टमी हो, सरस्वती पूजा हो या अन्य कोई पर्व…हिंदुओं के हर पर्व में बाधा पहुँचाने के कुत्सित प्रयास किये जाते हैं। देखा जाये तो बांग्लादेश में इस समय जो कुछ चल रहा है वह दर्शा रहा है कि वहां इस्लामिक कट्टरपंथियों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं और शेख हसीना की सरकार तमाम वादों के बावजूद हिंदुओं को सुरक्षा देने में नाकाम सिद्ध हो रही है।

हम आपको बता दें कि बांग्लादेश में हिंदू इस समय खौफ के साये में जी रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले बांग्लादेश में बसंत पंचमी के अवसर पर विभिन्न जगहों पर सरस्वती पूजा के कार्यक्रमों में बाधा पहुँचायी गयी थी और माँ सरस्वती की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया गया था। अब पश्चिमोत्तर बांग्लादेश में श्रृंखलाबद्ध और सुनियोजित हमले करके 14 हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गयी है। जिस तरह से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया गया है वह तालिबानी मानसिकता का ही प्रतीक है।

यही नहीं, अभी हाल ही में बांग्लादेश में बच्चों को बॉयोलॉजी पढ़ा रहे एक हिंदू शिक्षक पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने पढ़ाते समय इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। शिक्षक की ओर से आरोपों को नकारे जाने के बावजूद उन पर ईशनिंदा का आरोप लगा कर नौकरी से निलंबित कर दिया गया और कट्टरपंथियों ने रैली निकाल कर उनका सर तन से जुदा करने के नारे लगाये। लेकिन बांग्लादेश सरकार और प्रशासन सबकुछ देखता रहा। इसके अलावा जनवरी माह के अंत में एक हिंदू नाबालिग लड़की टोमा मंडल का मोहम्मद अराफात और सागर शेख ने अपहरण कर लिया। टोमा के घरवालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाही लेकिन पुलिस ने शिकायत ही नहीं ली। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार के अनाधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2022 में साल भर में 154 हिंदुओं की हत्या की गयी, 66 हिंदू लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ, 128 हिंदू मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया गया, हिंदू देवी-देवताओं की 481 प्रतिमाओं को नुकसान पहुँचाया गया, 333 हिंदुओं को बीफ खाने पर मजबूर किया गया, इसके अलावा बांग्लादेशी मुस्लिमों ने हिंदुओं से 8990 एकड़ जमीन जबरन छीन ली। यही नहीं, 29 जनवरी को मोहम्मद आलमगीर नामक शख्स और उसके साथियों ने हिंदू व्यापारी रतन बसू को पीट-पीट कर मार डाला क्योंकि मोहम्मद आलमगीर की रतन बासू के साथ व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता थी।

अब जो हिंदू मंदिरों पर हमले किये गये हैं उसके बारे में बताया जा रहा है कि यह जमात-ए-इस्लामी और उससे जुड़े संगठनों ने किये हैं। इस बारे में ठाकुरगांव में बलियाडांगी “उपजिले” स्थित एक हिंदू समुदाय के नेता बिद्यनाथ बर्मन ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया है कि, “अज्ञात व्यक्तियों ने अंधेरे की आड़ में हमलों को अंजाम दिया।” उन्होंने बताया कि हमलावरों ने तीन इलाकों में 14 मंदिरों में मूर्तियों को क्षति पहुंचायी। उपजिले की पूजा उत्सव परिषद के महासचिव बर्मन ने कहा कि कुछ मूर्तियां नष्ट कर दी गईं, जबकि कुछ मूर्तियां मंदिर स्थलों के पास तालाब में पाई गईं। बर्मन ने कहा, “हम अपराधियों की पहचान नहीं कर पाए हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि जांच के बाद उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाए।’’

देखा जाये तो बांग्लादेश में अक्सर हिंदू कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं जिससे उनके मन में खौफ बना रहता है। हालांकि पिछले साल बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हिंदुओं को बड़ा आश्वासन देते हुए कहा था कि हिंदू समुदाय के पास भी उतने ही अधिकार हैं जितने मेरे पास हैं। ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में डिजिटल माध्यम से शामिल हुईं शेख हसीना ने कहा था कि ‘‘हम भी आपको समान रूप से देखना चाहते हैं। कृपया स्वयं को दूसरों से कम न समझें। आप इस देश में पैदा हुए हैं। आप इस देश के नागरिक हैं।’’ शेख हसीना ने इस बात पर दुख भी जाहिर किया था कि जब भी कोई अवांछित घटना होती है तो उसे इस तरह बढ़चढ़ा कर पेश किया जाता है मानो बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के पास कोई अधिकार ही नहीं हैं। शेख हसीना ने हिंदुओं और अन्य धर्मों में विश्वास रखने वाले लोगों से अनुरोध किया था कि वे अपने आपको अल्पसंख्यक न मानें। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश में धर्मों से परे, सभी के पास समान अधिकार हैं।

जहां तक बांग्ला हिंदुओं की बात है तो हम आपको बता दें कि दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान ढाका में लगने वाले मंडपों की संख्या पश्चिम बंगाल में लगने वाले मंडपों की तुलना में कहीं अधिक होती है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां हिंदू समुदाय तमाम बाधाओं के बावजूद अपने धर्म और संस्कृति को जीवित रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिए कितना तत्पर रहता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर भी बांग्लादेश में कई भव्य कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। हम आपको बता दें कि साल 2022 की जनगणना के अनुसार बांग्लादेश में हिंदू समुदाय दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है। 16 करोड़ से अधिक आबादी वाले बांग्लादेश में हिंदू आबादी लगभग 7.95 प्रतिशत है।

बहरहाल, बांग्लादेश में अगले साल आम चुनाव भी होने हैं इसलिए कट्टरपंथियों का हौसला बढ़ा हुआ है। शेख हसीना सरकार इसलिए भी चुप्पी साधे हुए है क्योंकि कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई बहुसंख्यकों को नाराज कर सकती है। हालांकि शेख हसीना की नजर हिंदू समुदाय पर भी है क्योंकि यह दूसरी सबसे बड़ी आबादी अधिकतर उन्हीं की पार्टी को समर्थन देती रही है। देखना होगा कि हिंदुओं के लिए वहां की सरकार क्या करती है। वैसे भारत सरकार को चाहिए कि वह दक्षिण एशियाई देशों में प्रताड़ित किये जा रहे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे संबंधित सरकारों के समक्ष प्रखरता के साथ उठाये और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कराये, यदि संबंधित सरकारें अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा-सुरक्षा में नाकाम रहती हैं तो इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के समक्ष भी उठाया जाना चाहिए।

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